मोदी की बनी भारत के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री की छवि : अमेरिका के सामने डरने की बजाय शक्ति से दें जवाब, पवन खेड़ा बोले- आप घर पर ही शेर बने हुए हैं या बाहर भी कभी दहाड़ेंगे
भारत के प्रधानमंत्री की ऐसी छवि पहले कभी नहीं रही है
यह बहुत दुखद और अत्यंत चिंताजनक स्थिति थी। भारत के प्रधानमंत्री की ऐसी छवि पहले कभी नहीं रही है।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि सबसे कमजोर प्रधानमंत्री की बन गई है और यह हम सबके लिए चिंता की बात है, इसलिए मोदी को अमेरिका के सामने डरने की बजाय शक्ति से उसे जवाब देना चाहिए। पार्टी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने भारत की पोल खोल दी है, इसलिए अब वह अपने टैरिफ कम करने को मान गए हैं। ऐसा लग रहा है किसी ने भारत को धमकाया और अपनी बात मानने को मजबूर कर दिया। हमने जब से यह शब्द सुने तो बहुत दुख हुआ। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने पार्टी मुख्यालय में कहा कि कुछ सप्ताह पहले मोदी अमेरिका गए, तो उनकी मौजूदगी में भारत को रेसिप्रोकल टैरिफ के नाम पर धमकाया जा रहा था, लेकिन मोदी इस पर एक शब्द बोलने की बजाय उल्टे मुस्कुराते रहे। यहां तक कि जब प्रधानमंत्री वहां से लौटे, तो उसके कुछ घंटों बाद एक विमान भारत में उतरा, जिसमें हमारे लोग बेड़ियों से जकड़े हुए थे। यह बहुत दुखद और अत्यंत चिंताजनक स्थिति थी। भारत के प्रधानमंत्री की ऐसी छवि पहले कभी नहीं रही है।
उन्होंने कहा कि हमारे मन में भारत के प्रधानमंत्री पद की गरिमा और ताकत की एक छवि बनी हुई है। वह छवि बनी 1971 में बंगलादेश के वक्त, जब अमेरिका ने हमें धमकाया, अपना सातवां बेड़ा भेज दिया, लेकिन हम नहीं झुके और बंगलादेश को आजाद कराया। फिर 1974 में पोखरन में, जब अमेरिका ने हमें रोकने के लिए तारापुर संयंत्र का ईंधन रोक दिया। हम तब भी नहीं दबे, नहीं डरे। पोखरन-2 के समय अटल जी प्रधानमंत्री थे। तब भी हमें डराया-धमकाया गया, मगर हम नहीं डरे। देश के प्रधानमंत्री पद की छवि आज ऐसी कैसे हो गई। यह सवाल हम सबको पूछना चाहिए। अभी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल व्यापार पर बातचीत करने के लिए अमेरिका गए हुए तो अमेरिका के राष्ट्रपति उन्हें अपमानित करते हुए कर रहे थे कि भारत टैरिफ कम करने को मान गया। लेकिन सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं हुई। किसी को कुछ नहीं मालूम। न विपक्ष को मालूम, न मीडिया को, न देश को, न कैबिनेट को। अगर आज हमारे प्रधानमंत्री भारत को यूं कमजोर करके लौट आते हैं, तो विश्व पटल पर भारत को गंभीरता से कैसे लिया जाएगा। नेपाल के लोग जब अमेरिका से लौट कर आए, तब वे बेड़यिों में नहीं जकड़े थे।
प्रवक्ता ने कहा कि मोदी देश में शेर की तरह दहाड़ते हैं, लेकिन बाहर मिट्टी के शेर बन जाते हैं। नाम नरेंद्र - काम सरेंडर हम इस मिट्टी के शेर को भारत की छवि से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दे सकते। एक तरफ ट्रंप, नरेंद्र मोदी से गले मिल रहे हैं, दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था का गला काट रहे हैं- इसमें मोदी सरकार को कोई दिक्कत नजर नहीं आती। यह साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री के लिए उनकी छवि देश की आर्थिक स्थिति से बढ़कर है। तमाम देश अमेरिका को जवाब दे रहे हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एक शब्द नहीं बोल रहे हैं। आखिर ये लोग क्यों डर रहे हैं।
टैरिफ की सबसे बड़ी चोट इस देश के लघु उद्योग को पड़ेगी। हमारे देश को सालाना 60 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इसकी चोट नरेंद्र मोदी के क्रोनी कैपिटलिस्ट दोस्तों को नहीं पड़ेगी। सवाल यह है कि जब कनाडा, मेक्सिको और नेपाल भी अमेरिका से नहीं डर रहे, तो नरेंद्र मोदी को किस बात का डर है। बड़ी-बड़ी अमेरिकी कंपनियां भारत के बाजार में हैं, लाभ उठा रही हैं। अगर अमेरिका एक विकसित देश है, उसकी कंपनियां हमारे बाजार में आकर दुकान खोल रही हैं, तो भारत एक विकासशील देश है, हम भी अपने हितों की रक्षा करेंगे। अगर मोदी सरकार कोई जवाबी कार्रवाई करती है, हम विपक्ष की हैसियत से उसके साथ खड़े दिखेंगे। बस इतना बता दें- आप घर पर ही शेर बने हुए हैं या बाहर भी कभी दहाड़ेंगे।
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