मणिपुर में थम नहीं रही हिंसा, तनाव चरम पर
बात सामुदायिक गोलबंदी तक पहुंची
अभी तक 100 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। इससे कहीं अधिक संख्या में लोग घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित भी। इसके साथ ही मैतेई और कुकी समुदायों के बीच का तनाव चरम पर पहुंच चुका है।
इम्फाल। मणिपुर में गत तीन मई को भड़की हिंसा जारी है। यह राजनैतिक और प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद शांत नहीं हो रही। एक तटस्थ आकलन के अनुसार इसमें अभी तक 100 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। इससे कहीं अधिक संख्या में लोग घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित भी। इसके साथ ही मैतेई और कुकी समुदायों के बीच का तनाव चरम पर पहुंच चुका है। दोनों समुदायों के लोग मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों से भाग कर अपने समुदाय के वर्चस्व वाले इलाकों में शरण ले रहे हैं। इस मंजर के मुख्यत: भूअधिकार सम्बंधित और कुछ सांस्कृतिक कारण भी हैं। इन कारणों के अलावा मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी भी नफरत की आग में घी डालने का काम कर रही है। इम्फाल घाटी में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोग इस हिंसा के लिए कुकी समुदाय को दोषी ठहराते हैं। उधर पहाड़ोें पर रहने वाले कुकी कहते हैं कि मैतेई उनके भूमि अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं और उनकी भूमि हड़पना चाहते हैं। इसके लिए वे मैतेई समुदाय द्वारा लगातार एसटी की सूची में शामिल किए जाने की मांग को उदाहरण के तौर पर पेश कर रहे हैं।
मैतेई समुदाय की आबादी 60 प्रतिशत
वर्तमान में आदिवासी क्षेत्रों में परम्परागत कानून के तहत कुकी आदिवासियों के पास अधिकतर भूमि का अधिकार है। मैतेई समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत है, परन्तु उसके पास केवल आठ प्रतिशत जमीन का ही स्वामित्व है। भूमि स्वामित्व के मामले में कुकी समुदाय का प्रभुत्व है। इसी बीच मणिपुर हाईकोर्ट ने गत अप्रेल माह में राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में चार सप्ताह में फैसला करने को कहा। हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार को अपनी अनुशंसा केन्द्र सरकार को भी भेजने को कहा। इस फैसले से कुकी समुदाय और भी उत्तेजित हो उठा। उसने समझा कि यदि मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया, तो वे कुकियों की जमीन खरीदेंगे और जमीन के स्वामित्व पर उनका प्रभुत्व जाता रहेगा।
मादक द्रव्य संस्कृति का निर्माण
उल्लेखनीय है कि भूमि स्वामित्व के मामले में कुकी समुदाय का बहुत कुछ एकाधिकार है। मैतेई लोगों का आरोप है कि इसका फायदा उठा कर कुकी समुदाय ने अपनी जमीन पर अफीम की खेती की और मणिपुर में मादक द्रव्य संस्कृति का निर्माण हुआ। मैतेई यह भी दावा करते हैं सरकार के साथ आतंकवाद में कभी लिप्त न होने का समझौैता करने के बाद भी कुकी हथियारों की तस्करी में लिप्त हैं। इस बीच कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे समस्या के निराकरण करने की प्रार्थना की है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मणिपुर का दौरा किया। वे हिंसा से सर्वाधिक ग्रस्त चूराचंदपुर भी गए।
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