चिकित्सकों व स्टाफ के अभाव में समय पर नहीं मिल रहा ग्रामीणों को इलाज, जानें पूरा मामला
बदहाली का शिकार हुआ सातलखेड़ी का आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
इलाज के लिए मरीजों को कोटा , रामगंजमंडी या अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है।
सातलखेड़ी। सातलखेड़ी स्थित आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जमीनी हकीकत सरकारी दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। गांव के सैकड़ों ग्रामीण आज भी बुनियादी इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं, कारण है स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर की नियमित मौजूदगी का अभाव, जिससे मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां नियुक्त डॉक्टर मुकेश कुमार की ड्यूटी सुकेत में लगा दी गई है, जिसके चलते सातलखेड़ी स्वास्थ्य केंद्र अक्सर डॉक्टर विहीन रहता है। ग्रमीणों का कहना है कि आपातकालीन स्थिति में मरीज की जान की जिम्मेदारी तय नहीं है। मजबूरी में मरीजों को पहले सातलखेड़ी लाया जाता है और इलाज न मिलने पर सुकेत या रामगंजमंडी रेफर करना पड़ता है। इस देरी में कई बार मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
परिसर की हालत भी चिंताजनक
ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल परिसर की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। अस्पताल के चारों ओर नशेड़ियों का जमावड़ा बना रहता है। बाउंड्री और मुख्य गेट के पास शराब की खाली बोतलें, गुटखा और सिगरेट के पैकेट बिखरे पड़े रहते है। जिससे साफ जाहिर होता है कि रात के समय अस्पताल परिसर नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है। इससे गंदगी के साथ मरीजों और महिलाओं की सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़े हो रहे है।
स्टाफ नदारद, कुर्सियां खाली
ग्रामीणों ने बताया कि सातलखेड़ी के आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि नर्सिंग स्टाफ, कंपाउंडर और अन्य सहायक कर्मचारी भी अक्सर नदारद रहते हैं। कई बार अस्पताल खुला होने के बावजूद अंदर सभी स्टाफ की कुर्सियां खाली पाई जाती हैं, जिससे मरीजों को न तो प्राथमिक उपचार मिल पाता है और न ही जरूरी दवाएं।
नाम का ही आदर्श है अस्पताल
ग्रामीणों का कहना है कि यह स्वास्थ्य केंद्र अब इलाज का नहीं, बल्कि सिर्फ नाम और इमारत तक सीमित होकर रह गया है। जब पूरा स्टाफ ही नियमित रूप से मौजूद नहीं रहता, तो सरकार द्वारा इसे आदर्श स्वास्थ्य केन्द्र का दर्जा आखिर किस आधार पर दिया गया है। जब तक नया डॉक्टर नियुक्त नहीं होता तब तक गांव के मरीजों का क्या होगा।
सातलखेड़ी में करीबन 25 हजार की आबादी निवास करती है। कस्बे में अस्पताल से जुड़ी हÞुई सभी सुविधाएं होनी चाहिए। ताकि मरीजों को कोटा या रामगंजमंडी आदि अस्पतालों का रूख नहीं करना पड़े। अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में कई बार मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
-नयन अखंड, जनप्रतिनिधि
सुकेत में डॉक्टरों की कमी के चलते सातलखेड़ी के डॉक्टर की ड्यूटी वहां लगाई गई है। जिला कलेक्टर को इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है।
-डॉ. राजेन्द्र मीणा, बीसीएमएचओ

Comment List