जीवन की आध्यात्मिक ऊर्जा का गीत 

जीवन की आध्यात्मिक ऊर्जा का गीत 

आज से 5000 साल पहले कृष्ण ने अर्जुन को जो सन्देश दिया वो आज भी उतना ही मान्य है जितना की उस समय था। 

आज गीता जयंती है और मैं अपनी बात आपसे एक सवाल से शुरू करना चाहता हूं, अगर जीवन से गीत संगीत एकदम से गायब हो जाएं तो हम कैसा महसूस करेंगे नीरसता, उदासीनता, नकारात्मकता के दानव हमारे जीवन पर हमला बोल देंगे और हम शायद मुस्कुराना भी भूल जाएंगे, जब हम अपना पसंदीदा गीत संगीत सुनते हैं तो अपने अन्दर एक नई ख़ुशी और एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं, हम प्रसन्न होकर अपने रोजमर्रा के कार्य करते हैं और उसमें सफलता प्राप्त करते हैं। तो ये बात हुई हमारे दैनिक कामकाज की जिसमें हम सुबह से शाम व्यस्त रहते हैं दिन निकलते जाते हैं और हम उम्र के हर पड़ाव को पार करके आगे बढ़ते जाते हैं। इस व्यस्तता के बीच हम शायद ही कभी ये सोच पाते हों की हमारे जीवन का असली उद्देश्य क्या है या भगवान ने हमें ये जीवन क्यों दिया है, ऐसी कौनसी ऊर्जा है जो हमें रोज चलायमान बनाती है और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है यह है आध्यात्मिक ऊर्जा और जीवन की इसी आध्यात्मिक ऊर्जा का गीत है, भगवद् गीता भगवान कृष्ण गीता के माध्यम से अर्जुन को जीवन जीने का मार्गदर्शन दे रहे हैं। श्रीभगवद् गीता के आगमन का शुभ दिन है गीता जयंती और 5000 साल पहले, इस दिन उन्होंने अर्जुन को जीवन के असली उद्देश्य के बारे में बताया श्रीभगवद् गीता में 700 श्लोक हैं। कृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं की अगर तुम जीवन की हर स्थिति में मेरा स्मरण करोगे तो तुम मेरी कृपा से जीवन की सारी दुविधाओं को पार कर लोगे। अच्छा क्या आप जानते हैं, श्रीभगवद् गीता का शाब्दिक अर्थ है सर्वोच्च भगवान का गीत यह भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए वैदिक ज्ञान का सार है। कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को गीता का ज्ञान गीत के द्वारा दिया था इसलिए इसे गीता कहा जाता है। आज से 5000 साल पहले कृष्ण ने अर्जुन को जो सन्देश दिया वो आज भी उतना ही मान्य है जितना की उस समय था। जीवन की कठिनाइयों पर कैसे विजय पानी है यह उन्होंने अर्जुन को बताया की कैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह का दमन करके अपने कर्त्तव्य पथ पर उनका स्मरण करके आगे बढ़ा जा सकता है, उनके नाम स्मरण से हमें आतंरिक आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है जो हमें मुश्किल समय में धैर्य रखने और साहस न खोने की शिक्षा देती है।

भगवद् गीता पूरी दुनिया को भारत का सबसे बड़ा योगदान है। प्रबंधन आज के समय की सबसे बड़ी मांग है जीवन प्रबंधन कैसे किया जाए, आत्म प्रबंधन कैसे किया जाए, अपनी भावनाओं को कैसे संयमित किया जाए,  क्रोध पर कैसे संयम रखा जाए ये सारे प्रबंधन गुर भगवद् गीता के द्वारा ही सीखे जा सकते हैं। गीता जीवन को व्यवहारिक तरीके से जीना सिखाती है। भारत के बड़े बड़े शैक्षणिक संस्थानों में भगवद्गीता से प्रबंधन के पाठ पढाए जाते हैं, जो आज भी उतने ही प्रभावी हैं जितने की पांच हजार साल पहले हुआ करते थे। हम अर्जुन की जगह बस अपने आप को रखकर देखें क्योंकि हमारी भी वही समस्याएं हैं, जो उस समय अर्जुन की थी। अर्जुन ने स्वयं कृष्ण के समक्ष ये स्वीकार किया की उनका मन चंचल है तो कृष्ण ने उन्हें अभ्यास के द्वारा इसे वश में करने को कहा मन और बुद्धि ये दोनों ही हमारे मित्र भी हो सकते हैं और शत्रु भी बस जरुरत है की हम उन्हें किस दिशा में ले जा रहे हैं और यह सिर्फ अभ्यास से संभव है। गीता कृष्ण की वाणी है जिसमें भगवान् आत्म-विकास का उपदेश देते हैं, गीता कहती है की हमें खुद को, खुद से ही ऊपर उठाना है। कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- हे अर्जुन सभी धर्मों को त्याग कर मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो। अपने जीवन में हम कर्म फल की बड़ी कामना करते हैं और जब वो हमारे अनुरूप नहीं मिलता तो हम निराश हो जाते हैं, यहां भी कृष्ण अर्जुन को भगवद्गीता में समझा रहे हैं की हमारा सिर्फ  कर्म करने का अधिकार है, कर्म फल में आसक्ति का नहीं। भगवन का स्मरण करके हमें बस अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना है जैसा की अर्जुन ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में किया। आज की जीवन शैली में हमारे सामने बहुत चुनौतियां आती हैं जिस से कभी कभी हम क्रोधित हो जाते हैं यहां पर कृष्ण अर्जुन को गीता ज्ञान देते हुए कह रहे हैं-क्रोध से मनुष्य की बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही नाश कर बैठता है। हमारे जीवन की सारी मुश्किलों का हल भगवद् गीता में भगवन कृष्ण ने स्वयं दिया है बस हमें जरुरत है धैर्य और विश्वास के साथ उनकी दी हुई शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने की  क्योंकि जिसकी मति और गति सत्य की है उसके जीवन का रथ आज भी स्वयं भगवान् कृष्ण चलाते हैं। गीता जयंती की शुभकामनाओं के साथ, हरे कृष्ण!

यह लेखक के अपने विचार हैं।

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