आपात स्थिति में व्यक्ति की जान बचा सकता है सीपीआर, विशेषज्ञों ने बताई स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत

सिर्फ 60 मिनट की ट्रेनिंग बचा सकती है जीवन

आपात स्थिति में व्यक्ति की जान बचा सकता है सीपीआर, विशेषज्ञों ने बताई स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत

आपातकालीन स्थितियों में समय पर दिया गया सीपीआर मरीज का जीवन बचाने की संभावना को दोगुना कर सकता है।

जयपुर। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन यानी सीपीआर के जरिए आपात स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। अगर हर व्यक्ति सीपीआर देना जान जाए तो काफी हद तक सडन कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को बचाया जा सकता है। यहीं वजह है कि सीपीआर की ट्रेनिंग को देश में भी ज्यादा से ज्यादा प्राथमिकता दिए जाने की विशेषज्ञों ने जरूरत बताई है। इसके लिए अगर स्कूल शिक्षा में ही सीपीआर की ट्रेनिंग बच्चों को दी जाए तो यह हर घर में पहुंच सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक ऐसा जीवन रक्षक कौशल है, जो हर नागरिक को सीखना चाहिए। आपातकालीन स्थितियों में समय पर दिया गया सीपीआर मरीज का जीवन बचाने की संभावना को दोगुना कर सकता है।

सरकार की पहल जरूरी
डॉ. जैन ने बताया कि हमारी सरकार से अपील है कि इसे स्कूल शिक्षा में जोड़ा जाए। स्कूलों में सीपीआर अनिवार्य करने से एक जागरूक और जिम्मेदार समाज बनेगा। हर छात्र अगर सीपीआर सीख लेए तो भारत में हेल्थ सेफ्टी को एक नई दिशा मिल सकती है। 

सिर्फ 60 मिनट की ट्रेनिंग बचा सकती है जीवन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीके जैन ने बताया कई देशों में स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन चुकी सीपीआर ट्रेनिंग के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। नॉर्वे में जहां हर छात्र को यह प्रशिक्षण दिया जाता है, वहां कार्डियक अरेस्ट से बचने की दर 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अमेरिका के कई राज्यों में हाई स्कूल की डिग्री के लिए सीपीआर ट्रेनिंग अनिवार्य है, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर हृदय गति रुकने की स्थिति में बचाव की संभावना दोगुनी हो गई है। डॉ. जैन ने बताया कि सीपीआर सीखना न केवल आसान है, बल्कि महज एक घंटे में इसे सीखा जा सकता है। यह कौशल दिल का दौरा, डूबने, दम घुटने या सड़क दुर्घटना जैसी आपात स्थितियों में जीवन रक्षक साबित हो सकता है।

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