क्या हम केवल टैक्स देने के लिए, सुविधाएं पाने के नहीं हैं हकदार!
लहसुन मंडी हरनावदाजागीर अव्यवस्थाओं की शिकार
पानी और छांव की कमी, किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या।
छीपाबड़ौद। हरनावदाजागीर छीपाबड़ौद राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण लहसुन मंडियों में से एक है। हरनावदाजागीर लहसुन मंडी इस समय अव्यवस्थाओं का शिकार है। यहां देशभर से हजारों की संख्या में किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी दयनीय है कि न छांव की कोई व्यवस्था है न स्वच्छ पेयजल उपलब्ध है और न ही सरकारी दर पर भोजन की सुविधा। सरकार को करोड़ों रुपये का टैक्स देने वाले इन अन्नदाताओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
किसानों का मुश्किल भरा इंतजार, सरकारी मदद नदारद
राजस्थान और आसपास के अन्य राज्यों से आने वाले किसान यहां अपनी लहसुन बेचने की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं लेकिन मंडी में व्याप्त अव्यवस्थाओं के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। धूप में खुले आसमान के नीचे बैठकर किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। खासकर गर्मी के इस मौसम में पानी और छांव की कमी किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
दे रहे करोड़ों का टैक्स, जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध
स्थानीय किसानों ने बताया कि वे सरकार को करोड़ों का टैक्स देते हैं, फिर भी उनके लिए कोई बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं करवाई जा रही। ऐसे में सरकार और प्रशासन की उदासीनता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अन्नपूर्णा रसोई योजना पर नहीं हुआ अमल, नवज्योति ने उठाई थी आवाज
इससे पहले भी दैनिक नवज्योति ने अन्नपूर्णा रसोई घर की स्थापना को लेकर एक प्रमुख खबर प्रकाशित की थी। इस योजना के तहत किसानों को रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक सरकार या प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। वहीं एक किसान ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि "हम अपनी फसल लेकर दूर-दूर से आते हैं, सरकार को टैक्स देते हैं, लेकिन हमारे लिए छांव तक की व्यवस्था नहीं है। क्या हम केवल टैक्स देने के लिए हैं, सुविधाएं पाने के हकदार नहीं?" किसानों ने मंडी में फैली अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रशासन उनकी मांगों को अनसुना कर रहा है। जल्द ही किसान इस मुद्दे पर प्रशासन से ठोस जवाब मांग सकते हैं। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आंदोलन की चेतावनी भी दी जा रही है।
इनका कहना है
यहां कुछ लोग खाली ट्रैक्टर लगाकर जगह घेर लेते हैं। जिससे मंडी में आने वाले किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मंडी में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही सरकारी दर पर भोजन उपलब्ध हो रहा है और न ही छांव की कोई सुविधा है। हमें अपनी लहसुन की बोली लगाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन हमारी परेशानियों की ओर ध्यान नहीं दे रहा।
- कैलाश लववंशी, किसान।
हम दूर-दराज से लहसुन बेचने के लिए यहां आते हैं, लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव है। न छांव की व्यवस्था है, न पीने का पानी मिल रहा है, और न ही सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध है। हमें घंटों तक खुले आसमान के नीचे इंतजार करना पड़ता है। प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
- मुरली मनोहर, किसान, मनोहरथाना निवासी।
सरकार को करोड़ों का टैक्स देने वाले हम किसानों के लिए यहां एक घूंट पानी तक नसीब नहीं हो रहा। धूप में खड़े-खड़े लहसुन की बोली लगाने का इंतजार करना हमारी मजबूरी बन गई है। क्या यही है किसानों की असली स्थिति? बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में हमें केवल परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
- राकेश लोधा, किसान।
हमारी प्राथमिकता मंडी में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना है। पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। जहां तक टेंट या छाया की बात है, पिछले वर्षों में भी यह व्यवस्था नहीं थी।
- फूलचंद्र मीणा, मंडी सचिव, छबड़ा।
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