लंबित जनगणना तत्काल करवाने की आवश्यकता
किसी भी जनगणना में जुटाए आंकड़े शासन- प्रशासन, योजनाओं और नीतियों के निर्माण के साथ-साथ इनके प्रबंधन में भी बेहद सहायक होते हैं।
दरअसल, हमारे देश की 16वीं जनगणना 2021 में होनी थी। लेकिन, कोविड-19 की वजह से 2021 में भारत की जनगणना नहीं हुई। कोरोना महामारी के बाद से लगातार जनगणना को टाला गया। अब महामारी का असर न्यूनतम हुए दो वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन जनगणना के मोर्चे पर कोई प्रगति होती नहीं दिख रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, जनगणना कराने को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 150 वर्षों में यह पहली दफा हुआ है कि जनगणना का कार्य स्थगित किया गया हो। बता दें कि भारत उन 120 देशों में शामिल है जिन्होंने महामारी का हवाला देकर जनगणना के कार्य को स्थगित किया। हालांकि भारत के कई पड़ोसी देशों मसलन चीन, बांग्लादेश और नेपाल ने महामारी के दौरान भी जनगणना की है। भारत उन 44 देशों में शामिल है जिन्होंने अब तक जनगणना नहीं की है। ऐसा करने वाले अन्य देशों में यमन, म्यांमार, यूक्रेन, श्रीलंका अफगानिस्तान तथा सबसहारा अफ्रीका के देश शामिल हैं जो किसी न किसी तरह के संकट से जूझ रहे हैं। अमेरिका में कोरोना पीक पर होने के बावजूद 2020 में जनगणना कराई गई। इसी तरह से यूके, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में अलग- अलग एजेंसियों ने कोरोना लहर के दौरान तय समय पर जनगणना के लिए डेटा जुटाना शुरू कर दिया था। अब इन देशों की एजेंसियां डेटा को व्यवस्थित करके इसका एनालिसिस कर रही हैं। पड़ोसी देश चीन ने भी अपने यहां कोरोना महामारी के दौरान तय समय पर जनगणना का कार्य संपन्न किया। लिहाजा,यह कहा जा सकता है कि जनगणना का कार्य हमारी प्राथमिकता में नहीं रहा,अन्यथा जनगणना को तय समय पर करवाया जा सकता था। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की आबादी चीन से अधिक हो चुकी है और 1.4 अरब लोगों के साथ हम दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाले देश बन चुके हैं। विडंबना यह है कि भारत सरकार के पास आबादी को लेकर कोई नई आधिकारिक जानकारी नहीं है। जनगणना को बार- बार स्थगित किए जाने के बीच भारत की आधिकारिक आबादी अभी भी 1.2 अरब है। ऐसे में, हर दशक होने वाली जनगणना को तत्काल शुरू करवाने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। आज हमें जनगणना को तय समय पर करवाने के पीछे की अहमियत को समझने की आवश्यकता है। दरअसल, किसी भी मुल्क के लिए जनगणना कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। किसी एक मुल्क के विकास का पैमाना तय करने में जनगणना की उपयोगिता बढ़ जाती है। जनगणना उस प्रक्रिया को दिया जाने वाला नाम है, जो न केवल किसी मुल्क के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जनसंख्या आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाती है, बल्कि देश की विविधता और इससे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन करने का अवसर भी प्रदान करती है। जनगणना वह माध्यम है, जिसके द्वारा नागरिकों को अपने समाज, जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, मानव जीवन, समाजशास्त्र, सांख्यिकी आदि द्वारा उन समस्त के बारे में अपडेट देती है, जो उनके जीवन को प्रत्यक्ष या फिर परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा भी जनगणना के आंकड़े कई मायनों में बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए योजना और नीति- निर्धारण में बहुमूल्य जानकारी साझाकरण का कार्य जनगणना के आंकड़े ही करते है। वहीं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, विद्वानों, व्यापारियों, उद्योगपतियों के साथ- साथ अन्य कई लोगों द्वारा व्यापक रूप से आंकड़े उपयोग में लिए जाते हैं। जनगणना को आंकड़ों का एक व्यापक स्रोत माना जाता है। इसके अन्तर्गत ही किसी मुल्क की जनसांख्यिकी लाभांश के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाती है। जो मुल्क की नीति निर्माण को पूवार्नुमान की सटीकता के समीप ले जाती है। किसी भी मुल्क के साक्ष्य आधारित निर्णयों में इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
किसी भी जनगणना में जुटाए आंकड़े शासन- प्रशासन, योजनाओं और नीतियों के निर्माण के साथ-साथ इनके प्रबंधन में भी बेहद सहायक होते हैं। किसी क्षेत्र विशेष के विकास के लिए आवश्यक निर्णयन में जनगणना से प्राप्त आंकड़ों की भागीदारी बढ़ जाती है। इसका महत्त्व इसलिए भी है,क्योंकि समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कार्यक्रमों के संचालन और उनकी सफलता को सुनिश्चित किया जाता है। यह न केवल जनसंख्या की वृद्धि के आकलन के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, बल्कि पेयजल, स्वच्छता, आवास और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के आकलन के लिए भी अहम है। जनगणना को राजनीतिक फैसलों, आर्थिक निर्णयों एवं विकास लक्ष्यों के लिहाज से भी जरूरी समझा जाता है। लिहाजा, जनगणना-2021 की प्रक्रिया को अतिशीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार का आॅनलाइन मोड में जनगणना करवाने का फैसला एक बेहतरीन निर्णय साबित होगा। साथ ही, डिजिटल जनगणना से भारत की सूचना प्रौद्योगिकी शक्ति की प्रतिष्ठा और बढ़ेगी।
-अली खान
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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