असर खबर का - मोबाइल वेटरनरी वैन: कॉल करते ही घर पहुंच रही टीम

कॉल सेंटर का सॉफ्टवेयर किया अपडेट

असर खबर का - मोबाइल वेटरनरी वैन: कॉल करते ही घर पहुंच रही टीम

अब समय पर मिल रहा बीमार पशुओं को उपचार।

कोटा। पशुपालन विभाग की बीमार पशुओं की घर पर ही उपचार की सुविधा से पशुपालकों को बड़ी राहत मिल रही है। टोल फ्री नंबर पर फोन करते ही मोबाइल वेटरनरी वैन पशुपालक के घर पहुंचने लगी है। वैन में मौजूद पशु चिकित्सा कर्मचारी मौके पर ही पशुओं का उपचार कर रहे है। इससे पशुपालकों को अपने पशुओं को पशु चिकित्सालय तक लाने-ले जाने की समस्या से मुक्ति मिली है। पूर्व में टोल फ्री नंबर 1962 व्यस्त आता था। इस कारण घर बैठे उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही थी। अब टोल फ्री नंबर के साफ्टवेयर को अपडेट कर दिया गया है। जिससे अब कॉल करने के बाद मोबाइल वैन पशुपालकों के घर पर पहुंच कर बीमार पशुओं का उपचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि पशु पालन विभाग ने मोबाइल वेटरनरी यूनिट की सुविधा शुरू की है जो टोल फ्री नंबर 1962 पर की गई कॉल पर पशुपालक के घर तक पहुंच कर बीमार पशु का उपचार करती हैं। 

कुछ ऐसी है इसकी प्रक्रिया
टोल फ्री नंबर पर कॉल करने के बाद कॉल सेंटर के सीएसओ पशुपालक के नाम, ग्राम, पशु एवं रोग के लक्षण आदि की जानकारी प्राप्त कर सिस्टम पर दर्ज करते हैं। लक्षणों के आधार पर सिस्टम में पूर्व से संधारित डाटा अनुसार या कॉल सेंटर पर उपस्थित पशु चिकित्सक की सलाह अनुसार टिकट जनरेट किया जाता है। सूचना का विवरण पशु चिकित्सक के फोन पर उपलब्ध मोबाइल एप पर भी प्रदर्शित होता है। पशु चिकित्सक तत्काल अपॉइंटमेंट बुक करते हुए रोगी पशु के स्थान के लिए रवाना हो जाते हैं। योजना संचालन कॉल सेंटर से हो रहा है। मोबाइल वेटरनरी वैन का संचालन प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक किया जा रहा है। कॉल सेंटर से सूचना मिलते ही मोबाइल वेटरनरी वैन पशुपालक के बताए पते पर रवाना हो जाती है। वहां कॉल सेंटर से मिले विवरण एवं पशुपालक से चर्चा अनुसार पशुओं का मौके पर उपचार होता है।

पहले यह आ रही थी दिक्कत
पशुपालन विभाग की बीमार पशु को घर पर उपचार देने की योजना तो अच्छी है, लेकिन इसके लिए बनाए गए कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर पर बीमार पशु की सूचना देने में पशुपालकों को जोर आ रहा था। कॉल सेंटर के टेलीफोन नंबर लगातार व्यस्त रहने की शिकायतें विभाग को मिल रही थी। जब भी टोल फ्री नंबर पर फोन करते थे तो वह हमेशा व्यस्त ही रहता था। इस कारण समय पर बीमार पशुओं का उपचार नहीं हो पा रहा था। लगातार शिकायतें मिलने के बाद विभाग की ओर से टोल फ्री नंबर के सॉफ्टवेयर को अपडेट किया गया। इसके बाद से अब फोन करने के बाद मोबाइल वैटनरी वैन कुछ समय बाद ही मौके पर पहुंचकर बीमार पशुओं का उपचार कर रही है।

नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
पशुपालन विभाग की बीमार पशु को घर पर उपचार देने की योजना शुरू की गई है, लेकिन इसका लाभ पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है। दैनिक नवज्योति के 29 अक्टूबर के अंक में इस सम्बंध में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसमें बताया था कि कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर पर बीमार पशु की सूचना देने में पशुपालकों को परेशानी हो रही है। कॉल सेंटर के टेलीफोन नंबर लगातार व्यस्त रहने की शिकायतें विभाग को मिल रही है। इससे जरूरत पड़ने पर बीमार पशुओं का उपचार नहीं हो रहा है और पशुपालकों को पशु अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। समाचार प्रकाशित होने के बाद विभाग के अधिकारी हरकत में आए और जयपुर निदेशालय में इसकी जानकारी दी। इसके बाद साफ्टवेयर को अपडेट करने का कार्य किया गया।

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इनका कहना है
कॉल सेंटर अधिकांश समय व्यस्त रहता था। इस कारण बीमार पशुओं की सूचना जरूरत के समय नहीं दे पाते था। अब टोल फ्री नंबर को अपडेट करने से कोई दिक्कत नहीं आ रही है। कॉल करने के कुछ देर बाद ही मोबाइल वैन उपचार के लिए पहुंच रही है।
- जोरावर खटाणा, पशुपालक 

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पूर्व में टोल फ्री नंबर 1962 व्यस्त आता था। इस कारण घर बैठे उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही थी। अब टोल फ्री नंबर के सॉफ्टवेयर को अपडेट कर दिया गया है। जिससे अब कॉल करने के बाद मोबाइल वैन पशुपालकों के घर पर पहुंच कर बीमार पशुओं का उपचार कर रही है।  
- डॉ. संदीप, पशु चिकित्सक, पशुपालन विभाग 

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