साजिश बड़ी थी : लोकतंत्र के मंदिर पर हुआ था हमला, मुस्तैद जवानों ने आतंकियों को संसद में घुसने से पहले ही मार गिराया
इस वक्त तक सब कुछ अच्छा था
आतंकियों के पास एके-47 और हैंडग्रेनेड थे। उस वक्त सदन में देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन समेत कई बड़े नेता और पत्रकार मौजूद थे।
नई दिल्ली। 13 दिसंबर 2001, ठंड का मौसम था धूप खिली हुई थी। संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था और महिला आरक्षण बिल पर चर्चा होनी थी। हंगामें के कारण सुबह 11.02 बजे संसद को स्थगित कर दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे। इस वक्त तक सब कुछ अच्छा था, लेकिन चंद मिनटों में संसद पर जो हुआ, उसके बारे में न कभी किसी ने सोचा था और न ही कल्पना की थी। करीब साढ़े ग्यारह बजे सफेद एंबेसडर में सवार 5 आतंकी गेट नंबर-12 से संसद के अंदर घुस गए। आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47 और हैंडग्रेनेड थे। उस वक्त सदन में देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन समेत कई बड़े नेता और पत्रकार मौजूद थे।
संसद में मौजूद सीआरपीएफ के जवानों ने जान पर खेलकर आतंकियों को मार गिराया। सुबह 11.30 बजे शुरू हुई ये मुठभेड़ शाम को 4 बजे खत्म हुई। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला सिक्योरिटी गार्ड, राज्यसभा के 2 कर्मचारी और एक माली की मौत हो गई।
2001 का हमला लोकतंत्र पर नहीं-सिस्टम पर हमला था
- पांच आतंकी 45 सेकंड में संसद परिसर तक पहुंच गए-यह उस समय की सुरक्षा की सबसे बड़ी नाकामी थी।
- लोगों की शहादत ने देश को बताया कि दिल्ली के दिल में भी सुरक्षा छलनी थी।
2001 के बाद भारत ने सुरक्षा को गंभीरता से देखना शुरू किया
-पहले सुरक्षा सिर्फ गार्डों और बंदूकों तक थी, हमले के बाद चार स्तरीय, बहु-एजेंसी और तकनीकी आधारित सुरक्षा युग शुरू हुआ।
नई संसद भवन: 2023 से भारत का सबसे सुरक्षित राजनीतिक परिसर
- 20+ मीटर ऊंची सुरक्षा दीवार - दुनिया
की संसदों में सबसे ऊंची।
- एआई-फेशियल रिकग्निशन + बायोमेट्रिक + इलेक्ट्रिक फेंसिंग - तीनों एकसाथ काम करने वाला पहला परिसर।
4-टियर सिक्योरिटी - पुरानी 3-टियर प्रणाली को पूरी तरह अप्रासंगिक बना दिया।
2001 की सबसे बड़ी सीख
- केवल संसद के दरवाजे नहीं, खुफिया एजेंसियों के दरवाजे भी खोले गए
- संसद में एआई आधारित उउळश्, अद्यतन स्कैनर, थर्मल कैमरे, और फुल-प्रूफ बायोमेट्रिक एंट्री।
- मानकों पर कड़ा एक्शन - आतंक फंडिंग लगभग असंभव स्तर तक सीमित।
2023 संसद ब्रेक
- सुरक्षा में एक गुणात्मक झटका, जिसने सिस्टम को और मजबूत बनाया
- मेटल डिटेक्टर फेल, विजिटर पास सिस्टम की खामियाँ सामने आईं।
- परिणाम: नए स्कैनर, अक-लिंक्ड पाथवे, अतिरिक्त दिल्ली पुलिस तैनाती और अनिवार्य डिजिटल ट्रैकिंग।

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