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राजस्थान  जयपुर 

सामुदायिक भावना के भवन : सर्वानंद महाराज को सपना आया, धर्मशाला बने फिर निर्मित हुआ 'श्री प्रेम प्रकाश विश्राम गृह'

सामुदायिक भावना के भवन : सर्वानंद महाराज को सपना आया, धर्मशाला बने फिर निर्मित हुआ 'श्री प्रेम प्रकाश विश्राम गृह' धर्मशाला का उपयोग शादी-पार्टी के लिए नहीं, न ही इसमें शराब पीकर कोई व्यक्ति ठहर सकता है, यदि किसी ने चुपके से शराब पीकर कमरा लिया, कमरे में बैठकर जुआ खेला या शराब का सेवन किया तो यात्री को ठहरने नहीं देते हैं
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