स्वच्छता ही सेवा-2024 अभियान का शुभारंभ : स्वच्छता को स्वभाव, संस्कार और संस्कृति से जोड़ने का संकल्प लें: धनखड़
स्वच्छता अभियान से पहले देश कचरे के चक्कर में फंसा था, आज कचरा चक्रीय अर्थव्यवस्था में फंसा है
कार्यक्रम स्थल पर धनकड़ ने पत्नी सुदेष धनकड़ के साथ एक पेड मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण किया।
झुंझुनूं। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आमजन का आह्नान किया वे स्वच्छता को स्वभाव, संस्कार और संस्कृति से जोड़ने का संकल्प लें। धनखड़ स्थानीय परमीव पीरूसिंह राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय में स्वच्छता ही सेवा-2024 अभियान के शुभारम्भ पर समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महान व्यक्तित्तव के धनी का आज जन्मदिन है, तो दूसरे महापुरुष का 2 अक्टूबर को, इन 15 दिनों का विशेष महत्व है। सभी मिलकर इस पखवाड़े में स्वच्छता अभियान में एकजुट हो जाएं व सभी तन-मन-धन से लगकर इसे सार्थक बनाएं। उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छता एक सेवा है। यह मानवता के प्रति एक उत्कृष्ट प्रतिबद्धता है। यह एक ऐसी सेवा है जिसका लाभ सभी को मिलता है। हमें इसको खुले मन से अपनाना चाहिए। जब पूरा समाज इस दिशा में एकजुट होकर काम करेगा तो मैं पूर्ण रूप से आशावान हूं कि हम एक स्वच्छ और सशक्त भारत का निर्माण कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस दशक के दौरान प्रधानमंत्री की पहल की वजह से लोगों की मानसिकता में क्रांतिकारी और व्यापक परिवर्तन आया है स्वच्छता के प्रति उनकी दृष्टि बदली है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्घोष से एक दशक में दुनिया का सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है, यह देश में निरंतरता से बदलाव का प्रतीक है। स्वच्छ भारत अभियान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समय 130 करोड़ के देश में हर घर टॉयलेट का लक्ष्य अकल्पनीय था लेकिन पीएम की पहल से आज आया यह बदलाव भारत की प्रगति में मील का पत्थर साबित हुआ है। भारत में स्वच्छ भारत अभियान से सृजित रोजगार पर जोर देत उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में इस समय हमारे पास 10 हजार स्वयं सहायता समूह हैं जो इस मिशन से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से देश में नारी शक्ति को आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की एक नई गति मिली है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान ने शौचालय बनाकर माताओं, बहनों के जीवन से एक अभिशाप को ख़त्म किया है। स्वच्छता अभियान से पहले देश कचरे के चक्कर में फंसा था, आज कचरा चक्रीय अर्थव्यवस्था में फ ंसा हुआ है। देश में इस समय हमारे पास 10 हजार स्वयं सहायता समूह हैं जो इस मिशन से अपनी आजीविका कमा रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर धनकड़ ने पत्नी सुदेष धनकड़ के साथ एक पेड मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण किया।
सफाईकर्मी की बेटी को संसद आने का न्यौता
उन्होंने सफाईकर्मियों से कहा कि उनका कार्य गांधीजी के संकल्प को पूरा करता है। प्रतापगढ़ के सफाईकर्मी और उसकी बेटी को संसद आने का न्यौता देते एक सप्ताह के लिए मेहमान नवाजी का भी न्यौता दिया।
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