बुचारा बांध : 35 किमी का जलदाता भारी बारिश में भी पानी को तरसा

बांध 1996 में पूरा भरा था, इसके बाद आज तक नहीं भरा

बुचारा बांध : 35 किमी का जलदाता भारी बारिश में भी पानी को तरसा

जब से बनाड़ी बांध बना, बुचारा में पानी नहीं आया: इस बांध के ओवरफ्लो पानी को काम लेने के लिए 1992 में बनाड़ी ग्राम में बांध बनाया गया था। संयोगवश जिस दिन से यह बांध बना उस दिन से बुचारा बांध में पानी की आवक बन्द हो गई।

प्रागपुरा। जयपुर जिले के पावटा तहसील के बुचारा ग्राम में रियासत काल में सन 1889 में 34.250 फीट भराव क्षमता वाले बुचारा बांध से एक मुख्य नहर व 4 वितरिकाओं द्वारा करीब 35 किलोमीटर की 25000 हैक्टेयर भूमि में सिचाई होती थी व 10 किलोमीटर का जलस्तर बना रहता था। यह बांध 1996 में पूरा भरा था, इसके बाद बारिश की लगातार कमी व बांध में पानी की आवक प्रमुखत: सीकर जिले से होती है। इस क्षेत्र में ऐनीकट बन जाने से यह बांध आज तक नहीं भरा। बांध की जानकारी देते हुए सिंचाई विभाग के सहायक अभियन्ता यशवीर सिंह ने बताया कि गत साल इस बांध में करीब 34 फीट पानी की आवक हुई थी। इस बांध में वर्तमान में पानी नहीं है। बांध में पानी नहीं होने से क्षेत्र के वीरान होने की संभावना बन रही है। भूमिगत जल स्तर के नीचे जाने के आसार प्रबल होने के कारण क्षेत्र में खेती व पशुपालन प्रभावित होगा। बांध के पास रहने वाले बलबीर मीणा ने बताया कि जब से इस बांध में पानी की आवक घटी है तब से फसलें प्रभावित हुई हैं। इस बांध के पास रहने वालों का मवेशी पालन का धन्धा भी बन्द हो गया है। क्योंकि पीने के पानी के भी लाले पड़ गए हैं। इस बांध से मुख्य नहर 7 किलोमीटर लम्बी टसकोला ग्राम तक गई है। टसकोला ग्राम सिंचाई विभाग की चौकी है। यहां से एक वितरिका 8.4 किलोमीटर की पावटा होने किराडोद ग्राम तक दूसरी वितरिका 5.1 किलोमीटर लम्बी भौनावास होते हुए फतेहपुरा तक तीसरी वितरिका 3.06 किलो मीटर लम्बी रामपुरा तक व चौथी वितरिका 5.76 किलोमीटर लम्बी पण्डितपुरा तक गई है। सहायक अभियन्ता यशवीर सिंह ने बताया कि 1996 के बाद पानी की कमी के कारण नहरों में पानी छोड़ना बन्द कर दिया गया।

जब से बनाड़ी बांध बना, बुचारा में पानी नहीं आया: इस बांध के ओवरफ्लो पानी को काम लेने के लिए 1992 में बनाड़ी ग्राम में बांध बनाया गया था। संयोगवश जिस दिन से यह बांध बना उस दिन से बुचारा बांध में पानी की आवक बन्द हो गई जिससे बनाड़ी बांध पानी संग्रहण की बजाय अवैध बजरी खनन का मुख्य केन्द्र बन गया। बनाड़ी बांध में रोज करीब 100 ट्रॉली बजरी की निकाली जा रही है। रियायत कालीन बांध होने के कारण जयपुर महाराज बुचारा में आखेट के लिए आते थे और कई दिनों तक यहां विश्राम करते थे।

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