जयपुर-उदयपुर को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए मिलेंगे 100-100 करोड़, हर रोज 900 टन कचरे का होगा निस्तारण

जयपुर में तीन प्रोजेक्ट तैयार

जयपुर-उदयपुर को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए मिलेंगे 100-100 करोड़, हर रोज 900 टन कचरे का होगा निस्तारण

14 राज्यों के 18 शहरों के साथ एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के शुभारंभ पर जयपुर में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 

जयपुर। देश की 100 स्मार्टसिटी में से ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 18 शहरों का चयन किया गया हैं, इसमें राजस्थान के दो शहर जयपुर और उदयपुर शामिल हैं। इन शहरों को प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी से जुडे कामों के लिए 100-100 करोड़ मुहैया करवाए जाएंगे, जिसमें 50 प्रतिशत केन्द्र और 50 प्रतिशत राशि राज्य की शामिल होगी। 14 राज्यों के 18 शहरों के साथ एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के शुभारंभ पर जयपुर में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 

जमीन पर नहीं गिरेगा कचरा
प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में केन्द्र से मिलने वाली 50 करोड़ की राशि से जयपुर में तीन प्रोजेक्ट धरातल पर लाए जाएंगे। इसके लिए जयपुर में तीन जगहों का चिह्निकरण कर लिया गया हैं। वर्तमान में जयपुर शहर से हर रोज निकलने वाले करीब 2100 टन कचरे को डंपिंग यार्ड के बाद फिलिंग साइट पर पहुंचाया जा रहा हैं। आने वाले समय में एक प्रोजेक्ट के तहत 300 टन कचरे को रिसाइकिल किया जाएगा। ऐसे में 900 टन कचरे का हर रोज रिसाइकिल हो सकेगा। वर्तमान में केवल 200 टन कचरे का ही रिसाइकिल किया जा रहा हैं।

जमीन पर नहीं आएगा कचरा
भावी परियोजना के तहत एक बार जमीन से कचरा उठाकर कॉम्पेक्टर में डाला जाएगा, वहां से कचरा सीधा रिड्यूज प्लांट तक जाएगा, जो सीधे ही मशीन के प्लेट फार्म पर डाला जाएगा जमीन पर नहीं आएगा। इसमें से मशीन के जरिए प्लास्टिक को अलग करते हुए बॉक्स तैयार किए जाएंगे और शेष कचरे के मेटेरियल में मिट्टी या अन्य को अलग करते हुए दूसरे वाहनों में डाला जाएगा। जो बंद कॉम्पेक्टर के जरिए दूसरे स्थानों पर परिवहन किया जा सकेगा।

खुले वाहनों से नहीं फैलेगा कचरा
वर्तमान में घरों से कचरा एकत्रित करने के बाद उसे पास ही स्थित डंम्पिंग यार्ड में लाया जाता है, जहां उसमें से प्लास्टिक और इलेक्ट्रिक मेटेरियल को छांटकर अलग किया जाता है। वहां से फिर वाहनों में लोड करके लैण्ड फिल साइट पर पहुंचाया जाता है, जो वाहनों से जाते हुए सड़कों पर फैलता रहता हैं। नए प्रोजेक्ट के तहत ये बंद वाहनों से ही साइट पर पहुंचाया जाएगा।

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