कॉलेज में 4 हजार की डिग्री के लग रहे 40 हजार

यह कैसी बालिका शिक्षा : महंगी पढ़ाई बेटियों को उच्च शिक्षा से कर रही दूर

कॉलेज में 4 हजार की डिग्री के लग रहे 40 हजार

सरकार की उपेक्षा का शिकार हाड़ौती का सबसे बड़ा गर्ल्स कॉलेज।

कोटा। उच्च शिक्षा में सरकार का दोहरा रवैया बेटियों को शिक्षा से दूर करता नजर आ रहा है। एक ओर जहां बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही जा रही वहीं, दूसरी ओर महंगी शिक्षा के बोझ तले प्रतिभाएं कुचली जा रही है। हालात यह हैं, कोटा संभाग का सबसे बड़ा गर्ल्स कॉलेज जेडीबी आर्ट्स में दो साल की डिग्री कोर्स के लिए बेटियों को 4 हजार की जगह 40 हजार चुकाने पड़ रहे हैं। जबकि, इसमें सेमेस्टर एग्जाम फीस नहीं जुड़ी है। यदि, वह भी जोड़ लिया जाए तो उनकी पीजी 50 हजार में पूरी होगी। सरकारी कॉलेज होने के बावजूद महंगी फीस, शिक्षा में बढ़ते कदम पर बेड़ियां बन गई है। दरअसल, जेडीबी आर्ट्स कॉलेज में एमए गारमेंट प्रोडेक्शन एंड एक्सपोर्ट मैनेजमेंट (जीपीईएम) व होम साइंस कोर्स पिछले 6 साल से सेल्फ फाइनेंस स्कीम में संचालित हो रहा है। जिसकी वजह से इनकी एडमिशन फीस पर ईयर 20 हजार रुपए हो गई। ऐसे में दो साल की फीस 40 हजार रुपए हो जाती है। हालांकि, होम साइंस की पर ईयर फीस 10 हजार है। यदि, यह कोर्स रेगुलर यानी सरकारी स्कीम में चले तो इन दोनों कोर्सेज की फीस पर ईयर 2 हजार हो जाएगी।

सेमेस्टर फीस जोड़ते ही 50 हजार की डिग्री
राजकीय कला कन्या महाविद्यालय जेडीबी में एमए जीपीईएम कोर्स  की पर ईयर एडमिशन फीस 20 हजार रुपए है। साल में दो बार सेमेस्टर एग्जाम होते हैं। इस तरह पर सेमेस्टर एग्जाम फीस ढाई हजार रुपए है, ऐसे में एक साल के 25 हजार रुपए होते हैं और दो साल का पीजी कोर्स पूरा करने के लिए बेटियों को 50 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं। ग्रामीण परिवेश से आने वाली छात्राओं के लिए इतनी महंगी फीस दे पाना चुनौतिपूर्ण रहता है। ऐसे में कई छात्राएं रुचि होने के बावजूद इस कोर्स में दाखिला नहीं ले पाती। 

होम साइंस भी 30 हजार की
एमए होम साइंस भी सेल्फ फाइनेंस स्कीम में संचालित हो रहा है।  इसकी पर ईयर एडमिशन फीस ही 10 हजार रुपए है और एग्जाम फीस पर सेमेस्टर ढाई हजार रुपए के हिसाब से दो सेमेस्टर के 5 हजार रुपए अलग से लगते हैं। ऐसे में एक साल के 15 हजार और दो साल की डिग्री पूरी करने के लिए 30 हजार रुपए लगते हैं। जबकि, यही कोर्स यूजी में सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। जिसकी फीस 2 हजार रुपए पर ईयर है। कोटा जिले में बालिकाओें के लिए यह कोर्स केवल जेडीबी आर्ट्स कॉलेज में ही उपलब्ध है। 

परिधान इंडस्ट्री में रोजगार के बेहतर अवसर 
प्रोफेसर बिंदू चतुर्वेदी बतातीं हैं जीपीएम, गारमेंट प्रोडेक्शन एंड एम्पोर्ट मैनेजमेंट कोर्स होता है। इसमें कपड़ा निर्माण से लेकर डिजाइनिंग व एक्सपोर्ट-एम्पोर्ट तक की जानकारी दी जाती है। इस कोर्स में एडमिशन लेकर छात्राएं, फैशन डिजाइनिंग, परिधान उद्योग, गारमेंट व्यवसाय, बुटीक, गारमेंट इंडस्ट्री में कॅरियर बना सकती हैं। वहीं, नेट व सेट कर आरपीएससी के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में भी नौकरी पा सकती हैं। छात्राओं को जयपुर, बीकानेर, भीलवाड़ा में इंडस्ट्री विजट करवाई जाती है। वहीं,  कैथून में कोटा डोरिया के उत्पादन-निर्माण दिखाया जाता है। 

