पिंजरे से निकल जंगल में लगाई आजादी की छलांग
मादा शावक को बायोलॉजिकल पार्क से मुकुंदरा किया शिफ्ट
बाघिन 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में रहकर जंगल के तौर-तरीके सीखेंगी।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में पल रही बाघिन टी-114 की मादा शावक को आखिरकार 25 महीने बाद पिंजरे से आजादी मिल ही गई। नर शावक के रामगढ़ शिफ्ट होने के 8 दिन बाद बुधवार को मादा शावक को भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा रेंज में सॉफ्ट रिलीज कर दिया गया। यहां बाघिन 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में रहकर जंगल के तौर-तरीके सीखेंगी। साथ ही घात लगाकर शिकार करने की कला व जंगल की चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में खुद को ढाल सकेगी। असल में रिवाइल्डिंग बेहतर तरीके से हो सकेगी।
दोपहर 1 बजे लगाई खुले जंगल में छलांग
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में सुबह 8 बजे से ही शिफ्टिंग को लेकर हलचल तेज हो गई थी। सुबह 9 बजे वन अधिकारी व एनटीसीए द्वारा गठित टीम के सदस्य पिंजरे में पहुंच गए थे। 9 बजकर 15 मिनट पर डॉट लगाकर बाघिन को ट्रैंकुलाइज किया। स्वास्थ्य परीक्षण कर ब्लड व डीएनए सैंपल लिए। साथ ही वजन किया। बाघिन का वजन 160 किलो था। इसके बाद रेडियोकॉर्लर लगाकर 11 बजे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के लिए रवाना कर दिया। दोपहर 1 बजे दरा रेंज पहुंचे और 1.12 मिनट पर बाघिन ने 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में आजादी की छलांग लगाई।
रिवाइल्डिंग केंद्र बनकर उभरेगा मुकुंदरा
उन्होंने बताया कि राजस्थान का यह पहला रिवाइल्डिंग का प्रयास है। सफल हुए तो प्रदेश में कोटा रिवाइल्डिंग केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा। प्रदेश के अन्य जंगलों में जहां कहीं भी अनाथ शावक होंगे तो भविष्य में उन्हें कोटा में लगाकर रिवाइल्ड किए जा सकेंगे। वनकर्मी व अधिकारी पूरी शिद्दत से सफल रिवाइल्डिंग में जुटे हैं। तत्कालीन सीसीएफ शारदा प्रताप सिंह का विजन शावकों की रिवाइल्डिंग में काफी अहम रहा।
एनक्लोजर में छोड़े 16 चीतल
वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र सिंह रियाड़ ने बताया कि बाघिन को मुकुंदरा में सॉफ्ट रिलीज कर दिया गया है। बाघिन के आने से पहले ही एनक्लोजर में 16 चीतल छोड़ दिए गए थे। जल्द ही यहां नीलगाय भी छोड़ने की योजना है। वैसे, यह अपने भाई नर बाघ के मुकाबले काफी एक्टिव है। बायोलॉजिकल पार्क में जब इनके सामने शिकार छोड़ते थे तो यही सबसे पहले शिकार तक पहुंचती थी। यदि, बाघिन 50 शिकार सफलतापूर्वक कर लेती है तो हार्ड रिलीज किया जा सकता है। मादा शावक चिकित्सकों की गहन निगरानी में रहेगी। इस दौरान उसके व्यवहार, गतिविधियां, भोजन लेने की मात्रा, घात लगाकर शिकार कर पा रही या नहीं सहित तमाम गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।
एनक्लोजर में लगे कैमरा ट्रैप
दरा रेंज के पांच हैक्टेयर एनक्लोजर को ग्रीन नेट से पूरी तरह से कवर किया गया है। वहीं, जगह-जगह कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। रेडियोकॉर्लर के सिग्नल व तीन मंजिला वॉच टॉवर से 24 घंटे निगरानी की जा रही है। साथ ही मानव दखल से बिलकुल दूर व जीरो मॉबिलिटी सुनिश्चित की गई है। बाघिन की निगरानी के लिए टीम तैनात कर दी गई है। शिफ्टिंग के दौरान सीसीएफ रामकरण खैरवा, मुकुंदरा डिसीएफ मूथु एस, आरवीटीआर डीएफओ संजीव शर्मा, डब्ल्यू डब्ल्यूएफ से राजशेखर, वन्यजीव चिकित्सक डॉ, राजीव गर्ग, तेजेंद्र सिंह रियाड़ सहित बायोलॉजिकल पार्क के सहायक वनपाल मनोज शर्मा, सुरेंद्र सैनी, कमल प्रजापति, बुधराम जाट सहित अन्य वनकर्मी मौजूद रहे।
इनका कहना है
एनटीसीए से मंजूरी मिलने के बाद मादा शावक को मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया है। बाघिन टी-114 की मौत के बाद मादा शावक को फरवरी 2023 को रणथम्भौर से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क शिफ्ट किया गया था। जहां दो साल से रिवाइल्डिंग की जा रही थी। अब यह सब एडल्ट की श्रेणी में है। एनटीसीए की गाइड लाइन की पालना करते हुए मुकुंदरा में शिफ्ट किया गया है।
-मूथू एस, डीएफओ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
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