सतरंगी सियासत

सतरंगी सियासत

कांग्रेस कभी अन्य दलों से गठबंधन से परहेज करती थी। लेकिन उसे समय ने बहुत कुछ समझा दिया। सो, अब भाजपा से मुकाबले के लिए अपनी जमीन को छोड़ने से भी परहेज नहीं कर रही।

गठबंधन...
कांग्रेस कभी अन्य दलों से गठबंधन से परहेज करती थी। लेकिन उसे समय ने बहुत कुछ समझा दिया। सो, अब भाजपा से मुकाबले के लिए अपनी जमीन को छोड़ने से भी परहेज नहीं कर रही। कांग्रेस नेतृत्व 2024 के परिणाम से उत्साहित! अब हरियाणा चुनाव ही लिजिए। भले ही प्रदेश के नेता किसी दल से गठबंधन नहीं चाहते। लेकिन दिल्ली के स्तर पर आम आदमी पार्टी से गठबंधन की अंत तक सुगबुगाहट। इसमें प्रदेश नेताओं से राय नहीं ली गई। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने गठबंधन पर रूचि दिखाई। अबयदि हरियाणा में कांग्रेस-आप का गठबंधन हो जाता। तो हंगामा तय था। क्योंकि पहले ही वहां प्रदेश नेताओं में सीएम चेहरे को लेकर कई दावेदार। अब यदि गठजोड़ होता। तो कुछ सीटें छोड़नी पड़ती। अब यदि किसी सीएम पद के आशार्थी की सीट गठबंधन में चली जाती। तो नया बखेड़ा हो जाता।

राहुल की यात्रा
राहुल गांधी ने अमरीकी यात्रा में वही सब बोला। जैसा कि उम्मीद। उन्होंने केन्द्र सरकार, पीएम मोदी एवं आरएसएस को विदेशी धरती पर आड़े हाथों लिया। दूसरी ओर, भाजपा ने उन्हें राजनीतिक नैतिकता एवं परंपरा याद दिलाई। लेकिन राहुल गांधी कहां मानने वाले? हां, अमरीका में अभी राष्टÑपति पद का चुनावी माहौल। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन प्रत्याशियों का ताबड़तोड़ प्रचार जारी। सो, यह भी एक एंगल। राहुल गांधी वैसे भी देश में बहुत कुछ बोलते। अब तो वह बकायदा संवैधानिक पद यानी नेता प्रतिपक्ष भी। सो, उनके बोलने के मायने। कहीं, उन्होंने भाजपा को हमलावर होने का मौका तो नहीं दे दिया? फिर यह आरोप कई बार लग चुका कि अमरीका भारत की व्यवस्था में लगातार दखलंदाजी कर रहा। खासकर एनडीए की तीसरी सरकार बनने के बाद ऐसी चीजें ज्यादा मुखरता से सामने आ रहीं। हालांकि इन सबसे अमरीका का इनकार।

टिकट बंटवारा!
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा की पहली सूची आते ही बवाल मच गया। चूंकि पार्टी सत्ता में। सो, ऐसा होना स्वाभाविक। लेकिन कुछ अतिरंजना भी। कई पुराने नेताओं के इस्तीफे और उन्हें मनाने की भी कोशिश। लेकिन क्या इससे बात बनेगी? उधर, कांग्रेस में भी कम गदर नहीं। क्योंकि पार्टी नेताओं को हरियाणा में सत्ता की वापसी की आस। सो, कड़ा मुकाबला होगा ही। हां, फिलहाल भाजपा के लिए राहत की बात। उसके विरोधी वोट कम से कम कागजों पर तो बंट ही रहे। आप, बसपा एवं जजपा जैसे दल चुनावी दंगल में। इससे भाजपा मान रही। यह उसके लिए लाभदायक। सो, उसकी संभावनाएं ज्यादा होंगी। लेकिन अंत तक यह माहौल रहेगा या पलटेगा। यह देखने वाली बात। लेकिन टिकट बंटवारे से लग रहा। भाजपा का हाल देख कांग्रेस ने निरंतरता रखने का प्रयास किया। बजाए जोखिम लेने के।

अगली बारी!
इन चार राज्यों के चुनाव परिणाम मोदी सरकार पर सीधा प्रभाव न डालें। लेकिन उसका आधा कार्यकाल पूरा होने तक महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव। इसमें बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, गोवा एवं असम जैसे राज्य शामिल। और तय मानिए, मोदी सरकार कठोर निर्णय लेगी या राजनीतिक हालात के सामने समझौता करेगी। यह सब उस समय तय हो जाएगा। वैसे 2027 के मध्य में राष्टÑपति चुनाव भी। वह चुनौती मोदी सरकार के लिए आसान नहीं। क्योंकि एक तो केन्द्र में सांसदों की संख्या का सवाल। दूसरा, राज्यों में यदि एनडीए का संख्याबल घटा। तो फिर भाजपा के लिए मुश्किल होगी। क्योंकि राज्यों में जहां एनडीए सिकुड़ेगा। वहीं, विपक्षी गठबंधन बढ़त में रहेगा। सो, आने वाले दो साल अहम। भले ही मोदी लगातार निर्णयों के जरिए निरंतरता का संकेत कर रहे हों। लेकिन नौ राज्यों के चुनाव बहुत कुछ तय करेंगे!

