कांग्रेस की प्रक्रिया
पार्टी संगठन को मजबूती देने के प्रयास करेगी
पार्टी द्वारा पद दिए जाने पर भी पूरे अधिकार व सम्मान न दिए जाने से आहत शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में अपनी व्यथा स्पष्ट करते हुए लिखा कि स्वाभिमान से समझौता नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होने के बीच ही हिमाचल प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने प्रदेश की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी द्वारा पद दिए जाने पर भी पूरे अधिकार व सम्मान न दिए जाने से आहत शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में अपनी व्यथा स्पष्ट करते हुए लिखा कि स्वाभिमान से समझौता नहीं किया जा सकता। इससे पहले पार्टी के ही वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद के इस्तीफे के कारणों का फिलहाल कोई पता नहीं चला है, लेकिन इन दोनों इस्तीफों से इतना साफ है कि पार्टी अपने अंतर्विरोधों से उबर नहीं पा रही है। पिछले कई प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद उम्मीद की जा रही थी पार्टी संगठन को मजबूती देने व अंतर्विरोधों का दूर करने के प्रयास करेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब तो रविवार से पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई और बताया जा रहा है कि 20 सितंबर तक पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल जाएगा। अब देखना होगा कि यह अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होगा या अन्य किसी वरिष्ठ नेत को मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी में चर्चा यही है कि राहुल गांधी ही पूर्णकालिक अध्यक्ष घोषित होंगे।
निस्संदेह केन्द्र की सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ राहुल गांधी ने ही मोर्चा संभाल रखा है। वह ही देश की आंतरिक व बाहरी नीतियों पर बड़े साहस के साथ सरकार से सवाल करते दिखाई देते हैं। विपक्ष का अन्य कोई नेता इतना साहस और सक्रिय दिखाई नहीं देता है। राहुल गांधी बेशक एक मुखर विपक्षी नेता की भूमिका में निरंतरता की कमी भी बनी रहती है। अचानक ही वह किसी अन्य देश की यात्रा पर भी फिर अवकाश पर चले जाते हैं। राहुल गांधी को विपक्षी नेता की भूमिका धर्म दृढ़ता से निभाने के साथ-साथ अपनी पार्टी की मजबूती के लिए भी पूर्ण दृढ़ इच्छाशक्ति से काम करना चाहिए और पार्टी आंतरिक द्वंद्व से बाहर निकालना चाहिए। कांग्रेस अगर अपने वर्तमान, भविष्य को सुरक्षित व मजबूत रखना करेगी, तो पार्टी नेतृत्व को लेक बनी अनिश्चितता शीघ्र समाप्त होनी चाहिए और सभी को एकजुटता के आगे बढ़ना होगा।
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