गुजरियाखेड़ा में खेत और रास्ते हो रहे पानी-पानी
धरतीपुत्र बोले ऐसी स्थिति रही तो एक माह बाद भी नहीं हटेगा पानी
प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया पर नहीं हुआ समाधान।
भण्डेड़ा। क्षेत्र में गुजरियाखेडा के धरतीपुत्रों के चार से पांच हजार बीघा भूमि में पानी की उचित निकासी नही होने से फसलें तो पूरी तरह नष्ट हो चूकी है। क्षेत्र में बारिश हुए लगभग ग्यारह दिन बीत गए है। पर अभी भी खेत तो तालाब बने हुए है। वही आम रास्ते के भी यही हाल बने हुए है। हर रोज आवाजाही करने पर एक से डेढ़ फीट बरसाती पानी से होकर गुजरने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्षेत्र के धरतीपुत्रों ने नैनवां उपखंड स्तर के अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासनिक अधिकारियों तक लिखित पत्र देकर पानी निकासी की मांग कर चूके है। पर अभी तक समस्या का समाधान के नाम पर सभी चुप्पी साधे हुए है। जिससे ग्रामीणों में जिम्मेदारों के प्रति काफी रोष व्याप्त नजर आया है।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र के गुजरियाखेड़ा के एक तरफ के माल में लगभग चार से पांच हजार बीघा भूमि में क्षेत्र में पहली भारी बारिश होते ही पानी भर जाता है। जो पूरे बारिश के समय ही पानी बढ़ता जाता है। इस समय हाल यह बने हुए है जो किसान परिवार सहित खेत व कुओं पर निवास करते है। उन्हें घर छोड़ते ही पानी से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चों को स्कूल आवाजाही के दौरान पारिवारिक सदस्यों को साथ आवागमन करना पड़ता है। स्कूल से आने का समय होते ही बरसाती पानी की जगह बच्चें नही आए उससे पहले परिवार के सदस्यों को गांव के पास पहुंचना पड़ता है। खेतों का पानी सड़कों पर टकराकर फैला हुआ है। रास्ते की ऊंचाई कम होने से रास्ते भी तरबतर हो रहे है। यहां से गुजरते समय पानी में कंटीली कांटे नजर नही आते है। जो कीचड़ व पानी में कांटे तक चुभ जाते है। हर रोज पानी से गुजरते हुए दो माह से भी अधिक समय हो गया पैरो की चमड़ी गल गई। जो दिनरात दर्द दे रही है। खाने पीने की आवश्यक सामग्री के लिए भी गांव व कस्बों में आना जाना पड़ता है।
फसलें बर्बाद हो गई, अभी भी खेतों में बरसाती पानी भरा हुआ है। खेत व कुएं पर रहते समय जहरीले जीव-जंतुओं का भी खतरा बना हुआ है। एक फसल तो बर्बाद हो गई। आगे की फसल के लिए खेतों में भरा पानी इस हाल में तो लगभग एक माह से भी अधिक समय तो पानी कम होने में लग जाएगा। फिर कब हंकाई जुताई कर खेतों को तैयार किया जाएगा। इस बीच एक बारिश हल्की-फुल्की भी होती है। तो इस क्षेत्र में फसलों की बुवाई होना संभव नहीं होने की चिंताएं सताने लगी है। क्षेत्र में लगभग नब्बे प्रतिशत खेती पर निर्भर: धरतीपुत्रों का कहना है कि क्षेत्र में खेती के अलावा यहां व आसपास में मजदूरी का उचित स्त्रोत नही है। जो क्षेत्र के लगभग नब्बे प्रतिशत ग्रामीण खेती पर निर्भर है। जो हर वर्ष बारिश के होते ही धरतीपुत्र अच्छी उपज की आस लगाकर मंहगे दामों में उचित बीज खरीदकर बुवाई करते है।
अन्नदाताओं की पीड़ा से अनजान प्रशासनिक अधिकारी
