सामुदायिक भावना के भवन : सर्वानंद महाराज को सपना आया, धर्मशाला बने फिर निर्मित हुआ 'श्री प्रेम प्रकाश विश्राम गृह'
यात्रियों के लिए शहर में रुकने का एक अच्छा स्थान
धर्मशाला का उपयोग शादी-पार्टी के लिए नहीं, न ही इसमें शराब पीकर कोई व्यक्ति ठहर सकता है, यदि किसी ने चुपके से शराब पीकर कमरा लिया, कमरे में बैठकर जुआ खेला या शराब का सेवन किया तो यात्री को ठहरने नहीं देते हैं
जयपुर। एक रात संत सर्वानन्द जी महाराज को सपना आया कि देश और दुनिया के अनेक भागों से श्री अमरापुर स्थान में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक धर्मशाला बननी चाहिए, जहां वे एक-दो दिन रुक कर आराधना कर सकें। सुबह उठकर उन्होंने अपने सपने को साझा किया, उनके अनुयायियों ने वर्ष 1970 में चन्द कमरों की धर्मशाला की नींव रखी। शिलान्यास के कुछ माह बाद ही एक छोटी धर्मशाला बनकर तैयार हुई, लेकिन उसमें उस समय के अनुसार सामूहिक शौचालय, स्नान घर बनाए गए। धीरे-धीरे समय अपनी गति से गुजरने लगा। देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते धर्मशाला में ठहरते, समय की धारा के साथ ही लगने लगा कि धर्मशाला का विस्तार किया जाना चाहिए।
वर्ष 2010 में संत भगत प्रकाश महाराज की प्रेरणा से 'प्रेमप्रकाश मण्डल ट्रस्ट' ने 150 कमरों की एक वातानुकूलित धर्मशाला तैयार करवाई, जिसका नाम-'श्री प्रेम प्रकाश विश्राम गृह' रखा गया। पूरे भवन को वातानुकूलित रूप दिया गया, जिसमें अटैच बाथ सहित अन्य सुविधाएं रखी गईं। एक कमरे का किराया मात्र 400-500 रुपए तय किया गया। रेलवे स्टेशन और सिंधी कैम्प बस स्टैण्ड से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री अमरापुरा स्थान मंदिर के निकट धर्मशाला सभी यात्रियों के लिए शहर में रुकने का एक अच्छा स्थान है।
नहीं होती शादी-पार्टी
धर्मशाला बनने के साथ ही बनाई नियमावली में तय हुआ कि धर्मशाला का उपयोग शादी-पार्टी के लिए नहीं दिया जाएगा। न ही इसमें शराब पीकर कोई व्यक्ति ठहर सकता है। यदि किसी ने चुपके से शराब पीकर कमरा लिया या कमरे में बैठकर जुआ खेली या शराब का सेवन किया तो उस यात्री को ठहरने नहीं देते हैं।
सुबह पांच से रात दस बजे तक प्रवेश
'श्री प्रेम प्रकाश विश्राम गृह' में सुबह पांच बजे से रात दस बजे तक ही प्रवेश दिया जाता है, यदि कोई व्यक्ति रात दस बजे बाद आता है तो उसे उसमें प्रवेश नहीं दिया जाता है। विश्राम गृह में यात्रियों के लिए न्यूनतम दर पर चाय, कॉफी, पानी की बोतल, तेल,साबुन और अन्य खाद्य पदार्थ की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती हैं।
बड़े आयोजन के अतिथि भी ठहरते हैं
शहर में बड़े स्तर पर होने वाले आयोजन में शामिल होने वाले अतिथि भी बड़े चाव से धर्मशाला में ठहरते हैं। यहां का सात्विक माहौल, श्रीअमरापुर स्थान से आने वाली संगीत, श्रद्धा और सेवा के भाव से लोग धर्मशाला में बड़े उत्साह से रूकते हैं।
देश और दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक जयपुर आते हैं, उनकी सुविधा के लिए श्रीप्रेम प्रकाश विश्राम गृह का नवीनीकरण किया गया है। इसमें तमाम आधुनिक सुविधाएं रखी गई हैं, ताकि वे बहुत ही मुनासिब दरों में रहकर ईश्वर की आराधना कर सकें और यदि पर्यटक के रूप में आए हैं तो कम पैसे में कमरा लेकर जयपुर घूम सकें।
-संत मोनूराम महाराज, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर

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