बौटेनिकल गार्डन में लगे हजारों पौधे सूखे

देखभाल की कमी : विभाग की उदासीनता और पानी की कमी से गार्डन हो रहा बर्बाद

बौटेनिकल गार्डन में लगे हजारों पौधे सूखे

विभाग की लापरवाही से पौधे नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।

कोटा। कोटा के अभेड़ा स्थित बायलॉजिकल पार्क के पास स्थित बौटेनिकल गार्डन के आधे से ज्यादा पौधे सूख चुके हैं। वन विभाग की तरफ से अनदेखी और देखभाग में कमी के चलते लाखों रुपए लागत से लगाए पौधे अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं। साल 2022 में वन विभाग की 50 हेक्टेयर जमीन पर बौटोनिकल गार्डन विकसित करने के उद्देश्य से से सभी पौधे लगाए थे। जिनसे बोटनी विषय के विद्यार्थियों को उच्च स्तर की रिसर्च करने का मौका मिलता और आमजन को भी विभिन्न किस्मों के पौधे यहां देखने को मिलते। लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते ये पौधे सूखकर खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।

3 हजार पौधे लगाए थे बचे सौ से दो सौ
साल 2022 में राज्य सरकार की ओर से वन विभाग की इस भूमि पर करीब 80 लाख रुपए की लागत से 50 हेक्टेयर जमीन पर 3 हजार से अधिक पौधे लगाए गए थे। जिसमें देश विदेश की विभिन्न प्रजातियों के पेड़ों के साथ पौधे भी शामिल थे। लेकिन पिछले एक साल से वन विभाग की अनदेखी के चलते इनमें से लगभग दो सौ पौधे ही सही सलामत बचे हैं। इसके अलावा बाकि पौधे या तो सूख चुके हैं या सूखकर कर मर चुके हैं। गार्डन की जमीन पथरीली होने के कारण पौधारोपण के बाद पौधों को बड़े होने तक देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन विभाग की लापरवाही से पौधे नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।

एक दिन में सिर्फ 3 से 4 टैंकर फेरे
अभेड़ा बौटोनिकल गार्डन में लगाए गए लगभग 3 हाजर पौधों के लिए एक दिन में कम से कम 6 टैंकर पानी जरुरत है। लेकिन वर्तमान में इस स्थान पर पानी टैंकर के केवल 3 से 4 टैंकर के चक्कर लग रहे हैं। जिससे पूरे इलाके में पानी की सिंचाई पर्याप्त रूप से नहीं हो पा रही है। जो पौधों के सूखने का सबसे बड़ा कारण है। 

पौधों से उच्च स्तर की रिसर्च करने में मिलती मदद
अभेड़ा बौटोनिकल गार्डन में देश विदेश के कई किस्मों के पौधे लगाए गए थे। जिनसे वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों को उन पर रिसर्च करने का लाभ मिलता। साथ ही कोटा के वातावरण में किस किस तरह के पौधे चल सकते हैं ये भी जानने को मिलता लेकिन पौधों के सूखने के कारण उनपर रिसर्च करना भी मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा इस क्षेत्र में रहने वाले जानवरों के लिए भी गार्डन एक आशियाने के रूप में साबित होता क्योंकि इस क्षेत्र में वन्य जीवों की अधिकता मिलती है। लेकिन पौधों की कमी के चलते उन्हें भी भीषण गर्मी में धूप के बीच रहना पड़ रहा है।

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लोगों का कहना है
बौटोनिकल गार्डन में विभाग ने हजारों पेड़ पौधे लगाए थे लेकिन उनमें से अधिकतर या तो सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं केवल 200 पौधे ही ठीकठाक स्थिति में मौजूद हैं। विभाग के अधिकारियों से इसके लिए कई बार बोला भी है लेकिन कोई ध्यान देते अगर कोशिश करें तो इसे बचाया जा सकता है। क्योंकि इनकी ना देखभाल ठीक से हो रही और ना सिंचाई।
- नितिन कुमार, नांता

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इनका कहना है
अभेड़ा बौटोनिकल गार्डन में सभी पौधे ठीक ठाक अवस्था में हैं कुछ पौधे हो सकते हैं जो सूख गए हों बाकि पौधों की देखभाल की जा रही है। वहीं ये सभी पौधे जंगली प्रजाती के हैं जिन्हें पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं है। अगर देखभाल में लापरवाही होगी तो उसे दिखकर ठीक कराएंगे।
- अनुराग भटनागर, डीसीएफ, वन विभाग कोटा

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