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हर साल आधी सीटें रह जाती खाली
जीपीईएम कोर्स में कुल 20 सीटें हैं, जिसके मुकाबले एडमिशन फॉर्म तो दो गुने आते हैं लेकिन फीस ज्यादा होने के चलते 10 से ज्यादा सीटें खाली रह जाती है। कॉलेज में यूजी में 1999 में यह कोर्स शुरू हुआ था। उस समय राज्य में केवल अलवर व बीकानेर में ही चलता था। डिमांड बढ़ने पर जेडीबी में पीजी में वर्ष 2018 में सेल्फ फाइनेंस स्कीम में इस कोर्स को शुरू किया गया था। 

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6 साल से जीपीईएम व होम साइंस कोर्स सेल्फ फाइनेंस स्कीम में चल रहा है। फीस बहुत महंगी है, जिसके कारण छात्राओं पर आर्थिक बोझ पड़ता है। इन कोर्सेज को सरकार द्वारा संचालित करवाने के लिए हर साल दो बार आयुक्तालय को पत्र भेजा जाता है। पिछले कुछ महीने पहले उप मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री कोटा आए थे तब भी उन्हें इस मामले से अवगत कराया था। विधायक व लोकसभा अध्यक्ष को भी पत्रों के माध्यम से छात्राओं के हित में इन कोर्सेज को रेगुलर स्कीम में करवाने की मांग की थी। हालांकि, हमारे स्तर पर प्रयास लगातार जारी है।  
- प्रो. सीमा चौहान, प्राचार्य जेडीबी आर्ट्स कॉलेज कोटा

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क्या कहती हैं छात्राएं
डिग्री करने में लग गए 60 हजार
मैने जीपीईएम में एमए किया है। फीस बहुत महंगी है। ऊपर से सेमेस्टर के कारण फीस और बढ़ गई। इसके अलावा प्रेक्टिकल, असाइमेंट व इंडस्ट्री विजिट सहित अन्य खर्चों को मिलाकर दो साल की डिग्री करने में 60 हजार रुपए खर्च हो गए। इतनी महंगी शिक्षा से कई छात्राएं रुचि होते हुए भी यह कोर्स नहीं कर पातीं। सरकार को रेगुलर स्कीम में संचालित करना चाहिए।
- निकिता सचवानी, रिसर्चर जेडीबी आर्ट्स कॉलेज

हमने आयुक्तालय से लेकर जनप्रतिनिधि तक को पत्र लिखकर मांग कर चुके हैं। धरना, प्रदर्शन कर उच्च शिक्षा विभाग को छात्राओं की समस्याओं से अवगत कराया फिर भी सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीण परिवेश से आने वाली छात्राओं के लिए इतनी फीस दे पाना आसान नहीं होता है। महंगी शिक्षा होने के कारण कई छात्राएं एडमिशन नहीं पाती। 
- रुपाली चौहान, छात्रा सेविका, जेडीबी कॉलेज

रेगुलर स्कीम में 2 हजार रुपए फीस
वर्ष 2018 में पीजी संकाय में गारमेंट प्रोडेक्शन एंड एक्सपोर्ट मैनेजमेंट कोर्स सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत शुरू किया गया था। सरकार की स्कीम थी कि सेल्फ फाइनेंस स्कीम यानी स्ववित्त पोषिक योजना में कोई कोर्स 5 साल तक नियमित रूप से संचालित होता है तो उसे छठें साल में आॅटोमेटिक सरकारी स्कीम में तब्दील कर दिया जाता है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यदि, यह कोर्स सरकारी स्कीम में हो जाए तो इसकी एडमिशन फीस पर ईयर 2 हजार रुपए हो जाएगी। 
- बिंदू चतुर्वेदी, प्रोफेसर जेडीबी आर्ट्स 

प्राचार्य द्वारा इसके प्रस्ताव तैयार कर हमें दिए जाएं। जिसें आयुक्तालय को भेजकर बालिकाओं के हित में इन कोर्सजे को रेगुलर स्कीम में संचालित करवाने की मांग करेंगे। 
- डॉ. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय सहायक निदेशक आयुक्तालय कोटा

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