जिस दिन अमावस्या की रात होती है उसी दिन मनाई जाती है दीपावली

हिन्दू पंचांगों और सरकारी कैलेण्डर के बीच पैदा हुए मतभेद से बनी है

जिस दिन अमावस्या की रात होती है उसी दिन मनाई जाती है दीपावली

केन्द्र और राज्य सरकार के कैलेण्डर में दीपावली का अवकाश 31 अक्टूबर को है, जबकि राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और मध्य प्रदेश के ज्योतिषीय पंचांगों में दीपावली का पर्व एक नवम्बर को बताया है।

जयपुर। इस बार दीपावली पर्व की तारीख को लेकर पैदा हुए असमंजस की स्थिति स्पष्ट होती जा रही है। अधिकांश पंडितों का तर्क है कि जिस दिन अमावस्या की रात होती है, उसी दिन दीपावली मनाई जाती है। इस बार अमावस्या दो दिन 31 अक्टूबर और एक नवम्बर को है। यह असमंजस की स्थिति हिन्दू पंचांगों और सरकारी कैलेण्डर के बीच पैदा हुए मतभेद से बनी है।

केन्द्र और राज्य सरकार के कैलेण्डर में दीपावली का अवकाश 31 अक्टूबर को है, जबकि राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और मध्य प्रदेश के ज्योतिषीय पंचांगों में दीपावली का पर्व एक नवम्बर को बताया है। हालांकि कुछ पंचांगों में भी 31 अक्टूबर को दीपावली बताई गई है, अगर हम ज्योतिष विधा की माने तो प्रदोष काल में दो दिन अमावस्या रहने पर दूसरे दिन ही दीपोत्सव मनाना और लक्ष्मी पूजन शास्त्र सम्मत माना गया है।

यह अमावस्या की स्थिति
शास्त्री नगर में डेंटल कॉलेज स्थित गणेश मंदिर के पुजारी पं. अवधेश शर्मा ने नवज्योति को बताया कि इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर 3.53 बजे से शुरू होकर एक नवम्बर की शाम 6.17 बजे तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या की तिथि के दौरान दो दिन प्रदोष काल रहेगा। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर वह पर्व मनाया जा सकता है। एक नवम्बर को जयपुर में सूर्यास्त 5.40 बजे होगा। इसके बाद करीब 37 मिनट तक अमावस्या रहेगी। यानी कि 31 अक्टूबर की पूरी रात अमावस्या रहेगी। एक नवम्बर को केवल शाम 6:17 बजे तक रहेगी। उस दिन रात को अमावस्या नहीं है। 

31 अक्टूबर (गुरुवार) को दीपावली के लिए शास्त्रों का आद्य वचन है कि कार्तिक अमावस्या जिस दिन भी प्रदोषकाल व्यापिनी कर्मकाल अर्द्ध रात्रिव्यापिनी अमावस्या हो तो उसी दिन महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए, जो कि 31 अक्टूबर को ही है। जयसिंह कल्पदूर्म में भी लिखा है कि प्रदोषकाल एवं अर्द्धरात्रि में अमावस्या हो तो उसी रात्रि को महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए, क्योंकि अर्द्धरात्रि में अमावस्या पर माता लक्ष्मी भ्रमण करती हैं। भविष्य पुराण में भी अर्द्धरात्रि में अमावस्या को ही महालक्षी का पूजन पर्व के लिए लिखा है। अत: दीपावली 31 अक्टूबर की ही प्रशस्त और श्रेयस्कर है। 31 अक्टूबर को दिन में 3.53 बजे से अमावस्या प्रारम्भ होगी, जो कि संपूर्ण रात्रि रहेगी। इसलिए 29 अक्टूबर को धन तेरस, 30 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी, 31 अक्टूबर को दीपमालिका महालक्ष्मी पूजन और दो नवम्बर को गोवर्धन पूजा और तीन नवम्बर को यम द्वितीया भैय्या दूज का पर्व मनाया जाएगा।
अनूप जोशी, आचार्य विनायक ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान

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