विजयपुर का प्राथमिक स्कूल खंडहर में तब्दील
बारिश के दिनों में बच्चों को भेज देते हैं घर
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं, कक्षा कक्षों की छत से गिरता हैं पानी।
बारां। बारां के समीप स्थित ग्राम विजयपुर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में अव्यवस्थाओं का आलम लगा हुआ है। विद्यालय खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्कूल कक्षा 1 से 5वीं तक है, लेकिन पूरा स्कूल जर्जर की हालत में हैं। धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार स्कूल विकास के लिए स्थानीय सरपंच और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया, लेकिन आज तक विद्यालय का जीर्णोद्धार नहीं हुआ। प्रधानाध्यापक अनिता गौड ने बताया कि स्कूल की समस्याओं को लेकर शिक्षा विभाग को अवगत करा रखा है। वहीं गांव के कई बच्चे गांव के स्कूल में नहीं पढकर बारां या अन्य स्थानों पर पढते हैं। ऐसे में ग्रामीणों का भी इस विद्यालय की ओर कोई ध्यान नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों को ही स्कूल का झांडू लगाना पडता है। बलराम मेघवाल, रमेशचंद मेघवाल, धनपाल मेघवाल ने बताया कि उन्हें एक अध्यापक से जानकारी मिली है कि स्कूल की सफाई के लिए सरकार की ओर से 12 माह के ढाई हजार रूपए आते हैं। इसके बावजूद स्कूल की झांडियों को ग्रामीणों को ही काटनी पडती है। वहीं पिछले वर्ष भी स्कूल की मरम्मत के लिए डेढ लाख रूपए आए थे। इसके बावजूद भी बारिश के दिनों में स्कूल की छत टपकती है।
दो कमरों में से केवल एक कमरे में ही पंखा
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल के दो कमरों में से केवल एक ही कमरे में छत का पंखा है। गर्मी के दिनों में बच्चे बरामद में पढाई करते हैं। बारिश के दिनों में स्कूल में बैठने की जगह नहीं होने से बच्चों की छुटटी कर दी जाती है।
स्कूल के आसपास उगी झाडियों को गुरूवार को ग्रामीणों के सहयोग से काटकर हटाया है। स्कूल के कार्य भी ग्रामीणों को ही करने पड़ रहे है।
- रामसिंह सहरिया, ग्रामीण।
स्कूल में 23 बच्चे पढते हैं। स्कूल में अधिकांश बच्चे एससी वर्ग है और मजदूर परिवार के बच्चे पढते हैं। स्कूल में 30 से 35 बच्चों पर एक प्रधानाध्यापक व एक अध्यापक है। ऐसे में बच्चों की पढाई भी सही तरह से नहीं हो पा रही है।
- बलराम मेघवाल, ग्रामीण।
स्कूल भवन जर्जर है। बारिश के दिनों में कमरे टपकते हैं। ऐसे में बच्चों की छुटटी कर दी जाती है। शिक्षा विभाग को इस समस्या से अवगत करा रखा है। सफाई के लिए सीमली से मजदूर मंगाकर स्कूल की सफाई करवाई जाती है। स्कूल मेंटीनेंस के नाम पर जो भी पैसे आते हैं। वह ठेकेदार के माध्यम से स्कूल की मरम्मत होती है।
- अनिता सेठी, प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, विजयपुर।
हमने प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज रखे हैं। अब देखना पडेगा कि स्कूल द्वारा कब आॅफिस में शिकायत भेजी है। साथ ही स्कूलों में 2-2 लाख हर साल मरम्मत के लिए सरकार द्वारा दिए जाते हैं।
- पीयूष शर्मा, डीईओ, बारां
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