रिसर्च में हुआ खुलासा : प्राइमरी पैथोलॉजिकल कारणों पर निर्भर करती है नी रिप्लेसमेंट की सफलता
जयपुर के चिकित्सकों के रिसर्च में आया सामने
चोट के बाद होने वाली आर्थराइटिस यानी पोस्ट ट्रोमैटिक आर्थराइटिस में बोन डिफेक्ट्स, फ्रैक्चर, डिफॉर्मिटी, लिगामेंट इंस्टेबिलिटी भी सर्जरी की कॉम्प्लिकेसी और सफलता को प्रभावित करते हैं।
जयपुर। घुटने के प्रत्यारोपण की सफलता उसके प्राइमरी पैथोलॉजिकल कारणों पर निर्भर करती है। ये खुलासा जयपुर के चिकित्सकों द्वारा किए गए रिसर्च में हुआ है। रिसर्च में सामने आया है कि 14 से 23 प्रतिशत केस में सही किए गए प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज को समस्या रह जाती है, इसका मुख्य कारण प्रत्यारोपण के लिए डायग्नोसिस की कमी हो सकती है। ये रिसर्च पिछले 25 सालों में हजारों जोड़ प्रत्यारोपण कर चुके राजधानी जयपुर के वरिष्ठ जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. विजय शर्मा और उनकी टीम ने किया हैं। उन्होंने 25 सालों में किए गए केसेज की रेट्रोस्पेक्टिव स्टडी की हैं। इसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं।
ओस्टियो आर्थराइटिस में प्रत्यारोपण ज्यादा सफल
डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि रिसर्च में हमने पाया है कि घुटने के प्रत्यारोपण की सफलता उसके प्राइमरी पैथोलॉजिकल कारणों पर निर्भर करती है। ओस्टियो आर्थराइटिस में यह प्रत्यारोपण सबसे ज्यादा सफल होता है और दर्द निवारण, मोबिलिटी के साथ गुणवत्ता पूर्ण जीवन प्रदान करता है। रूमेटॉयड आर्थराइटिस में सॉफ्ट टिश्यू का ज्यादा इन्वॉल्व होना, विकृति ज्यादा होना और बोन की क्वालिटी खराब होना सर्जरी की सफलता को प्रभावित करते हैं। चोट के बाद होने वाली आर्थराइटिस यानी पोस्ट ट्रोमैटिक आर्थराइटिस में बोन डिफेक्ट्स, फ्रैक्चर, डिफॉर्मिटी, लिगामेंट इंस्टेबिलिटी भी सर्जरी की कॉम्प्लिकेसी और सफलता को प्रभावित करते हैं। कई बार ऐसे केसेज में विशेष प्रकार के इंप्लांट की जरूरत पड़ती है।
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