खेतों में पानी को भरे हुए दो महिनों से अधिक समय गुजर गया। खरीफ फसलें पूर्णत: नष्ट हो चुकी है। कुएं पर मकान के चौतरफा पानी ही पानी भरा हुआ है। दोतरफा बने ग्रेवल की सड़कों में पानी निकासी नही होने से हमारे परिवार का जीना दूभर हो गया है। पानी निकासी को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को भी लिखित-पत्र देकर अवगत कराया जा चूका है। मगर अधिकारी नही जाने किसके दबाव में है। जो इस क्षेत्र की पानी निकासी से अवगत करवाया जाने के बाद भी चुप्पी साधे हुए है। जिसका खामियाजा हम भुगत रहे है।
- सत्यनारायण मीणा, निवासी गुजरियाखेड़ा
गांव में जगह का अभाव होने से लंबे समय से ही कुएं पर मकान बनाकर परिवार सहित निवासरत है। ग्रेवल की सड़कों पर पानी निकासी पूर्णतया बंद होने से हर वर्ष बारिश के होते ही यही हाल बन जाते है। खेत पर उचित सीढ़ी लेकर मकान बना रखे है। जिनके चहूंओर पानी भरा हुआ है। घर से निकलते ही एक से दो फीट पानी से गुजरना पड रहा है। सड़क पर पानी की उचित निकासी करे तो परिवार भी सुरक्षित रहे व खेती को भी बचाया जा सकता है। विभागीय अधिकारी नही जाने किस दबाव में है। जो जब-जब भी इस समस्या को लेकर जाते है, तो पत्र तो लेते है। पर मौके पर आकर नही देखा जाता है। विभागीय अधिकारी जल्द पानी की निकासी नही करवाएंगे, तो ग्राम पंचायत पर पहुंचकर आक्रोश जताया जाएगा।
- गिलेरीराम गुर्जर, निवासी गुजरियाखेड़ा
इस क्षेत्र में जब से ग्रेवल सड़क बनी है। तब से लंबा समय गुजर गया बारिश के समय की फसलें की बुवाई हो जाती है। दवाइयां लग जाती है। जब तेज बारिश होते ही पूरे क्षेत्र में पानी ऊपर से भी आ जाता है। दोनों तरफ ग्रेवल सड़कें इस क्षेत्र के धरतीपुत्रों के लिए आफत बन जाती है। हर रोज खेत व कुएं से गांव तक पहुंचने के लिए कमर तक पानी से गुजर रहे है। जो दो माह बीत चूके है। अभी भी पानी कम नही हो रहा है। अभी तक ऊपर की तरफ से पानी आ रहा है। हमारे खेतों का पानी कम नही हो रहा है। परिवार का भरणपोषण में भी समस्या बनती जा रही है। आखिर करें तो क्या करें इन्हें छोड़कर कहां जाए। संबंधित जिम्मेदार हमारी समस्या को संज्ञान में लेकर जल्द निराकरण करें।
- भगवान सिंह, निवासी गुजरियाखेड़ा
एक तरफ सरकार शिक्षा जरूरी बता रही है। हमारे नौनिहालों को स्कूल जाने के लिए एक किमी दूरी तक ताल-तलैया बने खेतों की पानी भरी मेढ़ के रास्ते से गुजरना पड़ता है। इस पानी में बच्चों के कपड़े तक भीग जाते है। रास्ता पार के दौरान कही फिसलने पर पूरी यूनिफॉर्म गंदी हो जाती है। यह समस्या हर रोज की दो माह से बनी हुई है, जो अभी भी एक माह तक बनी रहेगी। इस दरमियान बारिश हो जाती है, तो अधिक समय तक पानी से होकर ही गुजरने को मजबूर होना पड़ेगा। आगामी समय में फसलों की बुवाई भी समय पर नही होगी। एक चिंता यह भी सताने लगी है।
- सीताराम मीणा, निवासी गुजरियाखेड़ा
ग्रामीणों ने हमे अवगत नही करवाया था। पंचायत समिति में अवगत कराया गया है। विभाग मौके पर आकर देखे, जहां पर पानी की निकासी होती है। वहीं से इस पानी की निकासी करवानी चाहिए।
- कैलाश सैनी, सरपंच ग्राम पंचायत सादेड़ा
मामला मेरी जानकारी में नही आया है। ग्रामीण देकर गए होंगे तो मैं मोके पर नही था। अब मामला जानकारी में आया है, तो एईएन को भेजकर मौका दिखाया जाएगा।
- ग्यारसीलाल मीणा, बीडीओ पंचायत समिति नैनवां
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