बाड़ी में 167 वर्ष पुरानी परम्परा : सतरंगी ध्वज स्थापना के ऐतिहासिक बारह भाई मेले का आगाज, दाऊजी महाराज मंदिर से शुरू हुई शोभायात्रा
शहर में भव्य स्वागत, जगह जगी फूलों की होली खेली
शहर के ऐतिहासिक 167 वर्ष पुराने बारह भाई मेले का रविवार को विधिवत आगाज हो गया
बाड़ी। शहर के ऐतिहासिक 167 वर्ष पुराने बारह भाई मेले का रविवार को विधिवत आगाज हो गया। सात दिन तक चलने वाले मेले से पूर्व मेले के सतरंगी ध्वज की विधि विधान से मेला कार्यालय पर स्थापना की गई। इसके साथ ही मेला शुरू हो गया है। मेले में 20 मार्च को भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने पर उनका स्वागत किया जाएगा। 21 मार्च को शहर में राम जानकी शोभायात्रा का आयोजन होगा। 22 मार्च को किला गेट पर राजगद्दी कार्यक्रम होगा। मेला कार्यालय पर ध्वज स्थापना के दौरान मेले का प्रसिद्ध नारा सभी लोगों ने एक साथ लगाया। श्रीयुत राजा रामचंद्र की मारो,अवधेश कुमार,बोल सियापति रामचंद्र की जय। शहर में होली की दूज पर तीन बजे से बारह भाई मेला कमेटी की ओर से शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शहर के किला परिसर स्थित दाऊजी महाराज मंदिर से शोभायात्रा जैसे ही शुरू हुई तो फूलों की होली खेली गई। जैसे-जैसे शोभायात्रा शहर में आगे बढ़ी, शहर के नागरिकों ने इसका स्वागत किया। इस दौरान से शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए पुराना बाजार स्थित मेला कार्यालय पर जाकर संपन्न हुई।
मेला आयोजन की यह है मान्यता
बारह भाई मेला कमेटी के अध्यक्ष रामवीर पोसवाल ने बताया कि पुरखों की यह धरोहर है, सन 1859 से यह मेला अनवरत चल रहा है। सन 1857 में आजादी के लिए जब क्रांति हुई और अंग्रेजों ने दमनकारी नीति अपनाई तो लोगों को एकजुट करने के लिए ऐसा आयोजन कस्बे के बारह भाइयों ने किया। मेले को लेकर एक किवदंती भी प्रचलित है कि पास के कस्बे जगनेर में एक कार्यक्रम में कस्बे के बारह लोगों को जाति-पाती नहीं मानने पर जब एक ही पात्र से जल ग्रहण करने के लिए कहा गया तो उन्होंने एक साथ जल पिया। इसके बाद बाड़ी आकर उन्होंने यह मेला शुरू किया।
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