खनिज समझौते से किसको घाटा, किसको लाभ

भू-राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही 

खनिज समझौते से किसको घाटा, किसको लाभ

यूक्रेन और अमेरिका के बीच अंतत खनिज समझौता हो गया है।

यूक्रेन और अमेरिका के बीच अंतत खनिज समझौता हो गया है। जो भू-राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक हित जुड़े हैं, बल्कि इसमें रणनीतिक और सुरक्षा के पहलू भी निहित हैं। दोनों देशों के बीच यह सहयोग विशेषकर क्रिटिकल मिनरल्स जैसे लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट और रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर केंद्रित है। जो कि आधुनिक तकनीकी और रक्षा प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं। समझौता रूस के लिए झटका माना जा रहा है। पिछले दशक में खनिज संसाधनों की वैश्विक मांग में तीव्र वृद्धि हुई है। विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों और ग्रीन एनर्जी तकनीकों में उपयोग के कारण चीन इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बना हुआ है।

पश्चिमी देशों को इसकी निर्भरता से बाहर निकलने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यूक्रेन जो खनिज संसाधनों से समृद्ध है अमेरिका के लिए एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में उभरा है। इस समझौते के बाद कीव को उम्मीद है कि इससे रूस के खिलाफ रक्षा के लिए अमेरिका और यूरोप से दीर्घकालिक समर्थन मिलेगा। तो दूसरी ओर वाषिंगटन को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज रेयर अर्थ मिनरल तक पहुंचना आसान होगा। समझौते में यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए एक संयुक्त कोष की स्थापना का जिक्र है। 

अब इस समझौते को यूक्रेनी संसद की मुहर लगनी शेष है। समझौते पर अमेरिकी वित्त मंत्री स्काट बेसेंट और यूक्रेन की उपप्रधानमंत्री एवं अर्थव्यवस्था मंत्री यूलिया स्विरीडेंको ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर के बाद बेसेंट ने कहा कि यह समझौता रूस को स्पष्ट संकेत है कि ट्रंप प्रशासन लंबे समय तक एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन पर केंद्रित शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है। खनिज सौदे का विचार यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलादिमिर जेलेंस्की ने पिछले साल बाइडन प्रशासन को अपनी विजय योजना के हिस्से के रूप में प्रस्तावित किया था। लेकिन पिछले दिनों जेलेंस्की और ट्रंप के बीच ओवल ऑफिस में बने सार्वजनिक विवाद के बाद इस समझौते पर संशय के बादल मंडराने लगे थे। लेकिन इस विवाद के बावजूद दोनों पक्षों की ओर से समझौते पर आगे बढ़ने के निरंतर प्रयास जारी रहे। 

परिणामस्वरूप 30 अप्रैल को समझौते पर मुहर लगी, लेकिन जेलेंस्की का खनिज जुआ तभी सफल होगा जब ट्रंप प्रशासन युद्ध को समाप्त करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। यदि युद्ध लंबा खिंचता है और रूसी सेनाएं पूर्व में आगे बढ़ती रहती हैं, तो खनिज समझौते का यूक्रेन की सुरक्षा के लिए कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इस समझौते पर फिलहाल क्रेमलिन ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मदवेदवे ने कहा कि यूक्रेन को समझौते के लिए मजबूर किया गया। ट्रंप ने कीव शासन को तोड़ दिया है, क्योंकि यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता के लिए खनिज संसाधनों का भुगतान करना होगा। समझौते के तहत पुनर्निर्माण निवेश कोष की स्थापना की गई है। इसके प्रबंधन में अमेरिका और यूक्रेन दोनों की समान भागीदारी होगी। 

