बढ़ती ठण्ड की मार

बढ़ती ठण्ड की मार

देश के ज्यादातर हिस्सों में बढ़ती ठण्ड ने जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

देश के ज्यादातर हिस्सों में बढ़ती ठण्ड ने जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। अधिकांश मैदानी इलाकों में पिछले हफ्ते की बारिश ओलावृष्टि के बाद अब शीतलहर ने जोर पकड़ लिया है। पिछले एक हफ्ते में ठण्ड के वैसे ही सता रही थी, तापमान निचले स्तर पर चल रहा था, लेकिन बरसात और ओलावृष्टि ने बड़ी आबादी को बचाव की मुद्रा में खड़ा कर दिया। ठण्ड से ज्यादा चिंता की वजह यह बन रही है कि कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन की तीसरी लहर के रूप में अपना व्यापक दायरा बना रहा है, देश में प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बढ़ती ठण्ड के मौसम में ओमिक्रॉन के साथ-साथ सर्दी-जुकाम, बुखार व खांसी जैसी मौसमी बीमारियां भी बढ़ रही है। ऐसे हालात में लोग यदि कोरोना की चपेट में आते हैं, तो चिंता की स्थिति और बढ़ जाती है। मौसमी बीमारी व कोरोना की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि अब कई दिनों की ठण्ड और बरसात से कुछ राहत मिली है, लेकिन मौसम के बारे में सही-सही अनुमान लगाना मुश्किल है। मौसम विभाग के अनुसार शीत लहर का असर 14-15 जनवरी तक बना रहेगा और आगे की स्थिति का बाद में अनुमान लगेगा। वैसे भी मौसम अपनी गति के अनुसार चलता है और बीच-बीच में अचानक नए-नए कारण खड़े हो जाते हैं। फिलहाल तो उत्तरी भारत के अधिकांश इलाकों में तापमान तीन से पांच डिग्र्री तक के निचले स्तर पर चल रहा है। अभी मौसम की ठण्ड का ज्यादा असर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहा है। बढ़ती ठण्ड के बीच बारिश बर्फबारी एक आम प्राकृतिक घटना है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और पश्चिमी विक्षोभ के कारण अभी ठण्ड ज्यादा प्रभाव दिखा रही है। अब अगर हिमाचल की तरफ से बहने वाली हवा का जोर बढ़ा तो ठण्ड में और इजाफा देखने को मिल सकता है। सामान्य स्थितियों में मौसम के ऐसे प्रभाव को लोग समझते हैं और सहने के आदी भी हैं, लेकिन पिछले दो सालों से ठण्ड और इसके असर में होने वाला परिवर्तन चिंता पैदा करने वाला है। सामान्य से अधिक ठण्ड को लोग सहने के अभ्यस्त नहीं है। गरीब व बेघर लोगों का जीना काफी दुभर हो जाता है। मौसम विभाग के अनुसार अभी ठण्ड से जल्दी राहत की उम्मीद नहीं है। ऐसे में लोगों को कोरोना काल के बीच अपने बचाव का पूरा ध्यान रखना होगा, साथ ही सरकारों को भी जरूरतमंदों के लिए मदद के हाथ बढ़ाने चाहिए। सावधानी की काफी जरूरत है।

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