पर्यटन स्थलों पर लोक कला को जीवंत रखे हुए हैं लोक कलाकार : लोक गीतों की प्रस्तुति के साथ कठपुतली नृत्य देख रोमांचित हो रहे टूरिस्ट
पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित गणगौर व तीज
हवामहल समारक में लोक कला की प्रस्तुति देने वाले लोक कलाकार तेजपाल नागौरी और राजपाल नागौरी का कहना है कि राजस्थानी गीतों पर पर्यटक झूम उठते हैं, वहीं विलुप्त होती कठपुतली नृत्य देख वे रोमांचित हो जाते हैं।
जयपुर। राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत पर्यटन की आत्मा बन चुकी है। यह सांस्कृतिक विरासत प्रदेश की लोक परम्पराएं केवल अतीत का गौरव नहीं बल्कि वर्तमान का जीवंत सत्य हैं। जब ये परम्पराएं पर्यटन से जुड़ती हैं, तो एक ओर कलाकारों को स्थायित्व मिलता है, तो वहीं दूसरी ओर पर्यटन को पहचान और गरिमा।
पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित गणगौर व तीज
महोत्सव, मरू महोत्सव, पुष्कर महोत्सव, ब्रज उत्सव समेत तकरीबन तीस से अधिक मेलों व उत्सवों में लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति
देते देखे जाते हैं। वहीं शहर के पर्यटन स्थलों पर भी इन्हें जगह दी गई है, ताकि वे देसी और विदेशी पर्यटकों के सामने लोक कला की प्रस्तुति दे सकें।
आमेर महल, हवामहल अल्बर्ट हॉल में प्रस्तुति
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के जयपुर में संरक्षित मॉन्यूमेंट्स की बात करें तो आमेर महल, हवामहल, जंतर-मंतर, अल्बर्ट हॉल सहित अन्य जगहों पर लोक कलाकार लोक गीत, वाद्य यंत्र के जरिए लोक गीतों की प्रस्तुति देने के साथ ही कठपुतली नृत्य दिखाकर देसी और विदेशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। हवामहल समारक में लोक कला की प्रस्तुति देने वाले लोक कलाकार तेजपाल नागौरी और राजपाल नागौरी का कहना है कि राजस्थानी गीतों पर पर्यटक झूम उठते हैं, वहीं विलुप्त होती कठपुतली नृत्य देख वे रोमांचित हो जाते हैं।

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