Read More प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन: राष्ट्रपति मुर्मू समेत कई राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं

सुगबुगाहट!
बिहार में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव। सो, लालू जी और नीतीश जी की शायद यह अंतिम पारी हो। जबकि तेजस्वी और चिराग पासवान जैसे नेताओं के लिए राजनीति में निखरने एवं चमकाने का अवसर। सो, सुगबुगाहट शुरू हो चुकी। चिराग पासवान की हालिया बयानबाजी ऐसी। जो भाजपा को पसंद नहीं। इसीलिए उनके चाचा पशुपति पारस से अमित शाह मिले। इसी प्रकार नीतीश बोले, दो बार गलती कर चुके। अब भाजपा का साथ नहीं छोड़ेंगे। लेकिन नेता की हां और ना के मायने होते। नीतीश चुनाव से पहले भाजपा को शायद इशारा कर रहे। उपेन्द्र कुशवाह को भाजपा नीतीश को साधने के लिए साथ रखेगी। लेकिन अबकी बार उनकी स्थिरता की परीक्षा। लेकिन भाजपा का क्या? इतने साल नीतीश के साथ रहने के बावजूद वह नया नेतृत्व खड़ा नहीं कर सकी। बिहार में भाजपा की यही कमजोर कड़ी।

Read More राहुल गांधी के खिलाफ टिप्पणी: युवा कांग्रेस ने भाजपा नेताओं के पुतले फूंके

आएगा उबाल!
जैसे ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा होगी। राजनीति में उबाल आना तय। हालांकि महाराष्ट्र के साथ झारखंड भी। लेकिन भाजपा और कांग्रेस की नजर महाराष्ट्र पर रहेगी। यहां सीएम एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे, अजित पवार की राजनीतिक साख दांव पर। भाजपा की कोशिश सौ का आंकड़ा पार करने की। जबकि कांग्रेस की इच्छा। भाजपा को सत्ता से बाहर हो। हां, शरद पवार का इरादा बेटी सुप्रिया सुले को सेटल करने का। क्योंकि उनकी भी आयु। भाजपा शिंदे को साथ रखना चाहेगी। जबकि अजित पवार से पिंड छुड़ाने की जुगत में। वह भाजपा के लिए उपयोगी नहीं रहे। इसीलिए अजित चाचा शरद पवार के साथ जाने को उतावले। शिवसेना के लिए बुरा दौर। उद्धव ठाकरे की सीएम बनने की महत्वाकांक्षा ने पार्टी का बहुत नुकसान करवा दिया। फिर उन्हें अपने बेटे आदित्य ठाकरे का राजनीतिक भविष्य भी तो देखना।

Read More 8 लाख वार्षिक आय में ओबीसी क्रीमीलेयर, जनरल गरीब : राजेन्द्र 

नया संकट..
कांग्रेस अभी हरियाणा एवं जम्मू-कश्मीर की चुनावी तैयारियों में व्यस्त। इसके बाद झारखंड और महाराष्ट्र में जुटना होगा। लेकिन दक्षिण से उसके लिए अच्छी खबर नहीं। असल में, तमिलनाडु में कांग्रेस, डीएमके के साथ सत्ता में हिस्सेदार। सीएम स्टालिन की तबियत ठीक नहीं बताई जा रही। ऐसी खबरें उनके करीब ही लीक कर रहे। जिससे कांग्रेस परेशान। क्योंकि सीएम एमके स्टालिन ही रहें, तो ठीक। लेकिन उनकी नजर साल 2026 पर। जब राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे। इसे देखते हुए ही वह समय रहते बेटे उदयनिधि स्टालिन को डिप्टी सीएम बनाना चाहते। लेकिन डीएमके के ही वरिष्ठ नेता राजी नहीं। जिससे सीएम स्टालिन कोई निर्णय नहीं ले पा रहे। कहीं, चुनाव से पहले ही बगावत के हालात न बन जाएं। और इससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ेगी। क्योंकि तमिलनाडु में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा बड़ी तेजी से राजनीतिक विस्तार कर रही।    

-दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Post Comment

Comment List

Latest News

आरएएस अधिकारी प्रियंका विश्नोई की मौत के मामले में रिपोर्ट पेश आरएएस अधिकारी प्रियंका विश्नोई की मौत के मामले में रिपोर्ट पेश
राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और जोधपुर की असिस्टेंट कलेक्टर (एसीएम) प्रियंका विश्नोई  की मौत के मामले की रिपोर्ट शुक्रवार...
रणथंभौर दुर्ग स्थित भगवान त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पट 2 अक्टूबर तक रहेंगे बंद
 मुकेश की 100वीं जयंती पर जारी हुआ डाक टिकट, लोगों को आ रहा है बेहद पसंद
रूस का एक विमान पहुंचा एयरपोर्ट 
महाराष्ट्र में बस की विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक से टक्कर, 8 लोगों की मौत
जिला कलक्टर ने लालसोट के कांकरिया में रात्रि चौपाल में सुनी ग्रामीणों की समस्याएं
Gold & Silver Price: चांदी 900 रुपए और सोना 600 रुपए महंगा