कोविशील्ड की डोज के बीच गैप बढ़ाने का निर्णय पारदर्शी और वैज्ञानिक सबूतों पर आधारित: डॉ. अरोड़ा

कोविशील्ड की डोज के बीच गैप बढ़ाने का निर्णय पारदर्शी और वैज्ञानिक सबूतों पर आधारित: डॉ. अरोड़ा

कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ऑफ दी नेशनल टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाईजेशन (एनटीएजीआई) यानी राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने कोविड-19 टीकाकरण अभियान पर बातचीत की।

नई दिल्ली। कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ऑफ दी नेशनल टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाईजेशन (एनटीएजीआई) यानी राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह के अध्यक्ष डॉ. एन के अरोड़ा ने कोविड-19 टीकाकरण अभियान पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला एडोनोवेक्टर वैक्सीन की प्रतिक्रिया सम्बंधी बुनियादी वैज्ञानिक कारणों पर आधारित है। इसी के तहत खुराकों के बीच के 4-6 सप्ताह के अंतराल को बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2021 के अंतिम सप्ताह में इंग्लैंड के जन स्वास्थ्य ने आंकड़े जारी किए थे। यह संस्था स्वास्थ्य विभाग की आधिकारिक एजेंसी है। इन आंकड़ों से पता चला कि अगर दो खुराकों के बीच का अंतराल 12 सप्ताह कर दिया जाए, तो टीके का असर 65 से 88 प्रतिशत के बीच हो जाता है। इसी बुनियाद पर उन लोगों ने अल्फा वैरियंट के कारण फैली महामारी को काबू में किया। हमने भी सोचा कि यह बहुत अच्छा तरीका है, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त बुनियादी वैज्ञानिक कारण मौजूद थे, जो बताते थे कि जब अंतराल बढ़ाया जाता है, तो एडेनोवेक्टर टीका बेहतर तरीके से काम करता है। लिहाजा, दो खुराकों के बीच के अंतराल को 12-16 सप्ताह करने का फैसला 13 मई को ले लिया गया।

उन्होंने आगे कहा कि इसमें लोगों के लिए गुंजाइश भी छोड़ी गई है, क्योंकि हर व्यक्ति ठीक 12 सप्ताह पर ही दूसरी खुराक के लिए नहीं आ सकता। अरोड़ा ने इस हकीकत पर जोर देते हुए कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां बहुत खुली और पारदर्शी प्रणाली काम करती है, जहां वैज्ञानिक आधार पर फैसले किए जाते हैं। कोविड कार्य समूह ने यह फैसला एकमत से लिया है। इसमें कोई मतभेद नहीं है। इसके बाद एनटीएजीआई की बैठक में इस मुद्दे की हर बारीकी पर चर्चा की गई। यहां भी कोई मतभेद नहीं था। तब सिफारिश की गई कि टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 12-16 सप्ताह कर दिया जाना चाहिए। डॉ. अरोड़ा ने कहा पहले जो चार सप्ताह वाला फैसला किया गया था, वह उस समय उपलब्ध ट्रायल आंकड़ों पर आधारित था।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला उन अध्ययनों पर आधारित है, जो बताते हैं कि अंतराल बढ़ाने से टीके का असर बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि कोविशील्ड पर शुरुआती अध्ययन का नतीजा बहुत मिला-जुला था। कोविशील्ड टीका जब दिसम्बर 2020 में सामने आया, तभी यूके जैसे कुछ देशों ने खुराकों के बीच 12 सप्ताह का अंतराल रखने का फैसला किया था। इन आंकड़ों तक हमारी पहुंच थी। जब हमें अंतराल के बारे में फैसला करना था, तब हमने ब्रिजिंग ट्रायल के आधार पर अंतराल को 4 सप्ताह करने का फैसला किया। इसके अच्छे नतीजे निकले। आगे चलकर हमें और वैज्ञानिक तथा प्रयोग संबंधी आंकड़े मिले। ये आंकड़े बताते थे कि 6 सप्ताह बाद टीके की ताकत और बढ़ जाती है। तब हम इस नतीजे पर पहुंचे कि अंतराल को 4 सप्ताह से बढ़ाकर 6 सप्ताह कर दिया जाना चाहिए। उस दौरान के आंकड़े बताते थे कि अंतराल जब 4 सप्ताह का होता है, तो असर लगभग 57 प्रतिशत और 8 सप्ताह करने से 60 प्रतिशत हो जाता है।

यह पूछे जाने पर कि एनटीएजीआई ने पहले ही अंतराल 12 सप्ताह क्यों नहीं कर दिया तो डॉ. अरोड़ा ने बताया कि हमने फैसला किया था कि हमें यूके जो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, से बुनियादी आंकड़ों का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ दूसरे देशों की भी मिसाल मौजूद है, जो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराकें 12-16 सप्ताह के बीच लगा रहे हैं। एस्ट्राजेनेका ही भारत में कोविशील्ड है। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि टीके की सिर्फ एक खुराक लेने से और दो खुराकें लेने से कितना असर होता है, उसके बारे में सबूत और रिपोर्टें आ रही थीं। इस मुद्दे पर भी एनटीएजीआई गौर कर रहा था। उन्होंने कहा कि खुराकों के बीच का अंतराल बढ़ाने का जब हमने फैसला किया, तो उसके 2-3 दिनों बाद यूके से कुछ रिपोर्टें मिलीं कि एस्ट्राजेनेका की मात्र एक खुराक से 33 प्रतिशत सुरक्षा मिल जाती है। जब दो खुराकें ली जाती हैं, तो 60 प्रतिशत सुरक्षा मिल जाती है। कोविशील्ड की खुराकों के बीच के अंतराल को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव है के सवाल के जवाब में डॉ. अरोड़ा ने कहा कि फैसले वैज्ञानिक आधार पर लिए जाएंगे और स्वास्थ्य तथा लोगों की सुरक्षा को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाएगी।
  

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