कांग्रेस को त्रिकोणीय संघर्ष वाली सीटों की ज्यादा चिंता, दिग्गज नेताओं को फील्ड में भेजा

नेताओं को मैदान में भेजना शुरू कर दिया है

कांग्रेस मुख्यत: झुंझुनूं, देवली-उनियारा और खींवसर सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष मान रही है। वहीं, चौरासी और सलूम्बर सीट पर भी कांग्रेस के लिए चुनौती देखते हुए कई अनुभवी नेताओं को मतदान होने तक डटे रहने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर 13 को मतदान से पहले मुकाबला रोमांचक होने लगा है। कांग्रेस ने त्रिकोणीय संघर्ष वाली सीटों पर कई अनुभवी नेताओं को मैदान में भेजना शुरू कर दिया है। कांग्रेस मुख्यत: झुंझुनूं, देवली-उनियारा और खींवसर सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष मान रही है। वहीं, चौरासी और सलूम्बर सीट पर भी कांग्रेस के लिए चुनौती देखते हुए कई अनुभवी नेताओं को मतदान होने तक डटे रहने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

झुंझुनूं सीट: कांग्रेस के अमित ओला और भाजपा के राजेन्द्र भांबू के बीच पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया। जातिगत समीकरण साधने के लिए कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल, अनिल शर्मा, अमित चाचाण, सेवादल प्रदेशाध्यक्ष हेमसिंह शेखावत, प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर और महासचिव रामसिंह कस्वां को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट भी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

देवली-उनियारा सीट: त्रिकोणीय संघर्ष वाली इस सीट पर कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने मुकाबला रोचक बनाया है। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा नरेश मीणा को नुकसान की बड़ी वजह नहीं मान रहे, लेकिन पार्टी रणनीतिकारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। नरेश मीणा के अलावा पूर्व सांसद नमोनारायण मीणा की अंदरखाने गुट से भी वोट बैंक में सेंधमारी का डर बना हुआ है। कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट के प्रभाव क्षेत्र वाली सीट पर कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, विधायक प्रशांत शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष रामविलास चौधरी, करण सिंह उचियारडा, महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राखी गौतम और किशनलाल को जिम्मेदारी सौंपी है।

खींवसर सीट: कांग्रेस की रतन चौधरी, भाजपा के रेवतराम डांगा और आरएलपी की कनिका बेनीवाल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। लोकसभा में आरएलपी से गठबंधन के बावजूद उपचुनाव में गठबंधन नहीं करके कांग्रेस को यहां आरएलपी और भाजपा दोनों से चुनौती मिल रही है। पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना, विधायक मनोज मेघवाल, पूसाराम गोदारा, प्रदेश उपाध्यक्ष रामविलास चौधरी, जगदीश जांगिड, अभिषेक चौधरी और गजेन्द्र सांखला फील्ड में उतारे गए हैं। 

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सलूम्बर सीट: बीएपी से इस बार कांग्रेस ने यहां गठबंधन नहीं किया। भाजपा यहां सहानूभूति लहर पर सवार है। कांग्रेस प्रत्याशी रेशमा मीणा के खिलाफ पूर्व सांसद रघुवीर मीणा की नाराजगी भी पार्टी को चिंता में डाले हुए हैं। डोटासरा ने यहां पूर्व मंत्री अशोक चांदना को मतदान होने तक विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। विधायक रतन देवासी, अर्जुन बामनिया, रामलाल मीणा, प्रदेश महासचिव राजेन्द्र मूंड, प्रमोद सिसोदिया और प्रेम पाटीदार भी मोर्चा संभाल रहे हैं।

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चौरासी: पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा के अलावा कांग्रेस के पास कोई बड़ा मजबूत नेता मौजूद नहीं है। पहली बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के युवा प्रत्याशी महेश रोत की यहां भाजपा और बीएपी से टक्कर बनी हुई है। पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई, मांगीलाल गरासिया, पूर्व विधायक पुष्करलाल डांगी, चेतन पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष हंगामीलाल मेवाड़ा, महासचिव गोपालकृष्ण शर्मा और जगदीश श्रीमाली को जिम्मा सौंपा है। 

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