कुदरत का कहर

कुदरत का कहर

जाते-जाते मानसून की भारी बारिश व भूस्खलन ने केरल और उत्तराखण्ड के कई इलाकों में तबाही मचा दी है।

जाते-जाते मानसून की भारी बारिश व भूस्खलन ने केरल और उत्तराखण्ड के कई इलाकों में तबाही मचा दी है। भारी बारिश व भूस्खलन से केरल में 26 और उत्तराखण्ड में 34 लोगों की मौत हो जाने की खबर है। केरल और उत्तराखण्ड के अलावा देश के कई राज्यों में भी तबाही का मंजर मचा है। बाढ़, नदी-नालों में उफान जैसी घटनाओं से भारी नुकसान होने की जानकारी मिली है। केरल में घर नदी में समा गए, पुल और सड़कें पानी में बह गए। केरल में 2018 और 2019 में भी तबाही मची थी, वैसे ही तबाही इस बार भी मचने की आशंका है। उत्तराखण्ड में मौसम विभाग का अलर्ट मिलने के बाद चारधाम यात्रा रोक दी गई है। इस बार उत्तराखण्ड व हिमाचल में भूस्खलन की घटनाएं कुछ ज्यादा ही हुई हैं। इन कारणों का अध्ययन अब जरूरी हो गया है। पहले बारिश होती थी, लगातार होती थी, तब भी इतनी तबाही नहीं मचती थी जबकि आजकल जरा सी देर की मुसलाधार वर्षा से शहरों में तबाही मच जाती है। हर साल बाढ़ का तो नियम ही बन गया है। इससे हर साल जान-माल का भारी नुकसान होता है। सरकारें हर साल जान-माल की क्षति तो सहन कर लेती हैं, लोगों के संतोष के लिए मुआवजा भी घोषित कर देती हैं, लेकिन प्राकृति के प्रकोप से बचने के लिए उपायों पर ध्यान नहीं देती। केन्द्र सरकार भी राष्ट्रीय स्तर की कोई योजना नहीं बनाती है। हमारे देश में ही नहीं दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान बढ़ रहा है। भारत में भी तापमान बढ़ रहा है। इसकी वजह से मानसून में कहीं ज्यादा बारिश होती है तो कहीं सूखा पड़ जाता है। दरअसल ग्र्रीन हाऊस गैसों का ज्यादा उत्सर्जन होने से तापमान तो बढ़ ही रहा है साथ ही हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों का बेहिसा तरीके से दोहन भी किया गया है। पहाड़ों को नष्ट कर दिया गया है तो जंगलों का सफाया भी किया जा रहा है। हरियाली लुप्त होती जा रही है। ऐसा नहीं है जलवायु परिवर्तन अचानक हो गया है। पिछले कई सालों से वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ पिछले कई सालों से दुनिया को चेता रहे हैं, लेकिन कोई भी देश मान नहीं रहा है। आज यूरोप में भी तबाही मचती रहती है। भारत की सरकार हो या दुनिया की सरकारें पिछले आपदाओं से कोई सबक नहीं सीख रही हैं। अब भी समय है देश व दुनिया को कुदरत के मिजाज को समझकर ठोस योजनाएं बनाई जाएं, ताकि तबाही से बच सकें।

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