समृद्ध होते भारतीय गणराज्य की नई तस्वीर
भारत की गणतांत्रिक व्यवस्था पहले से अधिक मजबूत और प्रभावी हुई
मोदी सरकार ने लोकतंत्र की जड़ों को गहराई से मजबूत करने और हर नागरिक को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का लाभ दिलाने की दिशा में कई प्रभावी कदम उठाए हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत की गणतांत्रिक व्यवस्था पहले से अधिक मजबूत और प्रभावी हुई है। यह मजबूती केवल राजनीतिक नेतृत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक स्तर पर व्यापक बदलावों के रूप में सामने आई है। मोदी सरकार ने लोकतंत्र की जड़ों को गहराई से मजबूत करने और हर नागरिक को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का लाभ दिलाने की दिशा में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। इन प्रयासों का असर आंकड़ों और तथ्यों के माध्यम से साफ देखा जा सकता है। मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही यह सुनिश्चित किया कि सरकार और नागरिकों के बीच की खाई कम हो। डिजिटल इंडिया अभियान इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। 2014 में भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 25 करोड़ थी। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार 2024 में यह संख्या बढ़कर लगभग 88.6 करोड़ हो गई है, जो सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। 2025 तक यह आंकड़ा 90 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। डिजिटल सेवाओं की इस व्यापक पहुंच ने सरकारी योजनाओं को नागरिकों तक सीधे पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधार आधारित डिजिटलीकरण ने सरकारी योजनाओं के वितरण में भ्रष्टाचार को काफी हद तक खत्म कर दिया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 14 अगस्त 2024 तक कुल 53.13 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जिससे गरीब और वंचित वर्ग भी मुख्यधारा में शामिल हुए।
आर्थिक दृष्टिकोण से मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाए। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही, जो वैश्विक औसत से अधिक थी। भारत 2024 तक 814 बिलियन डॉलर से अधिक के निर्यात के साथ वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को और मजबूत कर चुका है। वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने से देशभर में एक समान कर प्रणाली स्थापित हुई, जिसने व्यापार को सरल और पारदर्शी बना दिया। इसके अलावा मुद्रा योजना के तहत छोटे व्यवसायों को 28.89 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए, जिससे आत्मनिर्भरता और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए। न्याय प्रणाली में सुधार के लिए मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए। लंबित मामलों को कम करने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना जैसे कई उपाय किए हैं। 31 अक्टूबर 2024 तक 863 फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं, जिन्होंने 2,87,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है।
न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित निपटारे के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग बढ़ाया गया। तीन तलाक को समाप्त करने का फैसला महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। इसके तहत मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हो। समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई। यह पहल भारत में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए की गई है। इससे देश में धार्मिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा एक देश, एक चुनाव जैसे विचार ने भी राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2014 से 2024 के बीच 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 2 सितंबर 2024 तक कुल 5,52,456 गांवों को खुले में शौच मुक्त प्लस घोषित किया गया है।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। इन योजनाओं ने न केवल नागरिकों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया है, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी सुधार किया है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए मेक इन इंडिया अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का स्वदेशी रक्षा उत्पादन 1,26,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 16.7 प्रतिशत अधिक है। यह कदम न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि विदेशी रक्षा आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता भी कम करता है। मोदी सरकार के कार्यकाल में पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने की दिशा में भी काम हुआ। 2024 तक 1500 से अधिक पुराने कानूनों को समाप्त किया गया, जो अब भारतीय समाज और प्रशासन के लिए उपयोगी नहीं थे।
यह कदम कानूनी ढांचे को अधिक सरल और प्रभावी बनाने में सहायक हुआ। इन बदलावों से यह स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय गणराज्य को केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी सुदृढ़ बनाया है। डिजिटल क्रांति, आर्थिक सुधार, न्यायिक पारदर्शिता, महिला सशक्तीकरण और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जैसे कदम यह दर्शाते हैं कि भारत की गणतांत्रिक व्यवस्था अब और अधिक प्रगतिशील, समावेशी और सशक्त हो गई है।
-देवेन्द्रराज सुथार
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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