जेजेएम मामले में एसीबी ने महेश जोशी समेत 22 लोगों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर

प्राइवेट व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं

जेजेएम मामले में एसीबी ने महेश जोशी समेत 22 लोगों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर

एसीबी का कहना है कि फर्जी सर्टीफिकेट के आधार पर कम्पनियों को टेंडर दिए गए थे। एसीबी ने 31 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज की है। 

जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) में हुए करीब 979 करोड़ रुपए स्कैम की रिपोर्ट दर्ज की है। एफआईआर में पूर्व मंत्री महेश जोशी समेत 22 लोगों को नामजद किया है। इसके बाद एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। प्रकरण में ईडी भी पहले से जांच कर रही है। एफआईआर में मंत्री के अलावा तत्कालीन चीफ इंजीनियर, वित्तीय सलाहकार, एडिशनल चीफ इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और प्राइवेट व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं। एसीबी वर्ष 2023 के अगस्त माह से इस मामले की जांच कर रही थी। अब एसीबी को पुख्ता सबूत मिले, जिससे खुलासा हुआ कि स्कैम हुआ है। उसके बाद हर ईमेल आईडी की जांच की और दोषियों को नामजद करते हुए एफआईआर दर्ज की गई। एसीबी का कहना है कि फर्जी सर्टीफिकेट के आधार पर कम्पनियों को टेंडर दिए गए थे। एसीबी ने 31 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज की है। 

ऐसे आए पकड़ में 
एसीबी ने सात अगस्त 2023 को पीएचईडी के इंजीनियर मायालाल सैनी, प्रदीप, ठेकेदार पदमचंद जैन और कम्पनी सुरवाइजर मलकेत सिंह को समेत दलाल प्रवीण कुमार गुप्ता को पकड़ा। एसीबी ने सूचना पर इन्हें चौमूं पुलिया के पास से दबोचा और इनके कब्जे से 2.90 लाख रुपए नकद जब्त किए। एसीबी ने जांच कर बहरोड़ एईएन राकेश चौहान को गिरफ्तार कर लिया। खुलासा हुआ कि पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने जेजेएम में फर्जी अनुभव और आय प्रमाण पत्र लगाए। इन दोनों कम्पनी पर जयपुर जयपुर क्षेत्र के इंजीनियरों से मिलीभगत कर 900 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर लेने के आरोप लगे। सितम्बर में श्याम और गणपति ट्यूबेल कम्पनी के खिलाफ एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया। 

मैंने खुद इन फर्मों पर कार्रवाई की, सर्टिफिकेट जारी करने में मेरा रोल नहीं: जोशी
एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व मंत्री महेश जोशी ने बयान जारी कर कहा कि एफआईआर में मेरा भी नाम बताया जा रहे हैं। टेंडर की एक निश्चित प्रक्रिया होती है। उसके बाद वर्कऑर्डर होते हैं। जिन फर्मों की बात की जा रही है, उन पर मैंने मंत्री रहते खुद कार्रवाई की। ब्लैकलिस्टेड किया, ऑर्डर रोके। अधिकारियों को निलंबित किया। इतनी कार्रवाई कभी नहीं हुई होगी। सर्टिफिकेट लगाने की जांच मैं मंत्री का कोई रोल नहीं होता। सुधांश पंत, सुबोध अग्रवाल तब विभाग के एसीएस रहे। मेरा मानना है कि उनसे कोई गलती हो ही नहीं सकती। फिर भी निष्पक्ष जांच हो। सच्चाई सामने आए। ईडी ने जांच में कमी नहीं रखी, अब उन्हीं मुद्दो पर एसीबी जांच कर रही है। मुझे जब भी बुलाया जाएगा मैं जाऊंगा। जो भी पूछा जाएगा वो मीडिया को भी बताऊंगा। ये क्यों हो रहा है, कैसे हो रहा, जनता जानती है। मैं किसी भी मामले में लिप्त नहीं हूं। मैं निश्चित रूप से निर्दोष साबित होऊंगा। 

 

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