दुर्गंध के बीच कैसे करें उपचार, डॉक्टर खुद होने लगे बीमार, बदबू के कारण सांस लेना हो रहा मुश्किल
जल्द समाधान नहीं हुआ तो संक्रमण फैलने की आशंका
राजकीय पशु चिकित्सालय से नहीं उठ रहे मृत मवेशी चिकित्सालय सटाफ व पशुपालक हो रहे परेशान।
कोटा। शहर के मोखापाड़ा स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय में बीते कई दिनों से मृत मवेशियों को नहीं उठाए जाने से हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। अस्पताल परिसर में पड़े मृत पशुओं से उठ रही दुर्गंध के कारण न सिर्फ उपचार कार्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि चिकित्सक, स्टाफ और पशुपालकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में पशुपालक अपने बीमार मवेशियों को इलाज के लिए लेकर पहुंचते हैं, लेकिन परिसर में फैली बदबू के चलते वहां रुकना तक मुश्किल हो गया है। दुर्गंध के कारण कई पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ चुकी है। इसके बावजूद मृत मवेशियों के निस्तारण को लेकर जिम्मेदार विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
कई चिकित्सकों की बिगड़ी तबीयत
अस्पताल में कार्यरत पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों ने बताया कि लगातार दुर्गंध के संपर्क में रहने से उन्हें सिरदर्द, उल्टी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं। कुछ चिकित्सकों को तो इलाज के बाद खुद चिकित्सकीय परामर्श लेना पड़ा है। एक चिकित्सक ने बताया कि मृत मवेशियों से निकलने वाली दुर्गंध में अमोनिया और सड़ांध की गैसें होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। लगातार ऐसे माहौल में काम करने से हमारी तबीयत बिगड़ रही है, फिर भी मजबूरी में हमें पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है। एक अन्य चिकित्सक ने कहा कि यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो संक्रमण फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
पशु उपचार कार्य भी प्रभावित
पशु चिकित्सकों का कहना है कि दुर्गंध और अस्वच्छ वातावरण में पशुओं का इलाज करना बेहद कठिन हो गया है। संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे अन्य बीमार पशुओं की सेहत पर भी असर पड़ सकता है। दुर्गंध और असहज वातावरण के चलते कई बार पशुओं का उपचार जल्दी-जल्दी निपटाना पड़ रहा है या फिर पशुपालकों को इंतजार करने को कहा जा रहा है। इससे गंभीर रूप से बीमार पशुओं के इलाज में देरी हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह की स्थिति में गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित उपचार संभव नहीं हो पा रहा है। बदबू के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है।
अब संक्रमण का खतरा बढ़ा
पशु चिकित्सकों का कहना है कि मृत पशुओं के लंबे समय तक पड़े रहने से बैक्टीरिया और कीटाणुओं के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। इससे न सिर्फ अस्पताल परिसर अस्वच्छ हो रहा है, बल्कि अन्य बीमार पशुओं में संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी हुई है। दुर्गंध के कारण मक्खियों और अन्य कीटों की संख्या भी बढ़ गई है, जो बीमारियों को और फैलाने का कारण बन सकती हैं। चिकित्सकों का कहना है कि दुर्गंध इतनी तीव्र है कि उपचार कक्षों में लंबे समय तक रुकना मुश्किल हो गया है, जिससे नियमित जांच, इंजेक्शन, ड्रेसिंग और आॅपरेशन जैसी प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं।
-हमारे पशु बीमार हैं, उन्हें आराम और साफ माहौल चाहिए, लेकिन यहां बदबू के कारण पशु भी बेचैन हो जाते हैं। प्रशासन को यहां की समस्या का जल्द से जल्द समाधान करना चाहिए।
- रमेश गुर्जर, पशुपालक
-राजकीय पशु चिकित्सालय में मृत मवेशियों को कई दिनों से नहीं उठाए जाने के कारण फैली दुर्गंध अब गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप ले चुकी है। बदबू के चलते पशुओं की उपचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कई पशु चिकित्सकर्मियों की तबीयत तक बिगड़ चुकी है।
- डॉ. भंवर सिंह, वरिष्ठ पशु चिकित्सक

Comment List