मणिपुर में अशांति के लिए भाजपा जिम्मेदार : कांग्रेस के दबाव में राष्ट्रपति शासन, कांग्रेस ने कहा- वहां नहीं थम रही है हिंसा 

शांति बहाली के केंद्र की तरफ से कोई प्रयास नहीं हुए हैं

मणिपुर में अशांति के लिए भाजपा जिम्मेदार : कांग्रेस के दबाव में राष्ट्रपति शासन, कांग्रेस ने कहा- वहां नहीं थम रही है हिंसा 

उन्होंने 250 घरेलू और 44 विदेशी दौरे किए। हमने प्रधानमंत्री से लगातार सवाल भी पूछे लेकिन उन्होंने सवालों का जवाब नहीं दिया। 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने मणिपुर में दो साल से जारी जातीय हिंसा के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार  हराते हुए शनिवार को कहा कि इस अवधि में शांति बहाली के केंद्र की तरफ से कोई प्रयास नहीं हुए हैं और राष्ट्रपति शासन लगाने के बावजूद वहां हिंसा नहीं थम रही है। कांग्रेस के मणिपुर के प्रभारी सप्तगिरी उलाका तथा मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में कहा कि मणिपुर में भड़की हिंसा को आज दो साल हो गए हैं। यह स्वतंत्र भारत में सबसे गंभीर मानवीय और संवैधानिक त्रासदियों में से एक  है। उच्चतम न्यायालय ने भी मणिपुर की स्थिति को राज्य में संवैधानिक तंत्र का ध्वस्त होना बताया था। इस बीच कुछ ऑडियो भी वायरल हुए, जिनमें  इसके एक सुनियोजित हिंसा होने की अटकलें भी लगाई गई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिपुर को लेकर संवेदनहीन नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि दुख की बात है कि मोदी आज तक मणिपुर नहीं गए, जबकि इस दौरान उन्होंने 250 घरेलू और 44 विदेशी दौरे किए। हमने प्रधानमंत्री से लगातार सवाल भी पूछे लेकिन उन्होंने सवालों का जवाब नहीं दिया। 

दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा पार्टी नेता राहुल गांधी हिंसा के दौरान तीन बार मणिपुर गए और उन्होंने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ भी मणिपुर से शुरू की थी। कांग्रेस लगातार मांग करती आ रही थी कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो लेकिन भाजपा कभी मानने को तैयार नहीं थी। आखिर में कांग्रेस के दबाव में 20 महीने बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, लेकिन राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी मणिपुर में हालात सामान्य नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने कहा,इस दौरान मणिपुर में 260 लोगों की मौत हो चुकी है, 68,000 से ज्यादा लोग अब भी राहत शिविरों में हैं। वे अपने घरों में जाने से डर रहे हैं। मणिपुर को मोदी सरकार नजरअंदाज करती आ रही है, जबकि मणिपुर की जनता चाहती है कि मोदी मणिपुर आएं, शांति की अपील करें और लोगों को विश्वास दिलाए। इसके अलावा गृह मंत्री अमित ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक आयोग का गठन किया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट आज तक न संसद में रखी गई और न ही इस पर कोई चर्चा हुई। 

यह बताता है कि सरकार सच छिपाने की कोशिश कर रही है और मणिपुर में शान्ति बहाली की उसकी कोई इच्छाशक्ति ही नहीं है। उन्होंने कहा, मणिपुर में तीन मई 2023 को हिंसा भड़कने के दो साल बीत चुके हैं, यह एक दुखद दिन था, जो हमारे देश के इतिहास में एक काला दिन था। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की निष्क्रियता के कारण हालात अनसुलझे हैं। भाजपा की डबल इंजन सरकार इस हिंसा की निर्माता है। उसने कभी भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कोई समाधान नहीं निकाला। मणिपुर का हर नागरिक बहुत आहत है। साल 2023 में शांति समिति के गठन के बावजूद, कोई बैठक नहीं हुई है और इसमें शामिल समुदायों के बीच कोई सार्थक बातचीत शुरू नहीं हुई। भाजपा सरकार संवैधानिक तंत्र का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में विफल रही है, जिसके परिणामस्वरूप मणिपुर को काफी नुकसान हुआ है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी सामान्य स्थिति नहीं बन रही है। केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में मारे गए लोगों की जान बचाने के लिए कुछ नहीं किया। पार्टी ने मणिपुर में नये सिरे से विधानसभा चुनाव कराने की भी मांग की है।

 

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