Read More आखिर क्यों घट रही है डॉल्फिन की आबादी

इस कोष को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम एजेंसी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी। यूक्रेन से अपेक्षा है कि वह भविष्य में सरकार के स्वामित्व वाले प्राकृतिक संसाधनों से होने वाले सभी लाभों का 50 प्रतिशत कोष में योगदान देगा। अमेरिका भी प्रत्यक्ष निधि और उपकरणों के रूप में योगदान देगा, जिसमें वायु रक्षा प्रणाली और अन्य सैन्य सहायता शामिल है। पर्यावरण और सामाजिक दायित्वों के तहत खनिज दोहन में पर्यावरणीय मानकों के अनुसार और स्थानीय समुदायों के हितों की रक्षा की जाएगी। आर्थिक विभाग के पूर्व मंत्री टिमोफी मायलोवानोव ने कहा कि यह यूक्रेन के लिए बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जीत है। इस सौदे में यूक्रेन के लिए पिछली अमेरिकी सहायता को चुकाने की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही यह कीव को केवल अमेरिकी खरीदारों को बेचने तक सीमित करना है। यह समझौता अमेरिका को चीन की आपूर्ति श्रृंखला से हटकर एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है। 

Read More आंतरिक विस्थापन की भयावह तस्वीर

साथ ही यह अमेरिका की ऊर्जा सुरक्षा नीति और ग्रीन एनर्जी संक्रमण की दिशा में सहायक है। यूक्रेन के लिए यह सहयोग न केवल आर्थिक विकास का आधार बनेगा, बल्कि युद्ध के बाद पुनर्निर्माण के लिए फंडिंग और नौकरियों का सृजन करेगा। अमेरिका की तकनीकी और राजनीतिक साझेदारी से यूक्रेन की स्थिति भी मजबूत होगी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े पैमाने पर खनिज दोहन से पर्यावरणीय क्षति की संभावना रहती है। जल प्रदूषण, भूमि क्षरण और जैव विविधता को खतरा हो सकता है। खनिज योजनाओं से विस्थापन, रोजगार, असमानता और सांस्कृतिक प्रभाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में आलोचकों का आंकलन है कि यह समझौता यूक्रेन को अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र में अधिक गहराई से धकेल सकता है। जिससे उसकी स्वतंत्र विदेश नीति बाधित हो सकती है। तो दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते के तहत अरबों डॉलर के निवेश की संभावना है, जिससे यूक्रेन की जीडीपी में वृद्धि हो सकती है। 

Read More खतरे में है धरती के सबसे मेहनती सुपरजीव मधुमक्खियां

खनिज निर्यात में विदेशी मुद्रा की आमद बढ़ेगी और औद्योगिक ढांचे का आधुनिकीकरण संभव होगा। दूसरी ओर अमेरिकी कंपनियों को लंबे समय तक सस्ते और सुनिश्चित खनिज स्रोत उपलब्ध होंगे। कुल मिलाकर यूक्रेन और अमेरिका के बीच हुआ खनिज समझौता वैश्विक रणनीतिक संदर्भ में एक दूरगामी पहल है। यह न केवल खनिज संसाधनों की आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करता है बल्कि दोनों देशों के आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को भी नई दिशा देता हैं।

-महेश चंद्र शर्मा
 यह लेखक के अपने विचार हैं।

Post Comment

Comment List

Latest News

आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी : आपसी विवाद में 2 सगे भाई समेत 4 लोगों की गोली मारकर हत्या, एक घायल आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी : आपसी विवाद में 2 सगे भाई समेत 4 लोगों की गोली मारकर हत्या, एक घायल
बिहार में बक्सर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र में शनिवार की सुबह आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी में मृतकों...
कार एवं ट्रक में टकराने के बाद लगी आग, 3 लोग झुलसे
अमेरिका ने की यूरोपीय संघ आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा, कहा- बेनतीजा रही बातचीत
फ्रांस के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय के 4 छात्र हुए चयन 
वायदा बाजार की तेजी का असर, चांदी 900 रुपए और सोना 300 रुपए महंगा 
राजधानी में नीति आयोग की संचालन परिषद की 10वीं बैठक : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की अद्यक्षता, कहा- विकसित भारत के लिए हमें विकास की गति बढ़ानी होगी
प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी : राहत के आसार नहीं, हीटवेव का रेड अलर्ट