पालतू कुत्ते को कसरत नहीं कराने पर है जुर्माने का प्रावधान, पशुओं को घर से निकाल देने पर हो सकती है जेल

दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए क्रूरता पर भी है सख्त प्रावधान 

पालतू कुत्ते को कसरत नहीं कराने पर है जुर्माने का प्रावधान, पशुओं को घर से निकाल देने पर हो सकती है जेल

इन्सानों के ही नहीं, बेजुबानों के भी हैं अधिकार, आप बच्चों की तरह जीव जंतुओं या पशुओं से सिर्फ प्रेम कर सकते हैं, उनके साथ क्रूरता नहीं, किसी पक्षी का घोसला उजाड़ना भी अब पाप नहीं, अपराध है।

जयपुर। क्या आपको यह मालूम है कि आपने कुत्ते को तो पाल रखा है, लेकिन उसे पर्याप्त नहीं घुमाने या जरूरी कसरत नहीं कराने पर आपको जुर्माना लग सकता है? कई बार लोग दुधारू पशुओं को उस समय घर से निकाल दते हैं जब वे दूध देना बंद कर देते हैं या ब्याने लायक नहीं रह जाते। इसी तरह दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए कुछ मालिक उनके साथ क्रूरता भी करते हैं, और उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली दवाएं भी देते हैं। ऐसे मामलों पशु क्रूरता अधिनियम में सख्त प्रावधान हैं और जुर्माने तथा सजा तक हो सकती है। 

पालतू कुत्ते को कसरत नहीं कराई तो देना पड़ेगा जुर्माना 
पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पालतू कुत्ते को कसरत नहीं कराने पर जुर्माना जुर्माने का प्रावधान है। अधिनियम में व्यवस्था दी गई है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसे कुत्ते को जो आमतौर पर जंजीर से बंधा रहता है, उचित रूप से कसरत कराने में लापरवाही करेगा या उसे पर्याप्त आहार नहीं देगा तो संबंधित व्यक्ति पर जुमार्ना लगाया जाएगा।

केस 01
जयपुर के आदर्शनगर इलाके में कार की छांव में बैठे कुत्ते को एक युवक ने लाठी से ताबड़तोड़ पीटना शुरू कर दिया। इसके चलते कुत्ता अधमरा हो गया। घटना को लेकर आदर्शनगर थाने में युवक के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया।

केस 02
शहर के मालवीय नगर इलाके में एक युवक ने बेवजह बेजुबान कुत्ते को लाठी से बेरहमी से मारा। इस दौरान डंडे से कुत्ते की आंख भी फूट गई। इस दौरान बीच बचाव करने आए लोगों के साथ भी युवक ने हाथापाई करने की कोशिश की गई। इसके बाद युवक के खिलाफ मालवीय नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

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केस 03
तुंगा में एक किसान ने कुत्ते पर एयरगन से फायरिंग कर डाली। कुत्ते की बॉडी में 22 छर्रे घुस गए। कुत्ता दो घंटे तड़पता रहा। इस दौरान वहां से गुजर रहा युवक कुत्ते को लेकर अस्पताल पहुंचा। इलाज के दौरान कुत्ते की मौत हो गई।  किसान के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया गया।

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ये कुछ उदाहरण हैं, जहां इंसान ने जानवर बनकर कुत्तों पर अपना गुस्सा उतारा। हालांकि आम लोगों की निगाह में भले ये बड़ी घटनाएं नहीं हों, लेकिन पशु क्रूरता अधिनियम में ये बहुत ही गंभीर मामले हैं। इसकी वजह है, क्योंकि कुत्ते की मौत हुई या वह जीवनभर के लिए अपंग हो गया। अधिकतर लोगों को मालूम नहीं कि आवारा और पालतू पशुओं को पीड़ा पहुंचाने वाली छोटी-छोटी बातों के लिए सजा का प्रावधान है।

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पशु का परित्याग करना भी अपराध
अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति बिना उचित कारण अपने पशु का ऐसी परिस्थिति में परित्याग करेगा, जिससे पशु के भूख और प्यास से पीडा पहुंचे तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ जुमार्ने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा यदि पशु को अपर्याप्त पिंजरे में रखने को भी जुमार्ने की श्रेणी में माना गया है।

दूध बढ़ाने के लिए पशु के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया तो जाना होगा जेल
अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी गाय या अन्य दुधारू पशु पर फूका या डूमदेव नाम की क्रिया या दूध को बढाने के लिए कोई ऐसा कार्य करेगा, जो उस पशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो व्यक्ति को दो साल तक की सजा मिल सकती है।

मनोरंजन के लिए शिकार बनाना भी गलत
इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति केवल मनोरंजन के लिए किसी पशु को इस तरह रखेगा कि दूसरा पशु आकर उसका शिकार कर ले या पशुओं को आपस में लडाएगा तो व्यक्ति दोषी माना जाएगा। इसके तहत पशु को चारे के रूप में बांधा जाना भी शामिल है। भारत में पशु-पक्षियों के घोंसले या उनके आवासों को नुकसान पहुंचाना कानून के तहत अपराध माना जाता है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (वाइर्ल्ड लाइफ प्रोटेक्शन 1972) के अनुसार, वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवास से छेड़छाड़ करना, उन्हें नुकसान पहुंचाना, या उनकी हत्या करना अपराध है।

प्रासंगिक प्रावधान
धारा 9: किसी भी वन्य जीव का शिकार करना प्रतिबंधित है। इसमें उनके घोंसले या आवास को नुकसान पहुंचाना भी शामिल है।
धारा 51: उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है, जिसमें जेल और जुमार्ना दोनों हो सकते हैं।
भारतीय संविधान: संविधान के अनुच्छेद 48अ और 51ए(जी) में पर्यावरण और जीव-जंतुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निर्धारित की गई है?

पशु कू्ररता निवाराण अधिनियम कई दशकों पहले बना था, इसलिए इसमें अपराध की सजा के तौर पर जुर्माना राशि बहुत कम थी अब वक्त के साथ इस जुर्माना राशि को बढ़ाने की सख्त जरुरत है। ताकि जुर्माना की राशि को देखते हुए निहिर पशुओं पर कू्ररता नहीं हो।
-बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद्

मूक पशुओं पर अपराध होने के चलते इन्हें हर कोई सामान्यतौर पर लेता है। पीड़ित पशु अपनी कहीं शिकायत नहीं कर सकता। ऐसे में इन पर कू्ररता ना हो यह हमे स्वयं ही सुनिश्चित करना होगा।
कुसुमलता अग्रवाल, पशु प्रेमी

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