कृष्ण बलराम मंदिर में 450 भक्तों ने लिया श्रील प्रभुपाद आश्रय
आश्रय कार्यक्रम 6 अलग-अलग स्तरों पर होता है
श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में आयोजित होने वाले श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह में लोगों ने साधना भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
जयपुर। जीवन के दुखों को त्यागकर सुख का मार्ग कैसे अपनाया जाए इस ज्ञान का पथप्रदर्शन करता है, भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का मार्ग और भक्ति के मार्ग में प्रशस्त होने का रास्ता दिखाता है श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह। श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में इस समारोह का आयोजन हुआ, जिसमे भक्ति मार्ग की परीक्षा एवं इंटरव्यू पास कर चुके 450 भक्तों ने इस मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा ली। गौरतलब है की आश्रय लेने वालो में देश के अलग अलग हिस्सों से भक्तों ने हिस्सा लिया।
आश्रय में भाग लेने वालों में पुरुष और महिलाएं दोनों ही शामिल थे। श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में आयोजित होने वाले श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह में लोगों ने साधना भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया। आश्रय लेने वाले सभी भक्त बहुत ही उत्साहित हैं क्योंकि उनके जीवन की एक नई आध्यात्मिक शुरुआत हुई है सभी भक्त भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए बहुत ही उत्सुक हैं।
मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने आश्रय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की भगवान श्री कृष्ण का भक्ति मार्ग सर्वश्रेष्ठ है और भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद श्री गौड़ीय वैष्णव परंपरा के महान आचार्य एवं गुरु हैं जिन्होंने पूरे विश्व में हरे कृष्ण आंदोलन को स्थापित किया।
उन्होंने बताया की आश्रय कार्यक्रम 6 अलग-अलग स्तरों पर होता है जिन्हें पास करके भक्त श्रील प्रभुपाद का आश्रय लेने के हक़दार होता है , यह दीक्षा से पूर्व की प्रक्रिया है जिसमे कम से कम 2 साल का समय लगता है। परीक्षा के लिए पुस्तकों का पठन करना होता है , लिखित परीक्षा पास करना और इसके अंतिम चरण में साक्षात्कार होता है। सभी चरणों को पास करके दीक्षा के लिए भक्त तैयार होता है और भक्ति मार्ग में आगे बढ़कर अपना जीवन सफल बनाता है ।
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