असर खबर का -150 पौधे भी नहीं, उठा लिए 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने के नाम पर लाखों रुपए
वन विभाग ने नवज्योति को माना आई ओपनर
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक की जांच रिपोर्ट से खुली भ्रष्टाचार की पोल।
कोटा। नेशनल हाइवे-76 स्थित लाड़पुरा रेंज का लखावा प्लांटेशन-8 में पौधों के संधारण के नाम पर भ्रष्टाचार का खनसनीखेज खुलासा हुआ है। 50 हैक्टेयर के प्लांटेशन में 2 साल से 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने, निराई-गुड़ाई करने व सुरक्षा-चौकीदारी के नाम पर वन अधिकारियों ने लगातार फर्जी बिल बनाए और लाखों रूपयों का भुगतान उठा लिया। जबकि, मौके पर 150 पौधे भी नहीं मिले। भ्रष्टाचार का यह खुलासा अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक-वनसुरक्षा की जांच रिपोर्ट से हुआ। वर्ष 2022 से जून 24 तक कोटा वनमंडल के अधिकारियों ने रेंजर्स के साथ मिलीभगत कर सरकारी धन का जमकर दुरूपयोग किया। भ्रष्टाचार का आलम यह है, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक के निरीक्षण के बाद भी 6500 पौधों को पानी पिलाने का बिल उठ उठा लिया। दरअसल, दैनिक नवज्योति ने गत 23 मार्च को खबर प्रकाशित कर लखावा प्लांटेशन में भ्रष्टाचार उजागर किया था। इस पर अतिरिक्त वन सचिव अर्पणा अरोरा के निर्देश पर जयपुर से अतिरिक्त मुख्य प्रधान वनसंरक्षक केसी मीणा व उपवन संरक्षक पीके पांडे जांच के लिए 26 मई को कोटा आए थे और 27 मई को लखावा प्लांटेशन का निरीक्षण किया। मौके के हालात देख जांच टीम भी दंग रह गई। टीम को यहां 150 पौधे भी नहीं मिले थे। सवा महीने चली जांच में भ्रष्टाचार के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पेश है जांच रिपोर्ट के प्रमुख अंश....
कागजों में 10 बार पिलाया 8-8 हजार पौधों को पानी, उठाए 12.67 लाख के बिल
कोटा वनमंडल का लखावा प्लांटेशन-8 वर्ष 2022 का है, जो 50 हैक्टेयर में फैला है। जिसमें 150 पौधे भी नहीं है लेकिन फिल्ड अधिकारियों ने वर्ष 2022 से जून 2024 तक 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने के फर्जी बिल बनाकर 12.67 लाख रूपए का भुगतान उठा लिए। अब तक 10 बार कागजों में 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने, निराई-गुड़ाई, रिप्लेसमेंट व पौधों की सुरक्षा, चौकीदारी के नाम तत्कालीन व वर्तमान अधिकारी सरकार को लाखों रूपयों की चपत लगा चुके हैं। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक केसी मीना ने जांच रिपोर्ट में बताया कि अधिकांश भुगतान बिना कार्यों के ही उठा लिए हैं। वहीं, अब तक बिलों में यहां लगाए गए पौधों की जितनी भी संख्या बताई, उसके कोई सबूत नहीं दिखे और न ही इतने पौधों को पानी पिलाया गया हो, इसके मौके पर साक्ष्य नहीं मिले। अर्थात : उक्त बिल काफी हद तक फर्जी ही प्रतीत होते हैं।
प्लांटेशन में 150 पौधें भी नहीं फिर 8000 को कैसे पिलाया पानी
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक केसी मीना ने जांच रिपोर्ट में बताया कि 50 हैक्टेयर के लखावा प्लांटेशन में 27 मई को निरीक्षण के दौरान काफी धूम फिरकर देखा लेकिन यहां जीवित पौधे 150 भी नहीं मिले। जबकि, वर्ष 2022 से जून 2024 तक अनेकों बार 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने व संधारण के नाम पर बिल उठते रहे। ऐसे में जब यहां 150 पौधे भी नहीं है तो 2 साल से पानी किसे पिलाया जा रहा था। बिलों को देखकर स्पष्ट है, सरकारी धन का जमकर दुरूपयोग किया है। जबकि, निरीक्षण के वक्त जयपुर से आए वन सुरक्षा डीएफओ पीके पांडे, सीसीएफ रामकरण खैरवा, कोटा डीएफओ अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव, प्रशिक्षु आईएफएस विवेकानंद सहित कोटा वनमंडल का फिल्ड स्टाफ साथ था। जब इनसे पूछा गया कि यहां कितने पौधे जीवित देखे हैं तो इस पर किसी ने 60, 70, 80 तथा कोई भी 100 पौधे जीवित नहीं बता सका। प्लांटेशन पूरी तरह से फेल है। पौधे लगाने से ज्यादा बिल उठाने पर ही ध्यान दिया गया है।
जांच अधिकारी ने नवज्योति को बताया आई ओपनर
प्लांटेशन की जांच करने जयपुर से आए अधिकारी अतिरिक्त प्रधान मुख्य संरक्षक केसी मीना ने अपनी रिपोर्ट में दैनिक नवज्योति को विभाग की आंख खोलने के लिए आई ओपनर बताया है। उन्होंने कहा कि गत 24 मई को दैनिक नवज्योति में छपी खबर न केवल सही है बल्कि विभाग के लिए आई ओपनर भी है कि कैसे इतना सिस्टम होने के बाद भी कोई अधिकारी-कर्मचारी कार्य के नाम पर बजट का बेजा इस्तेमाल कर सकता है और ऊपर की कड़ी में किसी भी अधिकारियों द्वारा नेशनल हाइवे से सटे प्लांटेशन होने पर भी इसका निरीक्षण तक नहीं किया गया। नतीजन, वृक्षारोपण के नाम पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद वांछित परिणाम से दूर है।
सख्त होगी कार्रवाई
यह मामला सरकार के संज्ञान में है। दोषियों के खिलाफ निश्चित रूप से सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।
- अर्पणा अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राजस्थान सरकार
मुझे मौके की तथ्यात्मक रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया गया था। जिसकी पालना में मैं, कोटा आया और लखावा प्लांटेशन-8 का मौका निरीक्षण किया था।
- केसी मीना, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन सुरक्षा
मामले में कार्रवाई तो निश्चित होगी लेकिन कार्रवाई क्या होगी, इस बारे में कमेंट नहीं कर सकता। हमने जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी है, वहां से प्राप्त निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक
डीएफओ ने नहीं उठाया फोन
नवज्योति ने मामले को लेकर दो बार डीएफओ को फोन किया , लेकिन उन्होंने फोन अटैंड नहीं किया।
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