धीमा रहा जीएसटी संग्रहण, बढ़ाने के लिए जांच एजेंसियों का आतंक रोकना जरूरी : जयराम
यह गिरावट एक गहरे आर्थिक संकट को प्रतिबिंबित करती है
आलोच्य माह में रिफंड के समायोजन के बाद शुद्ध जीएसटी संग्रह घटकर 3.3 प्रतिशत पर रह गया, जो चालू वित्त वर्ष में सबसे कम है।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि कर और जांच एजेंसियों के आतंक जैसे कारणों से देश की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का माहौल है और इसी का परिणाम है कि इस बार दिसंबर में फिर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का संग्रहण सबसे धीमा रहा है। पार्टी ने एक बयान में कहा है कि दिसंबर 2024 के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले महीने जीएसटी संग्रह साढ़े तीन साल में दूसरी बार सबसे धीमी गति से बढ़ा है। आलोच्य माह में रिफंड के समायोजन के बाद शुद्ध जीएसटी संग्रह घटकर 3.3 प्रतिशत पर रह गया, जो चालू वित्त वर्ष में सबसे कम है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों में जीएसटी संग्रह 8.6 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि बजट में 11 फीसदी वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया था। न्यूनतम सत्यापन और ऑनलाइन पंजीकरण के दौरान फिजिकल जांच न होने से फर्क़ा कंपनियां बन रही हैं, जो वास्तविक संचालन के बिना ही रिफंड मांगती हैं। फर्मों ने उन निर्यातों पर भी रिफंड क्लेम किया है, जो इस तरह के लाभों के लिए योग्य नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि यह गिरावट एक गहरे आर्थिक संकट को भी प्रतिबिंबित करती है। चालू वित्त वर्ष के जुलाई-सितंबर के दौरान जिडीपी ग्रोथ रेट घटकर मात्र 5.4 प्रतिशत रह गई थी - जो 5.4 प्रतिशत की समान रूप से कमजोर निजी निवेश ग्रोथ के बराबर थी। उपभोग वृद्धि स्थिर हो गई है, जिसके कारण भारतीय उद्योग जगत से सार्वजनिक संकट को लेकर आवाजें उठ रही हैं। साक्ष्यों से पता चलता है कि कमरतोड़ महंगाई और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के बीच, पिछले दस वर्षों में ग्रामीण मजदूरी स्थिर हो गई है। देश कम खपत, कम निवेश, कम विकास, कम मजदूरी के खतरनाक चक्र में फंस गया है।
कांग्रेस का कहना है कि आर्थिक मोर्चे पर निराशाजनक खबरें, ग्रोथ में गिरावट से लेकर खराब जीएसटी राजस्व संग्रह तक मांग रही है कि सरकार अर्थव्यवस्था की जटिलताओं से निपटने पर ध्यान केंद्रित करे और अगले माह पेश होने वाले बजट में गरीबों को मदद मिले और मध्यम वर्ग के लिए कर में राहत की व्यवस्था हो। पार्टी ने जीएसटी 2.0 को अच्छा और सरल बनाने के साथ ही टैक्स तथा जांच एजेंसी का आतंक खत्म करने की मांग की और कहा कि यह निजी निवेश को रोक रहा है तथा उद्यमियों को विदेश भागने को मजबूर कर रहा है, इसलिए इसे समाप्त होना चाहिए।
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