खिलाड़ियों का हक : पिछले छह साल से नहीं मिल रहा महाराणा प्रताप अवार्ड

क्रीड़ा परिषद की ओर से हर चार साल में महाराणा प्रताप और गुरू वशिष्ट अवार्ड दिया जाता है

खिलाड़ियों  का हक : पिछले छह साल से नहीं मिल रहा महाराणा प्रताप अवार्ड

आज तक न तो अवार्ड सामारोह आयोजित हुआ और न ही विजेताओं की लिस्ट जारी की गई है।

कोटा। देश विदेश में राज्य का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सरकार की ओर से कई प्रकार से पुरस्कृत किया जाता है। जिससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है और वो आगे के लिए दोगुनी उर्जा से मेहनत करते हैं। लेकिन राजस्थान में खिलाड़ियों को दिए जाने वाले महाराणा प्रताप और गुरू वशिष्ट अवार्ड का पिछले 6 सालों से काई अता पता नहीं है। खिलाड़ियों और उनके कोचों से इन आवार्डों के लिए कई बार आवेदन लिए जा चुके हैं लेकिन आज तक न तो अवार्ड सामारोह आयोजित हुआ और न ही विजेताओं की लिस्ट जारी की गई है।

हर चार साल में होता है आयोजन 2018 नहीं हुआ
राजस्थान क्रीड़ा परिषद की ओर से हर चार साल में खिलाड़ियों को महाराणा प्रताप और कोचों को गुरू वशिष्ट अवार्ड दिया जाता है। लेकिन परिषद की ओर से साल 2018 से ही इस अवार्ड का आयोजन नहीं किया जा रहा है। जबकि परिषद के ही नियमों के मुताबिक हर चार साल में इन अवार्डों को दिया जाना जरूरी है। वहीं खिलाड़ियों का कहना है कि परिषद की ओर से अभी 2018 से अब तक तीन बार अवार्ड का आयोजन हो जाना चाहिए लेकिन एक बार भी नहीं हो सका है। इस दौरान कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें ये अवार्ड मिलना था, वहीं अब इनके साथ कई नए खिलाड़ी और भी जुड़ चुके हैं।

कोटा समेत प्रदेश के सैंकडों खिलाड़ी वंचित
महाराणा प्रताप अवार्ड उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जो जूनियर स्तर पर एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलते हैं। कोटा से वुशू खिलाड़ी दिव्यांशी, बॉक्सर अरुणधति चौधरी, महक शर्मा, पुष्पेंद्र सिंह, ईशा गुर्जर, निशा गुर्जर और महिपाल सिंह कुमावत सहित प्रदेश के सैंकड़ों खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं में मेडल मार चुके हैं जिन्हें महाराणा प्रताप अवार्ड मिलना है। लेकिन इन खिलाड़ियों से हर बार अवार्ड से संबंधित औपचारिकता पूरी कराई जाती है, जहां चार साल से अवार्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं। वुशू खिलाड़ी महक शर्मा ने बताया कि लगातार प्रोत्साहन मिलने से खेलने में मनोबल बढ़ाता है और दोगुनी मेहनत करने का चैलेंज मिलता है। लेकिन परिषद की ओर से पिछले 6 साल ना तो अवार्ड और ना ही प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

कोच का सम्मान भी नहीं हो रहा
एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने वाले खिलाड़ियों की तरह ही इन प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने वाले प्रशिक्षकों को भी सरकार की ओर से गुरु वशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। लेकिन पिछले 6 सालों ये सम्मान भी अटका पड़ा है। परिषद की ओर से केवल आश्वासन दिया जाता है। वुशू कोच अशोक गौत्तम ने बताया कि खिलाड़ियों और कोचों का मनोबल बढ़ाने के लिए ही ये अवार्ड दिए जाते हैं लेकिन पिछले 6 साल से न सरकार और न परिषद इसके लिए सुनवाई कर रहा है।

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इनका कहना है
परिषद की ओर से अवार्ड देने के लिए तैयारियां की जा रही हैं, कुछ कारणों के चलते अवार्ड प्रक्रिया को टाला गया था। जो भी खिलाड़ी या कोच अवार्ड के लिए योग्य होगा उसे वेरीफिकेशन के बाद अवार्ड प्रदान किया जएगा। परिषद की ओर से इसे लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। देरी या जानबुझकर रोकने के आरोप गलत हैं।
-डॉ. नीरज के पवन, चैयरमेन, राज्य क्रीड़ा परिषद

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