आवासन मंडल ने 23 साल से कोटा में नहीं बनाई कोई नई कॉलोनी व मकान

मंडल के पास कोटा में जमीन का टोटा

आवासन मंडल ने 23 साल से कोटा में नहीं बनाई कोई नई कॉलोनी व मकान

कोटा में सफेद हाथी साबित हो रहा है आवासन मंडल।

कोटा। कोटा शहर में पहले मकान बनाने का अधिकतर काम  राजस्थान आवासन मंडल(हाउसिग बोर्ड) करता था।  लेकिन अब हालत यह है कि मंडल ने करीब 23 साल से शहर में कोई नया मकान या कॉलोनी नहीं बनाई है। मंडल के पास शहर में जमीन का टोटा होने से उनका यह काम अब नगर विकास न्यास कर रहा है। कोटा शहर में पहले सस्ते मकान व कॉलोनी  बनाने का काम आवासन मंडल ही करता था। शहर के अधिकतर क्षेत्रों में  आवासन मंडल की कॉलोनियां बनी हुई हैं। लेकिन  आवासन मंडल ने करीब 23 साल पहले वर्ष 2001 में अंतिम कॉलोनी स्वामी विवेकानंद नगर में बनाई थी। उसके बाद से अभी तक शहर में न तो कोई नया मकान बनाया है और न ही कॉलोनी विकसित की। कोटा में मंडल के पास जमीन नहीं होने से मकान बनाने का काम पिछले कई सालों से नगर विकास न्यास(वर्तमान में केडीए) कर रहा है। न्यास ने शहर के हर क्षेत्र में अफोर्डेबल से लेकर आवासय कॉलोनियां तक  बनाई हैं। जबकि उप आवासन आयुक्त का कार्यालय कोटा में सीएडी रोड पर है। ऐसे में आवासन मंडल सफेद हाथी साबित हो रहा है।  कार्यालय में पद स्थापित कर्मचारी केवल  आॅफिस का काम ही कर रहे हैं। फील्ड का काम करने के लिए यहां कोई अधिकारी व कर्मचारी तक नहीं हैं। जबकि इस कार्यालय से कोटा के अलावा पूरे वृत्त बारां व झालावाड़ तक की मॉनिटरिंग का काम किया जा रहा है। अधिकतर जमीन नगर विकास न्यास की: पहले जहां कोटा शहर में जमीनें  आवासन मंडल के पास थी। वहीं अब अधिकतर जमीनें नगर विकास न्यास के पास हैं। सूत्रों के अनुसार रानपुर व बोरखेड़ा में हाउसिंग बोर्ड को कुछ जमीन मिलने वाली थी। लेकिन बाद में वे दोनों जमीन भी न्यास के खाते में चली गई।  वहीं हाउसिंग बोर्ड की जगह अब भूखंड बेचने व मकान बनाकर बेचने का काम भी नगर विकास न्यास कर रहा है। न्यास द्वारा कई आवासीय योजनाएं बनाई गई हैं।  न्यास में एक शाखा हाउसिंग की ही संचालित हो रही है।

यहां हैं आवासन मंडल की कॉलोनियां
शहर में आवासन मंडल की 17 कॉलोनियां हैं। जिनमें दादाबाड़ी, दादाबाड़ी विस्तार, अम्बेडकर नगर कुन्हाड़ी, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी कुन्हाड़ी, महावीर नगर विस्तार, महावीर नगर परिजात कॉलोनी, रंगबाड़ी, सकतपुरा, वल्लभबाड़ी, टीचर्स कॉलोनी व स्वामी विवेकानंद नगर की कॉलोनियां शामिल हैं। जानकारों के अनुसार अधिकतर कॉलोनियां नगर निगम को हस्तांतरित हो चुकी हैं। जिनमें विकास कार्य करवाने के लिए आवासन मंडल निगम को बजट उपलब्ध करवाता है। सिर्फ दो कॉलोनियां अभी तक निगम को हस्तांतरित नहीं हो सकी हैं। स्वामी विवेकानंद नगर व कुन्हाड़ी कॉलोनी ही आवासन मंडल के  अधीन है।   कोटा में जमीन का टोटा होने से यहां बरसों से मकान नहीं बने हैं। जबकि मांगरोल व लाखेरी समेत अन्य स्थानों पर मकान बनाए व नीलामी की जा रही है। 

एक साल पहले बनाई चौपाटी
आवासन मंडल सफेद हाथी साबित हो रहा है। कुन्हाड़ी स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में चौपाटी बनाई थी । जिसका उद्घाटन तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने किया था। कोचिंग एरिया में होने से यहां बाहर से आने वालों व नदी पार क्षेत्र के लोगों के लिए सुविधा दी गई थी। लेकिन यह जगह छोटी व कम होने से लोगों को सुविधा की जगह समस्या अधिक हो रही है। 
- शैलेनद्र सिंह कुन्हाड़ी निवास

उप आवासन आयुक्त तक कार्यवाहक
हालत यह है कि कोटा में उप आवासन आयुक्त का पद है। लेकिन वह भी काफी समय से रिक्त है।  इस पद पर कार्यवाहक अधिकारी काम कर रहे हैं।  इस पद का अतिरिक्त चार्ज  पहले एक्सईएन आर.के. जैन के पास रहा। उसके बाद आर.एन. कुरैशी को दिया हुआ था। हालांकि बीच में दो बार अनिल सक्सेना व हाकम सिंह उप आवासन आयुक्त के पद पर लगाए गए थे लेकिन वे भी अधिक समय तक नहीं रहे। वर्तमान में सहायक अभियंता अमजद अहमद को कार्यवाहक उप आवासन आयुक्त का चार्ज दिया हुआ है। 

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कोटा में आवासन मंडल के पास कोई जमीन ही नहीं है। मंडल ने शहर में करीब 23 साल पहले अंतिम कॉलोनी स्वामी विवेकानंद नगर में विकसित की  थी। अब शहर की अधिकतर जमीन नगर विकास न्यास के पास है। इस कारण से मकान बनाने का काम भी न्यास ही कर रहा है। यह काम पहले हाउसिंग बोर्ड करता था। आवासन मंडल लाखेरी में 195 मकानों की स्कीम ला रहा है। कोटा कार्यालय में अधिकारी व कर्मचारियों की भी कमी है। यहां वर्ष 2000 में आवास विकास संस्थान से कर्मचारी आए थे। उनके बाद कोई नियुक्ति नहीं हुई है केवल मृत  आश्रित कर्मचारी ही लगाए गए हैं। जबकि यहां से ट्रांसफर व रिटायर्डमेंट होते रहे हैं। कोटा कार्यालय से मंडल की कॉलोनियों की देखभाल, नाम ट्रांसफर, पंजीयन, रजिस्ट्री व अन्य कार्य किए जा रहे हैं। 
- अमजद अहमद, कार्यवाहक उप आवासन आयुक्त

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