अंग की जंग में ‘दान’ का इंतजार : चाहिए 1075, जागरूकता की कमी से हर रोज प्रदेश में 1272 का अंतिम संस्कार
हर आदमी में होती हैं दस-बीस आदमियों की जिंदगियां
परिजनों को डर रहता है कि अस्पताल वाले ऑर्गन्स बेच देंगे।
जयपुर। राजस्थान में ऑर्गन ट्रान्सप्लांट की वेटलिस्ट में हैं 1075 लोग। वहीं, ऑर्गन डोनर लिस्ट पर केवल 48 लोग ही हैं। साथ ही, प्रदेश में औसतन रोजाना 1272 से अधिक मौतें होती हैं। इनमें से कई मृतक अगर ऑर्गन डोनर हों तो वेटलिस्ट काफी छोटी हो सकती है। हार्ट, लंग्स, लीवर, किडनी, पेनक्रियाज और इंटेस्टाइन से दूसरों का जीवन बच सकता है तो कॉर्निया, स्किन, हार्ट वॉल्व, बोन्स, लिगामेंट, ब्लड वेसल्स, हाथ, चेहरा और कान तक दूसरों के लगाकर उन्हें नया जीवन दिया जा सकता है।
प्रदेश में स्टेट ऑर्गन एण्ड टिश्यू
ट्रान्सप्लांट ऑर्गनाइजेशन-सोट्टो की वेटलिस्ट पर 694 लोग गुर्दों, 281 लोग लिवर और 100 लोग हृदय के लिए हैं। एक दिवंगत व्यक्ति की देह से 6 अंग और कितने ही टिश्यू मिल सकते हैं।
पुरानी तकनीकों के कारण नहीं होती अधिकतम ऑर्गन हार्वेस्टिंग
मेडिकल साइंस में अग्रणी देशों में सब मृतकों से ऑर्गन हार्वेस्ट किये जाते हैं। लेकिन भारत में सिर्फ ब्रेन डेड लोगों के ही ऑर्गन्स हार्वेस्ट किये जा सकते हैं। बाकी मृतकों में से सिर्फ स्किन, आंखें और कुछ टिश्यू ही हार्वेस्ट किये जा सकते हैं।
ऑर्गन्स की कमी, तस्करी का खतरा
लंबी वेटलिस्ट और आर्गन्स की कमी के कारण अंग तस्करी को बढ़ावा मिलता है। हाल ही में देश में इसके कई मामले सामने आ चुके हैं।
भारत में ट्रांसप्लांटेशन दर बहुत कम
वैसे तो भारत में चीन और अमरीका के बाद दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट होते हैं। पर जनसंख्या के हिसाब से देश में अंग प्रत्यारोपण की दर कम है। देश में दस लाख की आबादी पर 0.65 लोगों के प्रत्यारोपित अंग हैं, जबकि अमेरीका में यह दर 123.3 है। भारत की आर्गन डॉनेशन दर प्रति दस लाख आबादी पर केवल 0.8 है। लेकिन देश में आवश्यकता 65 प्रति दस लाख की है।
धर्म भी करता है अंगदान का समर्थन
डॉ. पुरोहित ने यह भी बताया कि लोगों में एक प्रचलित मान्यता है कि जिस अंग का दान देंगे अगले जन्म में उस अंग के बिना पैदा होंगे। इन सब बातों का कोई धार्मिक आधार नहीं है। धर्म में तो अंगदान की एक लंबी परम्परा है, जहां महादान माना गया है। ऋषि दाधीचि ने इंद्र को वज्रास्त्र बनाने के लिए हड्डियों का दान दिया था। कर्ण ने भी अपने कवच-कुंडल दान में दे दिए। जातकों में लिखा है कि महात्मा बुद्ध ने अपने एक पिछले जन्म में राजा शिवि के रूप में एक नेत्रहीन भिक्षु को अपनी दोनों आंखों का दान दिया था।
डोनेशन रेट को बढ़ाना ही है इलाज
देश में सालाना सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.5 लाख से ज्यादा ब्रेन डेथ के केस होते हैं। इनमें से अधिकतम को ब्रेन डेथ के तौर पर पहचाना नहीं जाता। साथ ही, डोनेशन रेट भी बहुत कम है। इसके चलते 2023 में केवल 1028 मृत डोनर थे, जिनके अंगों से 3000 से अधिक ट्रांसप्लांट हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि डोनेशन रेट को बढ़ाना ही इलाज है।
जागरूकता की कमी सबसे बड़ी चुनौती
राजस्थान के विशेषज्ञों ने अंग प्रत्यारोपण पर टिप्पणी करने से इनकार किया तो संवाददाता ने मध्यप्रदेश सोट्टो के नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष पुरोहित से बात की। वे बोले- देशभर में ऑर्गन डोनेशन को लेकर आमजन में भ्रांतियां और डर हैं। परिजनों को डर रहता है कि अस्पताल वाले ऑर्गन्स बेच देंगे।
ऋषि दाधीचि ने देवराज इंद्र को असुरों से लड़ने के लिए अपनी अस्थियों का दान दिया था। अंगदान महादान है। धर्म इसका बिल्कुल विरोध नहीं करता।
-महंत पंडित कैलाश शर्मा, श्री गणेश मंदिर मोतीडूंगरी, जयपुर
व्रतों के पालन में गृहस्थ के लिए संकल्पपूर्वक किसी संज्ञी पंचेंद्रीय जीव की जान बचाना के लिए एक महान व्यावहारिक धर्म है। इसी आधार पर एक गृहस्थ जन कल्याण की भावना से अंगदान जैसा पुनीत कार्य कर सकता है।
-संयम जैन, जैन दर्शन अध्यापक, श्री टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धांत महाविद्यालय, जयपुर
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