बेघरों के लिए ढाल बनी सरकार : आश्रय स्थलों का खड़ा किया मजबूत नेटवर्क, रैन बसेरों से 21 हजार से अधिक लोगों को मिल रहा सहारा
अस्थायी रैन बसेरे भी चलाए जा रहे हैं
रदेश के 138 नगरीय निकायों में लगभग 12 हजार लोगों की क्षमता वाले 238 स्थायी आश्रय स्थल संचालित किए जा रहे हैं। यहां स्वच्छ पेयजल, बिजली, शौचालय, रसोई, गीजर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जयपुर। प्रदेश में बढ़ती सर्दी और शीतलहर के बीच मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई में राज्य सरकार बेघरों के लिए ढाल बनकर सामने आई है। तापमान कई शहरों में 10 डिग्री से नीचे पहुंच चुका है और आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ने की संभावना है। ऐसे हालात में जिनके पास सिर छुपाने को छत नहीं, उनके लिए सरकार ने स्थायी और अस्थायी आश्रय स्थलों का मजबूत नेटवर्क खड़ा किया है। राज्य सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर यह साफ दिखता है कि नव उत्थान–नई पहचान केवल नारा नहीं, बल्कि भूमि पर उतरती नीति है। प्रदेश के 138 नगरीय निकायों में लगभग 12 हजार लोगों की क्षमता वाले 238 स्थायी आश्रय स्थल संचालित किए जा रहे हैं। यहां स्वच्छ पेयजल, बिजली, शौचालय, रसोई, गीजर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इसके साथ ही सर्दी, बारिश और भीषण गर्मी के दौरान तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए 109 नगरीय निकायों में 9435 व्यक्तियों की क्षमता वाले 139 अस्थायी रैन बसेरे भी चलाए जा रहे हैं। इन अस्थायी आश्रय स्थलों में भी मूलभूत सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। सरकार दीनदयाल अन्त्योदय योजना–राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी बेघर लोगों को निःशुल्क आश्रय और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चल रही कल्याणकारी योजनाएं “नर सेवा ही नारायण सेवा” की सोच को मजबूती से आगे बढ़ा रही हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2024 की शुरुआत में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद रैन बसेरों में पहुंचे थे, वहां रहने वाले लोगों से मुलाकात की और सड़कों पर रहने वाले निराश्रितों को कंबल भी वितरित किए थे। यह संवेदनशीलता आज नीति और व्यवस्थाओं के रूप में प्रदेशभर में दिखाई दे रही है। राज्य सरकार का यह प्रयास साफ संदेश देता है—सर्द मौसम में कोई भी राजस्थानवासी बेसहारा न रहे, यही बढ़ते राजस्थान की असली पहचान है।

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