कैंसर वैक्सीन से बढ़ती उम्मीदें

दुनिया भर में उम्मीदों को नई दिशा दी

कैंसर वैक्सीन से बढ़ती उम्मीदें

रूस ने दावा किया है कि उसने एक ऐसी वैक्सीन विकसित की है, जो कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।

कैंसर का इलाज खोजना चिकित्सा विज्ञान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है। इस गंभीर बीमारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक दशकों से एक प्रभावी समाधान की तलाश कर रहे हैं। हाल ही में रूस ने दावा किया है कि उसने एक ऐसी वैक्सीन विकसित की है, जो कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। इस घोषणा ने दुनिया भर में उम्मीदों को नई दिशा दी है, खासकर भारत जैसे देशों में जहां हर साल 14 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आते हैं। अगर रूस का यह दावा सफल होता है, तो यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा खोजों में से एक हो सकती है। इसे विकसित करने में एमआरएन तकनीक का उपयोग किया गया है। यह वही तकनीक है, जो हाल के वर्षों में कोविड.19 वैक्सीन के लिए इस्तेमाल की गई थी। लेकिन कैंसर वैक्सीन में प्रक्रिया थोड़ी अलग है। इसमें मरीज के ट्यूमर से आरएनए नामक आनुवंशिक सामग्री निकाली जाती है। इसके बाद इसे वैक्सीन में बदलकर मरीज के शरीर में फिर से डाला जाता है। यह वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करती है, ताकि वह कैंसर कोशिकाओं को पहचान सके और उन्हें नष्ट कर सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वैक्सीन कैंसर से निपटने में मदद कर सकती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए शरीर के अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अगर यह टीका प्रभावी साबित होता है, तो मरीजों को कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे कठोर उपचारों की जरूरत नहीं होगी। ये प्रक्रियाएं अक्सर मरीजों के लिए दर्दनाक होती हैं और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। ऐसे में वैक्सीन एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकता है।

 हालांकि यह वैक्सीन हर तरह के कैंसर पर काम करेगी या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। रूस में स्तन और कोलन कैंसर जैसे मामलों की दर अधिक है, इसलिए संभव है कि यह वैक्सीन फिलहाल इन्हीं प्रकार के कैंसर के इलाज में प्रभावी हो। लेकिन यह भी दावा किया जा रहा है कि इसे व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर तैयार किया जाएगा। इसका मतलब है कि मरीज के ट्यूमर के प्रकार और उसकी स्थिति के आधार पर वैक्सीन को संशोधित किया जा सकता है। यह इसे अन्य पारंपरिक टीकों से अलग बनाता है। अगर यह वैक्सीन सफल होती है, तो यह कैंसर के उपचार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। यह सिर्फ  रूस तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका फायदा दुनिया भर के मरीजों को मिलेगा। भारत जैसे देशों के लिए भी यह बड़ी उम्मीद की किरण हो सकती है। भारत में हर साल लाखों लोग कैंसर से प्रभावित होते हैं। यहां की स्वास्थ्य सेवाएं और बजट सीमित हैं, जिससे मरीजों तक अत्याधुनिक चिकित्सा पहुंचाना मुश्किल होता है। अगर यह वैक्सीन भारत में उपलब्ध होती है, तो इससे इलाज को किफायती और व्यापक बनाया जा सकता है। भारत में भी कैंसर के इलाज के लिए वैक्सीन पर काम हो रहा है। इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। भारत के कई अनुसंधान संस्थान इस दिशा में प्रयासरत हैं। लेकिन समस्या यह है कि स्वास्थ्य बजट और अनुसंधान के लिए आवंटित राशि सीमित है। यदि भारत अपने स्वास्थ्य बजट में वृद्धि करता है और अनुसंधान को प्राथमिकता देता है, तो वह ऐसी वैक्सीन खुद भी विकसित कर सकता है। 

इसके अलावा यह भी जरूरी है कि लोगों को इस तरह की वैक्सीन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए। उदाहरण के लिए भारत में सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन इसे लेकर जागरूकता की कमी है। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन उपलब्ध नहीं है और प्राइवेट अस्पतालों में इसकी कीमत अधिक होने के कारण लोग इसे नहीं लगवा पाते। यही कारण है कि सर्वाइकल कैंसर के मामले अब भी बढ़ रहे हैं। रूस की वैक्सीन से जुड़े दावों पर नजर डालें, तो यह मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है। लेकिन फिलहाल इसे लेकर कई सवाल भी हैं। यह देखना होगा कि यह वैक्सीन कितनी प्रभावी है और इसे कितने व्यापक स्तर पर लागू किया जा सकता है। कैंसर जैसे जटिल रोग के लिए एक प्रभावी इलाज ढूंढ़ना आसान नहीं है।

 अगर यह टीका सफल होता है, तो यह दुनिया भर में लाखों मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकती है। रूस की यह पहल केवल एक देश तक सीमित नहीं रहेगी। अगर यह सफल होती है, तो यह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकती है। अन्य देश भी इस दिशा में अनुसंधान कर सकते हैं और अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना सकते हैं। भारत जैसे विकासशील देशों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। अगर यह वैक्सीन आयात की जाती है या भारत में ही विकसित की जाती है, तो इसके वितरण के लिए ठोस योजना बनानी होगी। वैक्सीन की कीमत कम रखनी होगी, ताकि यह गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों तक भी पहुंच सके। इस वैक्सीन के दावों ने दुनिया भर में उत्साह और जिज्ञासा पैदा की है। यह देखना बाकी है कि रूस अपने दावों पर कितना खरा उतरता है। लेकिन इतना जरूर है कि यह पहल कैंसर के इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम है। दुनिया को अब इस ओर ध्यान केंद्रित करना होगा कि कैसे इस तकनीक को व्यापक रूप से उपयोग में लाया जा सकता है।  

Read More आज से शुरू हुआ पौष माह

-देवेन्द्रराज सुथार  
यह लेखक के अपने विचार हैं।

Read More तेजी से पनप रही है डिब्बा-बंद भोजन संस्कृति 

Post Comment

Comment List

Latest News

जयपुर सहित कई जिलों में छाए बादल, हुई मावठ की रिमझिम जयपुर सहित कई जिलों में छाए बादल, हुई मावठ की रिमझिम
जयपुर, कोटा, भरतपुर सहित कई जिलों में सुबह से बादल छाए हुए हैं, ऐसे में सर्दी और ठिठुरन का अहसास...
35 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा, पीड़ित परिवार ने अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
गर्मियों के लिए तैयारी शुरू, हर अधीक्षण अभियंता को गंभीर पेयजल संकट वाले 10 स्थानों का करना होगा चयन
सतीश पूनिया तीन दिन अलवर और दिल्ली के दौरे पर रहेंगे
स्पाई यूनिवर्स में जबरदस्त और सशक्त परिवर्तन लाने के लिए तैयार है कियारा आडवाणी
वसुन्धरा राजे टैंकर हादसे में घायल मरीजों के परिजनों से मिली
प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होगी क्राइम थ्रिलर सीरीज पाताल लोक सीजन 2