वन सेवा के अधिकारी पर फर्जी दिव्यांगता का आरोप : सेवाकाल में सिस्टम का दुरूपयोग, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
सामान्य तौर पर चयन हुआ था
जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरएफएस अधिकारी सरिता कुमारी व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में राजस्थान वन सेवा के अधिकारी पर सेवाकाल के दौरान सिस्टम का दुरूपयोग कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र हासिल करने और उसके आधार पर पहले सलेक्शन स्केल का लाभ और अब आईएफएस पद पर होने वाली पदोन्नति में इसका लाभ मिलने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की गई है। जिस पर अदालत ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, यूपीएससी सचिव, पीसीसीएफ और डीओपी सचिव सहित आरएफएस अधिकारी जगदीप सिंह से जवाब मांगा है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरएफएस अधिकारी सरिता कुमारी व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि जगदीप सिंह का राजस्थान वन सेवा के अधिकारी के पद पर सामान्य तौर पर चयन हुआ था। उसके पास 40 फीसदी या अधिक की बेंचमार्क दिव्यांगता भी नहीं है। याचिका में आरोप लगाया गया कि अरण्य भवन में तैनाती के दौरान उन्होंने सिस्टम का दुरूपयोग कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा लिया। याचिकाकर्ता वरिष्ठता सूची में जगदीप सिंह से ऊपर हैं, लेकिन दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें याचिकाकर्ताओं से पहले सिलेक्शन स्केल का लाभ दिया गया। वहीं अब उन्हें इसी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर भारतीय वन सेवा में पदोन्नति में लाभ दिया जा सकता है।
याचिका में कहा गया फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों को लेकर एसओजी में कई प्रकरण र्ज है और राज्य सरकार भी संदिग्ध अधिकारियों की दिव्यांगता का पुन: परीक्षण करा रही है। इसके बावजूद जगदीप सिंह की दिव्यांगता को लेकर कोई जांच नहीं की गई। आरएफएस से आईएसएफ पद पर पदोन्नति के लिए जल्दी ही पदोन्नति बोर्ड की बैठक होने वाली है। उसमें भी जगदीप सिंह को दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर याचिकाकर्ताओं से ऊपर माना जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार पहले जगदीप सिंह की दिव्यांगता की जांच की जाए और उसके बाद ही डीपीसी बोर्ड की बैठक बुलाई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

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