किसानों के पहचान-पत्र में डेटा पूरी तरह सुरक्षित : उनकी अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा साझा, शिवराज चौहान ने कहा- डिजिटल कृषि मिशन के अंतर्गत प्रक्रियाओं को बनाया आसान
एक लाख 74 हजार करोड़ रूपये की राशि किसानों को
चौहान ने कहा किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए किसान रजिस्ट्री को राज्य के राजस्व विभाग से जोड़ा गया है।
नई दिल्ली। सरकार ने स्पष्ट किया कि किसान पहचान पत्र में किसानों के डेटा पूरी तरह सुरक्षित हैं और ये डेटा उनकी अनुमति के बिना किसी भी एजेन्सी या संगठन के साथ साझा नहीं किया जायेगा। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन के अंतर्गत किसानों को पहचान पत्र देकर कृषि संबंधी तमाम प्रक्रियाओं को आसान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह विकसित कृषि और समृद्ध किसान की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि अब तक देश में चार करोड़ 60 लाख किसानों को पहचान पत्र दिये गये हैं और इसकी संख्या निरंतर बढ रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस पहचान पत्र की मदद से किसान सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का आसानी से लाभ उठा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसकी मदद से उनके किसानी से संबंधित सभी कार्य भी सरलता से पूरे होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों का डेटा निजी होता है और यह उसकी मर्जी है कि वह इसे किसी के साथ साझा करना चाहता है या नहीं। उन्होंने कहा कि डेटा चाहने वाली कंपनियों को डेटा की सुरक्षा से संबंधित सरकार के सभी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। चौहान ने कहा कि किसान को कृषि संबंधी हर जानकारी स्मार्ट फोन पर दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं वे कृषि सखी और कॉमन सर्विस सेंटर से भी यह जानकारी ले सकते हैं । एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी सरकार की स्मार्ट फोन के लिए किसानों को सब्सिडी देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को एक लाख 74 हजार करोड़ रूपये की राशि दी गयी है और इसमें किसानों का प्रीमियम केवल 32 हजार करोड रूपये है।
चौहान ने कहा किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए किसान रजिस्ट्री को राज्य के राजस्व विभाग से जोड़ा गया है। शिकायतों के समाधान के लिए शिकायत निवारण तंत्र है जहां किसान ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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