ताने सहकर भी नहीं टूटी पूजा, ट्रांसपोर्ट बिजनेस में जमाई धाक

हजारों लोगों को दे रहीं रोजगार : 24 सालों में अजमेर से हाड़ौती तक अकेले बढ़ाया बिजनेस

ताने सहकर भी नहीं टूटी पूजा, ट्रांसपोर्ट बिजनेस में जमाई धाक

पहली बार मैं और छोटी बहन घर की चौखट पार कर पिता का बिजनेस संभालने छोटी सी दुकान में पहुंचे।

कोटा।  ‘‘त्वं हि सा परमा शक्तिरनन्ता परमेष्ठिनी। सर्वभेदविनिर्मुक्ता सर्वभेदविनाशिनी॥’’
(हिन्दी अर्थ - तुम ही वह परम शक्ति हो, जो अनंत और परम स्थान की अधिष्ठात्री है। 
तुम सभी भेदों से मुक्त हो और सभी भेदों का नाश करने वाली हो।)
यह पंक्ति नारी शक्ति की असीम और उच्चतम स्वरूप का वर्णन करती है। यह पद्य  महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में बहुत प्रासंगिक है। पद्य में कहा गया है कि महिला हर प्रकार के भेदभाव से मुक्त है और समाज में व्याप्त इन भेदों को समाप्त करने की शक्ति भी रखती है। महिला शक्ति न केवल दिव्य और अनन्त है, बल्कि वह समस्त भेदों को समाप्त कर समाज को एक नए और बेहतर भविष्य की ओर ले जा रही है। इसी सोच को लेकर दैनिक नवज्योति नवरात्र के नौ दिन तक समाज के  विभिन्न क्षेत्रों में  विशेष कार्य करने वाली  महिलाओं को पाठकों को रूबरू कराएगा।  पिता का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय था। 12वीं कक्षा में पढ़ती थी, तब उनकी अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। बड़े भाई ने घर की जिम्मेदारी उठाई और पिता का बिजनेस संभाला। जिंदगी ठीक कट रही थी। हम तीनों बहनें भाई की छत्रछाया में सिविल सर्विसेज में जाने के ख्वाब देखने लगे। लेकिन, कू्रर नियति ने हमारा इकलौता भाई भी छीन लिया। परिवार बिखर गया।  खुद को व मां को संभालना मुश्किल हो गया। अब घर की जिम्मेदारी हम तीनोें बहनों पर थी। परिवार पर आर्थिक तंगी के बादल मंडराने लगे। बड़ी बहन की शादी भी नजदीक थी।   

पहली बार मैं और छोटी बहन घर की चौखट पार कर पिता का बिजनेस संभालने छोटी सी दुकान में पहुंचे। लेकिन, पुरूष प्रधान व्यवसाय होने के चलते लोगों को हमारा हमारा ट्रांसपोर्ट  क्षेत्र में आना पसंद नहीं था। तुम लड़कियों से यह काम नहीं होगा..., दिन-रात पुरूषों के बीच रहना होता है..., आधी रात को भी दौड़ना पड़ता है... कोई सनकी तो कोई सिरफिरा भी टकराएगा, तुम नहीं संभाल पाओगी....,तरह-तरह के ताने सहने पड़ते थे, आंसू आते पर छिपा लेते, गुस्सा आता, पी जाते। हालांकि, कुछ ट्रांसपोटर्स ने काम सीखने में हमारी मदद की।  संघर्ष की यह कहानी है, रामपुरा निवासी पूजा धमीजा की। पूजा, कोटा संभाग की एकमात्र महिला ट्रांसपोर्टर हैं, 24 सालों में उन्होंने अजमेर से हाड़ौती तक बिजनेस जमाकर अपना वर्चस्व कायम किया। 

जुनून ऐसा की पुरूष भी पीछे रहें
24 साल से ट्रांसपोर्ट का बिजनेस कर रही पूजा 49 साल की हो चुकी है। काम के प्रति जूनून देख  पुरूष ट्रांसपोर्टर भी दंग रह जाते हैं। कई बार माल अनलोडिंग करने के लिए लेबर नहीं होती तो वह खुद ट्रक, मिनीडोर में चढ़ भारी-भरकम कार्टून कंधों पर उठा गोदाम तक पहुंचाती है। वहीं, डिलीवरी के दौरान गाड़ी खराब हो जाती तो तुरंत दूसरे वाहन का इंतजाम करने, नो-एंट्री में फंसे वाहनों को निकलवाने, समय पर बुकिंग पहुंचाने सहित कई चुनौतियां सामना आसानी से निपटा देती है। ट्रांसपोर्ट के काम में पूजा का कई बार शराबी व उत्पाती ड्राइवरों से भी पाला पड़ता है। लेकिन वह  उनकी दबंगता के कारण पंगा लेने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते।  

आईपीएस बनना था, ट्रांसपोर्टर बन गई
पूजा बतातीं हैं, आईपीएस बनना चाहती थी। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पिता व भाई की मृत्यु के बाद  घर चलाने की जद्दोजहद में आईपीएस ख्वाब ही बनकर रह गया। शुरुआती दौर में पुराने कर्मचारियों ने बिलों में फर्जीवाड़ा कर लाखों का नुकसान पहुंचा दिया। गलतियों से सबक लिया और बिजनेस को आगे बढ़ाने में जुट गई। इसी तरह से मैं ट्रांसपोर्टर बनकर रह गई।

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बहन मां को संभालतीऔर मैं बिजनेस
पूजा ने मां और बिजनेस की जिम्मेदारी के चलते शादी नहीं की। जबकि, उन्होंने अपने दम पर बड़ी और छोटी बहनों की शादी की और अकेले बिजनेस भी संभाल रही हैं। उन्होंने बताया कि बड़ी बहन की दिल्ली में शादी हुई थी, जो अब कोटा ही शिफ्ट हो गई है। ऐसे में दिन में वह मां के पास रहती है और में दुकान व गोदाम पर रहती हूं। बहनों के सहयोग से मैं इतना कुछ कर पा रही हूं। सुबह 11.30 बजे से दिनचर्या शुरू होती है। रात 12 बजे तक अजमेर, जयपुर व सोजत से आने वाली गाड़ियों को खाली करवाती हूं। इसी बीच बुकिंग भी जारी रहती है।  
 
चुनौतियां अपार, भरोसे पर टिका बिजनेस
पूजा कहतीं हैं,  बुकिंग करवाने वाले को निर्धारित समय पर काम पहुंचाना, नोएंट्री से पहले लोडिंग वाहन गोदाम तक पहुंचना सहित कई चुनौतियां हैं। गत मंगलवार रात अचानक ड्राइवर भाग गया, वहीं, बाहर से आई गाड़ियों को अनलोडिंग करने के लिए स्टाफ भी गायब हो गया। ऐसे में रात 12 बजे घर से गोदाम पहुंची और दूसरी गाड़ी की व्यवस्था कर जिसको माल पहुंचाना था, वहां के लिए गाड़ी रवाना की। वहीं, लेबर के लिए हमारे सहयोगी ट्रांसपोर्टर से मदद मांग आधी रात तक माल खाली करवाया।

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