बाल उद्यान में बच्चों के झूले तो हैं लेकिन झूलने लायक एक भी नहीं
भगवान महावीर के नाम पर है उद्यान
7 साल पहले पार्क पर किए थे लाखों रुपए खर्च।
कोटा। नगर निगम कोटा उत्तर में भगवान महावीर के नाम पर बाल उद्यान तो बनाया हुआ है। उस उद्यान में बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए हैं लेकिन इसकी हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि वहां एक भी झूला झूलने लायक नहीं है। सभी टूटे होने से बच्चों के चोट लगने का खतरा बना हुआ है। नगर निगम कोटा उत्तर के वार्ड 35 में जयपुर गोल्डन बहुमंजिला पार्किंग के सामने मुख्य मार्ग पर तालाब किनारे है भगवान महावीर बाल उद्यान। तालाब के किनारे और मैन रोड पर होने से यहां से गुजरने वाले अधिकतर लोग इस उद्यान को देखकर अनायास रूक जाते है। अपने छोटे बच्चों को पार्क में लेकर जाते हैं। जिससे वे कुछ देर बच्चों को पार्क में घुमा सकें और उन्हें छोटे-छोटे झूलों का आनंद दिला सके। लेकिन अधिकतर लोग वहां अंदर जाकर पार्क की हालत देखकर ही बच्चों को बिना झूला झुलाए ही वापस लौट रहे हैं। इसका कारण पार्क के सभी झूलों का टूटा होना है।
2018 में हुआ था पार्क का लोकार्पण
पार्क के विकास कार्यों का लोकार्पण अप्रैल 2018 में कोटा उत्तर के तत्कालीन विधायक प्रहलाद गुंजल व न्यास के अध्यक्ष राम कुमार मेहता व महापौर महेश विजय ने किया था। उसके बाद से यह पार्क कुछ समय तक तो सही रहा। लेकिन वर्तमान में बदहाली का शिकार हो रहा है।
न्यास अधिकारी नहीं देते ध्यान
नगर निगम कोटा उत्तर वार्ड 35 के स्थानीय पार्षद सुनील शर्मा का कहना है कि यह पार्क उनके वार्ड में है लेकिन पार्क केडीए(न्यास) के अधीन आता है। इस पार्क के टूटे झूले सही करवाने के लिए अधिकारियों को कई बार अवगत करवा दिया लेकिन वे कोई ध्यान ही नहीं देते। इस पार्क के टूटे झूले सही करवाने के प्रयास किए जाएंगे। इधर कोटा विकास प्राधिकरण के एक्सइएन सुमित चित्तौडा का कहना है कि झूलों व उसकी मरम्मत का आंकलन कराया जा रहा है। उसके बाद उन्हें सही कराया जाएगा।
एक भी झूला नहीं है सही
पार्क में मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही बच्चों की फिसल पट्टी वाला झूला है। दो पट्टी हैं लेकिन दोनों नीचे से टूटी हुई है। जिससे बच्चा यदि फिसलता हुआ नीचे आता है तो उस टूटे हिस्से के पास आने पर उसके चोटिल होने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में परिजन अपने बच्चों को इस झूले में नहीं झुलाकर दूसरे झूले की तरफ जाते हैं। पास ही लोहे के पाइप पर जंजीर से लटके हुए दो पट्टे वाले झूले हुआ करते थे। लेकिन वे दोनों ही झूले गायब हैं। वहां सिर्फ लोहे के पाइप ही नजर आ रहे है। इसके बाद परिजन आगे बढ़कर तालाब की तरफ नीचे बने हिस्से में जाते हैं। वहां जाकर भी देखते हैं कि फिसल पट्टी वाला झूला बीच से ही टूटा हुआ है। साथ ही छोटे बच्चों के लिए खिलौने वाले झूले लगे हुए थे। वे भी अब वहां नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में परिजन पार्क में आते हैं और बिना रूके वहां से चंद मिनटों में ही वापस लौट रहे है। ऐसा मंगलवार को कई लोगों के साथ हुआ।
नल टूटा हुआ और कैंटीन बंद
पार्क में पीने के पानी के लिए हालांकि वाटर कूलर लगा हुआ है। लेकिन वहां नल है जो टूटा हुआ है। जिससे पौधों को पानी देने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। पौधों व क्या रियों में पानी नहीं देने से अधिकतर पौधे सूखे हुए हैं। पार्क में चारों तरफ कचरा फेला हुआ है। इतना ही नहीं पार्क के अंदर अबसे अंत में कैंटीन के रूप में 3 दुकानें बनी हुई है। जिन पर टीन शेड भी लगा है। लेकिन हालत यह है कि यह बंद है। जिससे यहां आने वाले खाद्य पदार्थों का आनंद नहीं ले पा रहे है।
टॉयलेट बदहाल
पार्क में कैंटीन के पास ही टॉयलेट तो बना हुआ है। लेकिन वह पूरी तरह से बदहाल हो रहा है। उसे देखने से ऐसा लगा रहा है मानों बरसों से इसका उपयोग ही नहीं हुआ। साथ ही इसकी सफाई तक नहीं की गई। जिससेस लोग इसका उपयोग कर सके। हालांकि इस पार्क में चौकीदार तैनात है। उसके बाद भी पार्क दुर्दशा का शिकार है।
पार्क में झूले ही होते हैं आकर्षण
पार्क में घूमने आए लोगों का कहना है कि हर पार्क में बच्चों के लिए झूले ही आकर्षण का केन्द्र होते हैं। भीमगंजमंडी निवासी नरेश मीणा ने बताया कि वे परिवार समेत दादाबाड़ी जा रहे थे। रास्ते में यह पार्क नजर आया तो बच्चा झूले के लिए जिद करने लगा। सोचा कुछ देर इसे झूला झला देते हैं। लेकिन अंदर आकर देखा तो एक भी झूला सही नहीं है। सभी टूटे होने से बच्चे के चोट लगने का खतरा होने से वापस जाना पड़ रहा है। रामपुरा निवासी अनिल सक्सेना ने बताया कि इस क्षेत्र के लोगों के लिए यह सबसे नजदीक का पार्क है। भगवान महावीर के नाम पर यह पार्क बनाया गया है। लेकिन यह पार्क अनदेखी का शिकार होने से बदहाल हो रहा है।
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