जालोर में तुगलकी फरमान लिया वापस : महिलाओं के मोबाइल उपयाेग पर नहीं है अब रोक, जानें पंच-पटेलों ने क्यों लिया यू-टर्न ?
जालोर में तुगलकी फरमान वापस: महिलाओं के मोबाइल पर प्रतिबंध हटा
राजस्थान के जालोर में 15 गांवों की पंचायत ने भारी विरोध के बाद महिलाओं और लड़कियों के मोबाइल उपयोग पर लगा प्रतिबंध वापस ले लिया है। सामाजिक दबाव के बाद समाज ने इस विवादित प्रस्ताव को पूरी तरह निरस्त कर दिया।
जालोर। संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने महिलाओं के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया उनको पुरुषों के बराबर सम्मान/हक दिलाया मगर आज भी संविधान के दौर में ऐसी पंचायत का होना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जहां एक तरफ दुनियां तरक्की और तकनीक के दौर में नैनो टेक्नोलॉजी को अपना रही है, तो दूसरी तरफ राजस्थान के जालोर में हाल ही में, एक तुगलकी फरमान जारी किया गया और महिलाओं के मोबाइल उपयोग कर रोक लगा दी गई। इतना ही नहीं, महिलाओं और लड़कियों के घर से बाहर फोन रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। बता दें कि ये तुगलकी फरमान जालोर के केवल 15 गांवों पर ही लागू किया गया था बाकी पर नहीं।
जानकारी के लिए बता दें कि इस तुगलकी फरमान में कहा कि समाज में बहू बेटियों के पास कैमरा वाला मोबाइल नहीं रहेगा। पढ़ाई करने वाले लड़कियां पढ़ाई में जरूरी लगे तो वह पढ़ाई करने के बाद घर से बाहर नहीं ला सकती और सार्वजनिक समारोह में नहीं न किसी पड़ोसी के यहां मोबाइल ला सकती हैं।
इसके बाद मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो इसका पूरे राजस्थान में विरोध होने लगा, जिसके बाद सुंधा माता पट्टी के अजना चौधरी द्वारा महिलाओं स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव विवादों में घिरा तो पंचायत ने ये तुगलकी फरमान वापस ले लिया। समाज के सबसे अग्रणी नथाराम चौधरी ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि हमने इस प्रस्ताव को अब पूरी तरह से वापस ले लिया है और अब महिलाएं और बेटियां पहले की तरह अपने स्मार्टफोन का उपयोग कर सकती है।
इस मामले के बारे में समाज के पांच पटेल ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कोई फैसला नहीं था, बल्कि महिलाओं की ओर से दिया गया सुझाव था, जिस पर 26 जनवरी तक समाज की राय मांगी गई थी। बच्चों पर मोबाइल के दुष्प्रभाव को देखते हुए प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर हुए विरोध के बाद आज हमने इसे वापस ले लिया गया है।

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