कांग्रेस का हल्ला-बोल, कहा-सीएम नीतीश द्वारा डॉक्टर लड़की का हिजाब खींचे जाने पर मौन क्यों हैं सरकार ?
हिजाब विवाद पर कांग्रेस का केंद्र पर हमला
नई दिल्ली में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पटना की घटना को लेकर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पढ़ी-लिखी बेटियों के पहनावे पर टिप्पणी करना महिला सम्मान और आज़ादी पर हमला है।
नई दिल्ली। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सोमवार को यहां सोशल मीडिया एक्स पर एक बयान में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले ही पढ़ी लिखी बेटी का हिजाब खींचते हैं तो उन्हें यह भी बताना चाहिए जब बेटी पढ़ लिख कर बाहर निकले तो उसे कौन से कपड़े पहनने चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर चुप्पी साधने का कारण बताना चाहिए कि बेटियां क्या पहनकर बाहर निकलें। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, पटना में एक डाक्टर को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उसका हिजाब खींचने की घटना की पूरी देश-दुनिया में थू थू हो रही है लेकिन आश्चर्य की बात है कि केंद्र सकरार द्वारा इस मुद्दें पर चुप्पी साधी हुई है।
पवन खेड़ा ने कहा, बेटियां छोटे कपड़े पहनें तो दिक़्क़त, हिजाब पहनें तो दिक़्क़त लेकिन असल में दिक़्क़त बेटियाँ नहीं, दिक्कत खुद आप हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारा अच्छा है लेकिन जब बेटी पढ़ लिख कर बाहर निकले, तो वह क्या कपड़े पहने हैं, ये सवाल बहुत गंभीर हो गया है। टाइट कपड़े पहने थे तो गलती उसकी थी। अब कहा जा रहा है साब उसने हिजाब पहना था, गलती उसकी है। सीएम नीतीश कुमार प्रदेश के मुख्यमंत्री है और उन्होंने डॉक्टर नुसरत परवीन का हिजाब कैमरे के सामने खींचने की बार बार कोशिश की है। इस दृश्य को देखकर कितने मां बाप हिम्मत दिखाएंगे कि वे अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए भेजें।
इसके आगे कांग्रेस नेता ने कहा, पढ़ लिखकर, मेहनत करके गरीबी से निकलकर डॉक्टर बनी नुसरत परवीन में सोचा था कि अच्छी नौकरी करेगी, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री ही इस तरह की हरकत करते हैं। इस हरकत के बाद कोई हिम्मत दिखाएगा कि वह अपनी बेटी को पढने के लिए भेजे। यहां सवाल हिजाब का नहीं, डॉक्टर नुसरत परवीन का नहीं, बात मुसलमान की भी नहीं है, बात पल्लू की नहीं और घूंघट की भी नहीं है, सिखों की पगड़ी, धोती और लूंगी की भी नहीं है, बात है आपकी और मेरी मर्जी की, बात है मेरी और आपके सम्मान की, बात ये है कि अगर बच्ची पढ़ के बाहर निकलेगी, सार्वजनिक स्थान पर जाएगी तो फिर उसके लिए माहौल और वातावरण कितना सुरक्षित है, वह कितना महफूज महसूस करती है, इस आजादी को हम खत्म करते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस हरकत के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को सजा नहीं दी गयी बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता इस पर तालियां बजाते हैं, अजीब अजीब टिप्पणियां करते हैं। पूरे माहौल को हिंदू और मुसलमान का बनाया जाता है और असली मुद्दे से ध्यान हटाने का काम होता है। असली मुद्दा है बहू, बेटियां, बहनों का, देश की महिलाओं की सुरक्षा का, महिलाएं घर से बाहर निकलें या ना निकलें, निकलें तो कौन से कपड़े पहन कर निकलें, यह कौन तय करेगा। इसके आगे पवन खेड़ा ने कहा, आज पूरे विश्व में हमारी राजनीति के स्तर की थू-थू हो रही है, सवाल है कि इस मामले में केंद्र सरकार चुप्पी क्यों साधे हैं। केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि लड़कियां घर से बाहर जाने पर कौन से कपड़े पहने।

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