डिजिटलाइज्ड होगी पुरासम्पदा, चोरी हुए तो लगा सकेंगे पता
राष्टÑीय स्मारक और पुरावशेष मिशन शुरू
पुरातत्व व सर्वेक्षण विभाग डिजिटल डाटा बेस करेगा तैयार
कोटा । भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग अपने ऐतिहासिक संग्रहालयों सहित सभी पुरासम्पदा का डिजिटल डाटा बेस तैयार करेगा। इससे पुरासम्पदा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आॅनलाइन उपलब्ध हो सकेगी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने एनएमएमए यानि राष्टÑीय स्मारक और पुरावशेष मिशन शुरू किया है। पहले चरण में विभाग के संग्रहालयों में संरक्षित पुरासंपदा का डिजिटल बेस कार्य किया जाएगा। इससे पहले पुरातत्व विभाग में आॅफलाइन रिकॉर्ड रखा जाता था। अब पुरासम्पदा को डिजिटल करने की योजना बनाई गई है। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विभाग के पास प्रत्येक पुरासम्पदा का डिजिटल डाटा एकत्र हो जाएगा। अगर कोई पुरासम्पदा गायब भी होगी तो विभाग पुलिस तक उसकी डिटेल रिपोर्ट भेज सकेगा। अभी पुलिस के पास डाटा नहीं होने से गायब पुरासम्पदा का पता लगाने में परेशानी होती है। अब आॅनलाइन डाटा होने से गायब पुरासम्पदा का पता लगाने में आसानी हो जाएगी।
डिजिटल रिकॉर्ड के तीन बड़े फायदे
देशभर के चिन्हित पुरावशेषों का डाटा विभागीय पोर्टल पर एकत्र हो जाएगा। उनकी आकृति, रंग रूप, भार और आकार का डाटा पोर्टल पर सिर्फ एक क्लिक में उपलब्ध हो सकेगा। अभी वे फोटोग्राफ्स के आधार पर पुस्तकों में दर्ज है। वहीं अगर कोई पुरासम्पदा चोरी होती है तो विभाग पुलिस और इंटरपोल को विस्तृत डिटेल में धरोहर की जानकारी दे सकेगा, ताकि उस ऐतिहासिक धरोहर को ट्रेक किया जा सके। पोर्टल पर सभी पुरासम्पदा का डाटा एकत्र होने के बाद स्कॉलर्स को बड़ा फायदा मिल सकेगा। इससे उनको शोध करने के कार्य में आसानी होगी।
इतिहासकारों और शोधार्थियों को मिलेगा लाभ
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की राष्टÑीय मिशन की गाइड लाइन के अनुसार स्मारकों, संग्रहालयों आदि में सहेजे गए पुरासम्पदा का डिजिटल रिकार्ड एक साथ तैयार होगा। हजारों की संख्या में पुरासम्पदा का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होने के बाद वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। यह डाटा शोधार्थियों और इतिहासकारों के लिए काफी काम आएगा। वहीं देश विदेश के विद्यार्थियों को हमारी विरासत से रूबरू होने का मौका प्रदान करेगा। इस मिशन का उद्देश्य शोधार्थियों और विद्यार्थियों तक भारत की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी पहुंचाना है।
हर पुरासम्पदा का होगा यूनिक नम्बर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा देश की हर साइट पर यह कार्य किया जाना प्रस्तावित किया गया है। इसमें पुरासम्पदा की लम्बाई,चौड़ाई और ऊंचाई का माप किया जाएगा। इसके बाद 360 डिग्री कोण से उसकी 3 डी फोटो तैयार की जाएगी। फोटो में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि उसका रंग रूप वास्तविकता से अलग न दिखाई दे। इसके लिए विभाग द्वारा उच्च क्वालिटी के कैमरे इस्तेमाल किए जाएंगे। इसके बाद हर पुरासम्पदा को एक यूनिक नम्बर दिया जाएगा, जो केएलबी सीरिज से शुरू होगा। 21 बिंदुओं की गाइड लाइन फॉलो करने के बाद उस पुरासम्पदा की डिटेल विभाग की पोर्टल पर अपलोड होती रहेगी। फोटो खींचने से लेकर उसे संग्रहालय या स्मारक में सहेजने के लिए भी विभाग द्वारा दी गई गाइड लाइन को फॉलो करना होगा।
प्रारंभिक पाषाणकाल, मध्य पाषाणकाल, उत्तर पाषाणकाल, ताम्रयुग, लोहयुग, जनपद, मौर्य, शुंग, कुषाण से लेकर ब्रिटिशकाल तक के प्रमाण बिखरे पड़े हैं। बिखरी पुरा संपदाओं को सुरक्षित रखने के लिए यह मिशन काफी लाभदायक साबित होगा। वहीं सभी को ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में आॅनलाइन जानकारी भी मिल सकेगी।
- ओमप्रकाश, पुरा अन्वेषक
भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग अपने ऐतिहासिक संग्रहालयों सहित सभी पुरासम्पदा का डिजिटल डाटा बेस तैयार करेगा। इससे पुरासम्पदा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आॅनलाइन उपलब्ध हो सकेगी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने एनएमएमए यानि राष्टÑीय स्मारक और पुरावशेष मिशन शुरू किया है।
- ललित कुमार, वरिष्ठ लिपिक, पुरातत्व विभाग कोटा
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